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Saturday 10 August 2019 06:28:15 PM
रांची। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि मीडिया राष्ट्रीय संसाधन है, जिसे पत्रकारबंधु जनविश्वास या ट्रस्ट में प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद और मीडिया एक दूसरे के सहयोगी हैं, दोनों ही संस्थान जनभावनाओं को अभिव्यक्ति देते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आज जब हम बढ़ती और बदलती जनअपेक्षाओं के युग में रह रहे हैं, तब आवश्यक है कि हमभी अपने स्थापित पूर्वाग्रहों को त्यागें और जनापेक्षाओं को स्वर दें। उन्होंने कहा कि मीडिया को भी विकासवादी सकारात्मक राजनीति का वाहक बनना होगा, मीडिया सरकारों और राजनैतिक दलों की जवाबदेही अवश्य तय करे, परंतु उसके केंद्र में जनसरोकार हों न कि सत्ता संस्थान। उन्होंने कहा कि मीडिया यथा स्थितिवादी राजनीति में बदलाव का कारक बने और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर जनकेंद्रित मुद्दे उठाए। उपराष्ट्रपति ने झारखंड प्रदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र प्रभात ख़बर के 35वें वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए।
मीडिया की सकारात्मक भूमिका को सामाजिक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वच्छता अभियान को जनआंदोलन बनाने में मीडिया की भूमिका अभिनंदनीय रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया स्थानीय समुदाय में नागरिकों के सकारात्मक प्रयासों, परिवर्तनों से वृहत्तर देश को अवगत कराए, सामुदायिक स्तर पर जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, नवउद्यम जैसे सकारात्मक प्रयासों को पत्रकारिता में स्थान दें, इससे जनता का विश्वास और सामुदायिक चेतना बढ़ेगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव भविष्य के विकास के ऐजेंडे पर लड़े जाने चाहिएं, उम्मीदवार के आचरण, विचारधारा, क्षमता और निष्ठा के आधार पर चुनाव होना चाहिए, न कि जाति, धर्म, बाहुबल, धन बल या आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर। राज्य में होने वाले आगामी चुनावों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद राज्य में फिर चुनाव होंगे और एक बार पुन: मीडिया को अवसर मिलेगा कि वह जनसरोकारों, जनभागीदारी को चुनाव के केंद्र में रखे। उन्होंने कहा कि प्राय: देखा गया है कि चुनाव के दौरान मीडिया में मतदान और मतदाताओं के जातीय विश्लेषण किए जाते हैं, इससे समाज में जातीय और सांप्रदायिक विभाजन और गहरे होते हैं, जो स्वस्थ राजनीति के उद्देश्य को ही विफल कर देते हैं। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि देश में लोकतंत्र के नए संस्कारों को विकसित करें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव हमारे नागरिकों विशेषकर युवाओं की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति है और मीडिया जाति, धर्म के संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठकर युवाओं, महिलाओं, किसानों, उद्यमियों की अपेक्षाओं को स्वर दे। इलेक्ट्रानिक मीडिया के दौर में प्रेस के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शब्दों का सौंदर्य, विचारों का विस्तार, पत्रकारिता की गंभीरता, अभिव्यक्ति की मर्यादा-अखबार के पन्नों में ही दिखते हैं, टेक्नोलॉजी के इस युग में मीडिया के नए माध्यम तो आएंगे ही लेकिन लिखे हुए शब्दों की मर्यादा सदैव बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश का प्रतिष्ठित समाचार पत्र प्रभात ख़बर 80 के दशक में मात्र 500 सरकुलेशन से आरंभ आज 8 लाख से अधिक सरकुलेशन तक पहुंच गया है, इसके लगभग 1.5 करोड़ पाठक हैं, बिहार, बंगाल और झारखंड में आपके 10 संस्करण प्रकाशित होते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह उपलब्धि निर्भीक पत्रकारिता के प्रति निष्ठा और उसमें जनता के विश्वास को दर्शाती है, यह भारतीय पत्रकारिता के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रेस की स्वतंत्रता बेशकीमती है, जिसे कोई भी देश नहीं खोना चाहेगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के दौर में भी प्रिंट मीडिया का महत्व बरकरार है। उन्होंने कहा कि अखबारों के ऑनलाइन संस्करण आने से न केवल अखबारों की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, बल्कि अब अखबारों के किसी भी संस्करण को और यहां तक कि पुराने अखबारों को कहीं पर भी, किसी समय भी, अपने स्मार्टफोन और पढ़ा जा सकता है। समारोह में बड़ी संख्या में मीडिया सदस्य और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।