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Friday 30 August 2019 05:13:27 PM
नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा है कि ई-कॉमर्स में लोगों को डेटा के उपयोग के लिए एक सावधानीपूर्ण निरीक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसे जब आधुनिक प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाता है तो यह विभिन्न मंचों को अप्रत्याशित बाज़ार शक्ति देता है, इसे उपभोक्ताओं के लाभ के लिए उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसका उपभोक्ताओं को हानि पहुंचाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। डॉ राजीव कुमार ने यह बात भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के ‘ई-कॉमर्सः भारत में बदलता प्रतिस्पर्धा परिदृश्य’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में सीसीआई और अन्य नियामकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे इस चुनौती का सामना करने के लिए उद्योग के साथ मिलकर काम करें।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने साक्ष्य आधारित विनियमन को सक्षम बनाने के लिए अनुसंधान आधारित नीति निर्माण के लिए ई-मार्केट अध्ययन की जरूरत पर जोर देने के लिए सीसीआई को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत 9वीं सबसे बड़ी ई-कॉमर्स अर्थव्यवस्था है, ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट की पहुंच से इसके दूसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। उन्होंने ई-कॉमर्स की सुविधा के लिए नीति-निर्माताओं और नियामकों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह खरीददारों, विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि जीडीपी में बढ़ोतरी होने से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के सहअस्तित्व के लिए पर्याप्त स्थान है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए बाजार की शक्ति एकाधिकार की स्थिति में न पहुंचे सीसीआई को बड़ी भूमिका निभानी है।
सीसीआई के चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि बाज़ार सहभागियों तक सक्रिय रूपसे पहुंच बनाने के लिए तथा किसी क्षेत्र को बेहतर रूपसे जानने और अच्छे नीति निर्माण पर आधारित सुधारों की पहचान करने के लिए बाज़ार अध्ययन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के विकास से प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होने, सूचना पारदर्शिता लाने, उपभोक्ता की पसंद में भारी वृद्धि करने, बाज़ार मॉडलों में नवाचार को गति प्रदान करने तथा सहायता प्रदान करने की काफी संभावना है, लेकिन यह अन्य बाजारों की तरह डिजिटल बाज़ार प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण के लिए अगम्य नहीं है, इसलिए प्रतिस्पर्धा प्राधिकारियों को ई-बाजार खुले और प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए बड़ी भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल बाजारों की किस प्रकार देखरेख करनी चाहिए इसके लिए ऐसा अध्ययन किए जाने की जरूरत है कि ये पारिस्थितिकी तंत्र परम्परागत बाज़ार विन्यासों से किस प्रकार अलग हैं और प्रतिस्पर्धा विश्लेषण के क्या-क्या मानदंड होने चाहिएं? उन्होंने कहा कि अध्ययन और इस कार्यशाला का उद्देश्य परिचर्चा का कम तात्विक और व्यवहारिक दृष्टि से अधिक संचालन करना है।
कार्यशाला में विशिष्ट ई-कॉमर्स व्यापार जैसे-ऑनलाइन भोजन डिलीवरी, ऑनलाइन होटल बुकिंग और ऑनलाइन खुदरा खरीददारी को समर्पित पैनल पर चर्चा हुई। इसमें ई-कॉमर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के वरिष्ठ अधिकारियों, वाणिज्यिक क्षेत्र कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार, थिंक टैंक, संबंधित उद्योग और व्यापार संघों के प्रतिनिधि, आतिथ्य क्षेत्र के पेशेवरों, जाने-माने नौकरशाहों ने ई-कॉमर्स के सामने आ रही चुनौतियों और मुद्दों के बारे में व्यापक रूपसे चर्चा की। चर्चा में ई-कॉमर्स बाजार स्थल और परम्परागत बाजारों के साथ इसके इंटरफेस दोनों में प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित और संरक्षित करने की जरूरत पर भी विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला नीति और विनियमन के मध्य सहभागी संबंध और प्रतिस्पर्धी परिदृश्य पर इसके प्रभाव पर विचार-विमर्श के साथ समाप्त हुई।