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Saturday 3 August 2019 06:01:59 PM
नई दिल्ली। पत्रकार, चिंतक और हिंदुस्थान समाचार के समूह संपादक पद्मश्री रामबहादुर राय को पत्रकारिता और हिंदी भाषा की सेवा के लिए प्रतिष्ठित ‘हिंदी रत्न’ सम्मान से विभूषित किया गया है। एक अगस्त को नई दिल्ली के हिंदी भवन की ओर से उन्हें यह सम्मान संस्था के अध्यक्ष एवं कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने प्रदान किया। हिंदी भवन के मंत्री गोविंद व्यास ने उन्हें एक लाख रुपये की सम्मान राशि और गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओपी कोहली ने वाग्देवी की प्रतिमा भेंट की। रामबहादुर राय ने सम्मान के लिए कृतज्ञता भाव व्यक्त करते हुए कहा कि आज़ादी के बाद हिंदी और भारतीय भाषाओं को उनका उचित दर्जा नहीं मिला, आज भी सत्ता में अंग्रेजी भाषा का दबदबा है, जबकि अबतक अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी और भारतीय भाषाएं विराजमान होनी चाहिएं थीं।
रामबहादुर राय ने स्पष्ट किया कि अंग्रेजी विश्वभाषा है ही नहीं, बल्कि ये तो केवल पांच देशों की भाषा मात्र है। उन्होंने कहा कि असल में ये सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की भाषा है। रामबहादुर राय ने भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए देश में एक अभियान चलाने का भी आह्वान किया। रामबहादुर राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए जाने वाले भाषण में हिंदी भाषा के मुद्दे को भी शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी विश्व में चौथे स्थान पर है, जबकि हमारे प्रयास से हिंदी 55 देशों की भाषा से विश्वभाषा बन सकती है। उन्होंने कहा कि 55 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा हिंदी और भारतीय भाषाओं के अध्यापन की उचित व्यवस्था नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई और मौजूदा सरकार से हिंदी के लिए सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद की।
रामबहादुर राय ने महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू का हिंदी के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने 15 अगस्त 1947 को कलकत्ता में बीबीसी के माध्यम से देश को संदेश देते हुए कहा था कि वह अंग्रेजी भूल गए हैं। रामबहादुर राय ने 4 मार्च 1942 को महात्मा गांधी के जवाहरलाल नेहरू को लिखे एक पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा धर्म है कि हम एक दूसरे से राष्ट्रभाषा में ही संवाद करें। रामबहादुर राय ने कहा कि आरएसएस ने 9 मार्च 2018 की अपनी प्रतिनिधिसभा में हिंदी पर एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें हिंदी के उत्थान का संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि आरएसएस समेत देश का एक बढ़ा हिस्सा हिंदी की उपेक्षा को लेकर चिंतित है।
त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय को हिंदी रत्न सम्मान देने में हिंदी भवन संस्थान गौरवांवित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जयंती पर प्रख्यात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में हिंदी भवन प्रत्येक वर्ष एक अगस्त को यह सम्मान किसी बड़े हिंदी सेवी को देता है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने सम्मान समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में कादम्बिनी के मुख्य कॉपी संपादक संत समीर और रुड़की से आए साहित्यकार व पत्रकार योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण ने भी रामबहादुर राय को हिंदी रत्न सम्मान पर बधाई दी। सम्मान समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, सांसद मनोज सिन्हा, श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति राजीव त्यागी, साहित्यकार डॉ बीएल गौड़ और हिंदी प्रेमी मौजूद थे।