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Monday 5 August 2019 12:27:32 PM
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आईआईटी दिल्ली में प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी टेकएक्स का उद्घाटन किया। टेकएक्स का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय की दो प्रमुख योजना इम्पैक्टिंग रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एवं उच्चतर आविष्कार योजना के तहत विकसित उत्पादों एवं प्रतिकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। एचआरडी मंत्री ने इम्प्रिंट एवं यूएवाई की सभी परियोजनाओं के सार से निहित टेकएक्स वॉल्यूम का भी अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुसंधान पर विशेष जोर देते हैं और उन्होंने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान आज की महती आवश्यकता है और अनुसंधान के जरिए हम विकास के नए आयामों की तरफ जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन भारत में अनुसंधान को एक नई दिशा उपलब्ध कराएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने शोधकर्ताओं से अपील की कि अनुसंधान का विषय संबंधित क्षेत्र की सामाजिक चिंताओं से जुड़ा होना चाहिए, जिससे कि उसका लाभ समाज के आखिरी कतार में खड़े व्यक्ति तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि विकसित देशों के विकास के पीछे वहां विश्वविद्यालयों में किए गए अनुसंधान का विशेष योगदान है और हमारे शैक्षणिक संस्थानों को नए भारत के निर्माण में इसी प्रकार की भूमिका का निर्वाह करना है। एचआरडी मंत्री ने कहा कि टेकएक्स एक अनूठा प्रयास है, जो अनुसंधानकर्ताओं को उनके कार्य को प्रदर्शित करने के लिए एक शानदार मंच प्रदान कराता है और उन्हें उनके संबंधित क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है। प्रदर्शनी में 142 पोस्टरों के अतिरिक्त इम्प्रिंट के तहत 50 माडलों, प्रतिकृतियों एवं यूएवाई के तहत 26 माडलों, प्रतिकृतियों का प्रदर्शन किया गया। कुछ प्रमुख प्रदर्शनों में तेजी से न फैलने वाली और कम लागत वाली त्वरित टीबी डायग्नोस्टिक्स, टाइप-I मधुमेह रोगियों के बंद लूप रक्त शर्करा नियंत्रण के लिए कृत्रिम अग्न्याशय, सस्ती कैंसर निदान या उपचार, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर, रिमोट हेल्थकेयर सिस्टम प्रणाली गैर-संचारी रोगों, कम लागत वाले पर्यावरण अनुकूल आग का पता लगाने और बुझाने की प्रणाली, फलों और सब्जियों में कीटनाशकों का पता लगाने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क प्रणाली इत्यादि शामिल थे।
एचआरडी मंत्री ने कहा कि इनमें से कई उत्पादों का वाणिज्यिक उत्पादन शीघ्र आरम्भ होने वाला है। उन्होंने डीएसटी एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त रूपसे आयोजित टेकएक्स की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे और बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिएं, जो देश में अनुसंधान की दिशा में लोगों की दिलचस्पी को बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि इम्प्रिंट योजना 10 चयनित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों अर्थात स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा, टिकाऊ आवास, नैनो प्रौद्योगिकी हार्डवेयर, जल संसाधन और नदी प्रणाली, उन्नत सामग्री, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, सुरक्षा और रक्षा और पर्यावरण विज्ञान और जलवायु परिवर्तन में व्यवहार्य प्रौद्योगिकी में ज्ञान का अनुवाद करने के द्वारा सबसे अधिक प्रासंगिक इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से नवंबर 2015 में शुरु की गई थी। योजना के तहत कुल 313.30 करोड़ रुपये की लागत से 142 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया। इन परियोजनाओं को संयुक्त रूपसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय और प्रतिभागी मंत्रालय 50:50 के अनुपात में वित्तपोषित करते हैं। एचआरडी मंत्री ने कहा कि उच्चतर आविष्कार योजना यानी यूएवाई की घोषणा एक उच्चतर क्रम के नवोन्मेषण, जो उद्योग की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूपसे प्रभावित करता है और इस प्रकार भारतीय विनिर्माण की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में सुधार लाता है, को बढ़ावा देने के के उद्देश्य से 6 अक्तूबर 2015 को की गई थी।
डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि उच्चतर आविष्कार योजना के तहत 388.86 करोड़ रुपये की कुल लागत से कुल 142 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया है, जिनमें 83 पहले चरण में एवं 59 दूसरे चरण में हैं। उन्होंने बताया कि यूएवाई परियोजनाओं का वित्तपोषण संयुक्त रूपसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय, प्रतिभागी मंत्रालयों एवं उद्योग द्वारा 50:25:25 के अनुपात में किया जाता है और यह योजना एक स्पष्ट उद्योग और शैक्षणिक करार पर फोकस करता है, जिसमें उद्योग अनुसंधान की लागत का एक हिस्सा साझा करते हैं। इस मौके पर उच्चतर शिक्षा विभाग के सचिव आर सुब्रह्मण्यम, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा, दिल्ली, मद्रास, रुड़की आईआईटी के निदेशक, इम्प्रिंट एवं यूएवाई के राष्ट्रीय समन्वयक, सभी संस्थानों के पीआई एवं शोधकर्ता तथा उद्योग साझेदार उपस्थित थे। केंद्रीय विद्यालय एवं दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एआईसीटीई से सम्बद्ध अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के छात्रों को भी प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिससे कि उन्हें अनुसंधान करने और समाज कल्याण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा सके।