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Friday 23 August 2019 12:57:09 PM
पणजी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पणजी में पश्चिमी अंचल परिषद की 24वीं बैठक हुई, जिसमें गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, केंद्रशासित प्रदेश दमन दीव, दादरा एवं नागर हवेली के प्रशासक, भारत सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। गृहमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह बैठक फलदायी होगी, जहां केंद्र-राज्य और अंतरराज्य से संबंधित सभी मुद्दों को आम सहमति से हल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के संघीय ढांचे को और मजबूत करने के फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिम क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र के राज्य सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 24 प्रतिशत और देश के कुल निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं, इसलिए राज्यों और केंद्र के बीच सभी लंबित मुद्दों को पश्चिमी जोनल काउंसिल के माध्यम से प्राथमिकता पर हल करने की आवश्यकता है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र के राज्य अपने सहकारी क्षेत्र को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहे हैं, जोन के राज्य चीनी, कपास, मूंगफली और मछली के बड़े निर्यातक हैं और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे एजेंडे में सूचीबद्ध मुद्दों के अलावा कानून और व्यवस्था तथा प्रशासनिक सुधारों से संबंधित मुद्दों को भी वह जोड़कर उनपर चर्चा करना चाहते हैं, ताकि परिषद की बैठक देश के विकास को और अधिक तेज गति देने में सहायक हो। उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में बाढ़ पीड़ितों के लिए गहरी चिंता व्यक्त की और राज्यों से अनुरोध किया कि वे बाढ़ से हुए नुकसान का जल्द आकलन करें और भारत सरकार को अपनी आवश्यकता भेजें। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए एक बड़ी पहल की है, जिसके अंतर्गत अब पहले से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए टीमों का गठन करने का प्रावधान कर दिया गया है।
पश्चिमी आंचलिक परिषद ने पिछली बैठक में की गई सिफारिशों के कार्यांवयन की प्रगति की समीक्षा की और उन मुद्दों पर विशेष ध्यान आकर्षित किया, जिनमें झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए अधिशेष नमक पैन भूमि के उपयोग के लिए महाराष्ट्र सरकार का मास्टर प्लान प्रस्तुत करना। उन गांवों का कवरेज, जो पांच किलोमीटर के रेडियल दूरी के भीतर बिना किसी बैंकिंग सुविधा के रहते हैं, उनतक भी सभी सुविधाएं पहुंचाना। लाभार्थी उन्मुख योजनाओं के संबंधित पोर्टल से वास्तविक समय की जानकारी एकत्र करके योजना, ग्रामवार विवरणों को शामिल करने के लिए डीबीटी पोर्टल का संवर्द्धन करना। समुद्री मछुआरों के विवरण के सत्यापन के लिए आधार कार्ड पर एंक्रिप्टेड क्यूआर कोड के अभिनव समाधान को कार्यांवित करना। राज्यों द्वारा एक महीने के भीतर प्रिंट आउट लेने या कार्ड बनाना, ताकि सभी के पास नवीनतम क्यूआर कोड वाला आधारकार्ड हो। बारह वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ यौन अपराधों या बलात्कार की जांच और सुनवाई 2 महीने के भीतर में पूरी करने के लिए विस्तृत निगरानी तंत्र स्थापित करना।
गृहमंत्री ने पश्चिमी राज्यों का भारतीय दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में सुधार के लिए सुझाव देने का भी आह्वान किया। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे नारकोटिक्स, पोस्को अधिनियम, हत्याओं आदि जैसे जघन्य अपराधों में मुख्य सचिव के स्तरपर जांच और अभियोजन के मामलों में नियमित निगरानी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए बिना किसी और विलंब के राज्यों को निदेशक के पद को भरना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम के तहत अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता है, सटीक जांच और उच्च विश्वास सुनिश्चित करने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब्स को भी मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने राज्यों में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गृह सचिव और विशेष सचिव (अंतर-राज्यीय काउंसिल) वीडियो सम्मेलन के माध्यम से ऊपर वर्णित विभिन्न क्षेत्रों में सभी निर्णयों की नियमित निगरानी करेंगे। जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के निर्णय का महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने स्वागत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह निर्णय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास और देश के बाकी हिस्सों के साथ इस प्रदेश के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
पांच जोनल काउंसिल यानी पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी और मध्य जोनल काउंसिल की स्थापना राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम-1956 के तहत की गई थी, ताकि राज्यों के बीच अंतरराज्य सहयोग और समन्वय स्थापित किया जा सके। आंचलिक परिषदों को आर्थिक और सामाजिक नियोजन, सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यक या अंतरराज्यीय परिवहन आदि के क्षेत्र में आमहित के किसी भी मामले पर चर्चा करने और सिफारिश करने के लिए अनिवार्य किया जाता है। आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूपसे एक दूसरे से जुड़े इन राज्यों के सहकारी प्रयासों का यह एक क्षेत्रीय मंच है। उच्चस्तरीय निकाय होने के नाते यह मंच सम्बंधित क्षेत्रों के हितों की देखभाल तथा क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में सक्षम है।