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Saturday 27 July 2019 03:29:30 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार के अंतर्गत खान मंत्रालय ने बॉक्साइट अवशेष सामान्य नाम रेड मड के बेहतर उपयोग के लिए ‘वेस्ट टु वेल्थ’ एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में रेड मड के उत्पादन, उपयोग और निष्पादन के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम अनुसंधान विकास और डिजाइन केंद्र नागपुर के सहयोग से आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता खान मंत्रालय के अपर सचिव डॉ के राजेश्वर राव ने की। एल्यूमिनियम उत्पादन प्रक्रिया के दौरान एक ठोस अपशिष्ट रेड मड का उत्पादन होता है, इसमें कास्टिक सोडा और अन्य खनिजों की उपस्थिति रहती है, जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। विश्वस्तर पर 150 मिलियन टन रेड मड का उत्पादन होता है और लगभग 3 बिलियन टन रेड मड जमा है।
भारत में प्रतिवर्ष 9 मिलियन टन रेड मड का उत्पादन होता है। कार्यशाला में पर्यावरण और जलवायु मंत्रालय, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बीएआरसी, भारतीय खान ब्यूरो, सड़क परिवहन मंत्रालय, एनएचएआई, बीआईएस, सेना के इंजीनियर इन चीफ, शीर्ष तीन एल्मूनियम उत्पादक कंपनियां नाल्को, वेदांता और हिंडाल्को, सीमेंट उद्योग और सिरामिक उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। खान मंत्रालय के सचिव अनिल मुकीम ने कहा कि रेड मड के बेहतर उपयोग का दीर्घकालिक समाधान ढूंढने के लिए सभी हितधारकों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए। कार्यशाला में आवश्यक सरकारी सहायता के साथ बड़े पैमाने पर रेड मड के प्रभावी उपयोग के प्रयासों पर चर्चा की गई, जिसके आधार पर रेड मड के बेहतर उपयोग के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।