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Monday 22 July 2019 01:38:54 PM
द्रास/ श्रीनगर। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर के द्रास कारगिल युद्ध स्मारक पर ऑपरेशन विजय के बहादुर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सम्मान में एक मिनट का मौन रखा। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान बहादुर सिपाहियों के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान की कहानियों का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे बहादुर सिपाहियों ने सभी बाधाओं को पार करते हुए दुश्मन के साथ बहादुरी से लड़ाई की, एक के बाद एक पर्वत चोटी को अपने कब्जे में किया, वे डरना नहीं जानते थे और उन्होंने देश की सेवा करते हुए मौत को गले लगा लिया, देश इन बहादुर सपूतों के सम्मान में सिर झुकाता है। रक्षामंत्री वीर भूमि और यादगार कुटिया पर गए, जो स्मारक परिसर में ही है। यात्रा के दौरान रक्षामंत्री को द्रास, कारगिल और बटालिक क्षेत्रों में दुश्मन के नापाक इरादों को विफल कर देने वाले भारतीय सैनिकों की वीरतापूर्ण कार्रवाई सहित ऑपरेशन विजय की जानकारी दी गई। कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ पर रक्षामंत्री ने एक स्मृति लेन समर्पित की, जिसपर कुछ महत्वपूर्ण युद्धों के बारे में जानकारी दी गई है। यह लेन भारतीय सेना के उन बहादुर अधिकारियों, जूनियर कमिशंड अधिकारियों और जवानों के साहसपूर्ण कार्यों का संक्षेप में वर्णन करती है, जो भारतीय क्षेत्र को दुश्मन के घुसपैठियों से खाली कराने के लिए सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़े थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र, भारतीय सैनिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में बना रहेगा, सशस्त्र बलों में देश का विश्वास और गर्व बढ़ा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भूतपूर्व सैनिकों के संगठन वेटरंस इंडिया के कार्यक्रम में भी शामिल हुए, जिसमें उन्होंने शहीद जवानों के परिजनों को सम्मानित किया। जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने रक्षामंत्री को 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान हुई विभिन्न लड़ाईयों के बारे में लामोचन व्यू पॉइंट पर जानकारी दी। रक्षामंत्री ने क्षेत्र में तैनात सैनिकों के साथ चाय का आनंद उठाया और उनके साथ बातचीत की। उन्होंने इन चुनौतीपूर्ण स्थितियों में सीमाओं की रक्षा करने के लिए सैनिकों के समर्पण की सराहना की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और उत्तरी कमान के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल रणधीर सिंह भी मौजूद थे। रक्षामंत्री ने सीमावर्ती इलाकों में सड़क और पुल सम्पर्क में भारी सुधारों की शुरुआत करते हुए जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक किलोमीटर लम्बे ऊझ पुल और साम्बा जिले में 617.40 मीटर लम्बे बसंतर पुल को राष्ट्र को समर्पित किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ऊझ और बसंतर पुलों के निर्माण को बीआरओ की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि सड़क और पुल किसी भी देश की जीवन रेखा हैं और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि बीआरओ रक्षाबलों की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा कर सीमावर्ती इलाकों में सड़कों और पुलों के निर्माण व उनके रखरखाव के जरिए सराहनीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। जम्मू-कश्मीर में सम्पर्कों को विकसित करने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नियमित रूपसे इन परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करते हैं और तदनुसार धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। गौरतलब है कि बीआरओ द्वारा निर्मित एक किलोमीटर लंबा ऊझ पुल सबसे लंबा पुल है, इसे करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से निर्धारित समय पर तैयार किया गया है। यह पुल परोले कोरपन्नू व राजपुरा रोड पर ऊझ नाले पर है।
बसंतर पुल करीब 41.7 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। यह पुल राजपुरा मडवाल पंगादुर और फुलपुर रोड पर बसंतर नाला दोनों पुलों को परियोजना संपर्क 69 आरसीसी/ 13 बीआरटीएफ के अंतर्गत तैयार किया गया है। इन पुलों पर आवाजाही आसान हो जाएगी और सीमावर्ती इलाकों पर सेना की तैनाती के लिए यह महत्वपूर्ण है। दोनों पुल कठुआ और सांबा क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों के स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि मानसून के दौरान सड़क संपर्क बाधित हो जाता है। राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने भी केंद्र सरकार के विकास कार्यक्रमों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर में संपर्क को बढ़ावा देने के कदमों पर प्रकाश डाला। सीमा सड़क महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने देश के सुदूरवर्ती इलाकों में बेहद कठिन परिस्थितियों में बीआरओ के योगदान की चर्चा की। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, रक्षा राज्यमंत्री और सेनाध्यक्ष को उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया।