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Tuesday 6 August 2019 12:56:13 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कला संस्था ललित कला अकादमी ने अपना 65वां स्थापना दिवस नई दिल्ली में रबींद्रभवन परिसर आर्ट गैलरीज़ में मनाया। इस अवसर पर आयोजित समारोह का उद्घाटन स्वतंत्र प्रभार संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने किया। प्रह्लाद सिंह पटेल ने अकादमी को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह अवसर 64 वर्ष में अकादमी का लक्ष्यों की ओर अग्रसर रहने ओर उसमें उसके प्रदर्शन के अवलोकन एवं मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से संस्कृति मंत्रालय आधुनिक और समकालीन भारतीय कला के साथ प्राचीन कलाओं के प्रचार-प्रसार के लिए अकादमी के प्रयत्नों की सराहना करता है। कला को एक निरंतर चलने वाली साधना बताते हुए उन्होंने कहा कि साधना का मार्ग ईश्वर को पाने का मार्ग है, मीरा ने गाकर, तो तुलसी ने लिखकर ईश्वर को प्राप्त किया और कलाकार कृतियां सृजित करके करता है, इस मार्ग में सकारात्मकता, परिश्रम होगा और जिज्ञासा होगी। उन्होंने भारत सरकार के कल्चरल मैपिंग प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया।
संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर एवं विचारों को आनेवाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का दायित्व कला का होता है और यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अकादमी ने आरम्भ से लेकर 64 वर्ष के लम्बे सफ़र में अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाने का प्रयत्न किया है और उसमें सफल भी रही है। महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिवस वर्ष पर भारत सरकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पूरे वर्ष चलने वाली परंपरा को जारी रखते हुए अकादमी के स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत महात्मा गांधी पर भजन प्रस्तुति की साथ की गई। अकादमी के अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने पुष्पगुच्छ और शॉल से मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर अकादमी के जनरल काउंसिल के सदस्य भी सम्मानित किए गए। संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने कहा कि भारत की कला एवं सांस्कृतिक विरासत सदियों पुरानी है और मुझे ख़ुशी है कि अकादमी इस विरासत को सहेजने का भरसक प्रयास कर रही है। उन्होंने प्रागैतिहासिक भारतीय कला के संयोजन में प्रोफेसर वीएस वाकणकर के अविस्मरणीय योगदान को भी याद किया।
ललित कला अकादमी के अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने अकादमी के सफ़र को याद किया और संस्थान कर्मियों, स्टाफ, कलाकारों एवं कला जगत की शख्सियतों को इस अवसर पर बधाई दी और बताया कि अकादमी का 65वां वर्ष महिला कलाकारों को समर्पित रहेगा। त्रिवार्षिकी भारत और प्रिंट बिनाले जैसे आयोजनों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अकादमी प्रयत्न कर रही है कि त्रिनाले इंडिया और प्रिंट बिनाले जल्द ही आयोजित कराए जाएं, साथ ही लोक व जनजातीय कला का भी एक त्रिनाले इनके सामानांतर ही शुरु कर सकें, जिससे भारत की लोकपरंपरा और कला बड़े प्लेटफार्म से दुनिया तक पहुंचे। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि कोई भी कला तबतक फलीभूत नहीं होती, जबतक वह स्वयं को समाज के सापेक्ष नहीं बनाती और यह प्रसन्नता की बात है कि अकादमी में इस तरह के उपक्रम हो रहे हैं, जो अपने आप को समय के सापेक्ष बना रहे हैं। प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामत और रवींद्र साल्वे ने लाइव पेंटिंग डेमोनस्ट्रेशन दिया और अवधेश अमन की पुस्तक ‘मिथिला की लोक चित्रकला’ का भी लोकार्पण किया गया। समारोह में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गणनायक, कला समीक्षक, कला विद्यार्थी और आमजन मौजूद थे।
ललित कला अकादमी के स्थापना दिवस पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय महिला कलाकार शिविर और अकादमी के संकलन से महिला कलाकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी शामिल हैं। महिला कलाकार शिविर में सोनल वार्ष्णेय, गौरी वेमूला, सुजाता आचरेकर और डॉ नीता योगेंद्र पहाड़िया समेत 12 कलाकार भाग ले रही हैं। प्रसिद्ध कलाकार रवींद साल्वे कार्यकम का संचालन कर रहे हैं। अकादमी के संकलन से विख्यात कलाकार अर्पिता सिंह, गोगी सरोज पाल, माधवी पारेख और ज़रीना हाशमी व वरिष्ठ महिला कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित की गई हैं। भारतीय सशस्त्रबलों को समर्पित पोस्ट कार्ड की भी एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन ललित कला अकादमी ने किया है। पोस्ट कार्ड्स प्रदर्शनी का क्युरेशन उत्तर प्रदेश के कलाकार समीक्षक भूपेंद्र कुमार अस्थाना और उनके एनजीओ सप्रेम फाउंडेशन ने किया है। रबींद्रभवन ललित कला दीर्घा में ये प्रदर्शनियां दर्शकों और कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ सोमवार 12 अगस्त 2019 तक प्रातः 11 से शाम 7 बजे तक रोज़ाना खुली रहेंगी।