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Saturday 31 August 2019 05:05:06 PM
नई दिल्ली। संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने फिट इंडिया अभियान के तहत नई दिल्ली में हुमायूं के मकबरे में सुबह की सैर की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि फिटनेस के सम्बंध में जागरुकता भारतीय संस्कृति और विरासत का हिस्सा है, हमें अपने रोजमर्रा के जीवन में बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग, कसरत, पैदल चलना और इससे जुड़े कार्य करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि तंदुरुस्ती हजार नियामत है और एक स्वस्थ शरीर होने पर ही हम अपने भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। प्रह्लाद सिंह पटेल ने नागरिकों का आह्वान किया कि वे ‘फिट इंडिया अभियान’ को जन आंदोलन बनाने के लिए इसमें भाग लें। पर्यटन राज्यमंत्री ने हुमायूं के मकबरे के परिसर में नीला गुम्बद आम जनता के प्रवेश के लिए खोल दिया है। आम जनता हुमायूं मकबरा परिसर के अंदर से इसतक पहुंच सकती है।
उल्लेखनीय है कि नीला गुम्बद मुगलकाल की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है और इसे 1530 में बनाया गया था। नीले गुम्बद को यमुना में एक द्वीप पर बनाया गया था और बाद में 1569-70 में जब हुमायूं के मकबरे का निर्माण किया गया तो इसे और आसपास की अन्य संरचनाओं को परिसर में शामिल कर लिया गया था। नीला गुम्बद को गुम्बद में लगी नीले रंग की टाइलों के कारण यह नाम दिया गया था। नीला गुम्बद का महत्व 19वीं शताब्दी में कम होना शुरु हो गया था, जब नीला गुम्बद उद्यान के उत्तरी भाग को रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए ले लिया गया था और निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन का निर्माण कर दिया गया था, स्मारक इसके साथ ही लगा हुआ है। हुमायूं के मकबरे से 1980 में नीला गुम्बद को अलग करते हुए एक सड़क बना दी गई और बाद में इसपर 200 से अधिक झुग्गियों की अवैध बस्ती का कब्जा हो गया। इसकी चमक-दमक वापस लाने के लिए सबसे पहले रेलवे के साथ हुए समझौते के अनुसार अवैध बस्तियों को 2004-05 में और बाद में 2014 में दोबारा बसाया गया। स्मारक को हुमायूं के मकबरे से अलग करने वाली सड़क को स्थानांतरित किया गया, ताकि हुमायूं के मकबरे से नीला गुम्बद तक पहुंचने की अनुमति दी जा सके।
हुमायूं के मकबरे के आसपास प्राकृतिक दृश्य को बहाल किया गया है और एक वैकल्पिक सड़क बनाई गई है। स्मारक की चमक-दमक वापस लाने के लिए परिसर में भट्ठे स्थापित किए गए, हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती के युवाओं को नियुक्त किया गया और खोई हुई शिल्पपरंपरा को पुनर्जीवित किया गया। छत की ज्यामितीय और कलात्मक रचनाएं जो वर्षों से सफेदी और सीमेंट की अनेक परतों के नीचे छिप गई थीं, वह सामने आ गईं और गायब पर्दानुमा बलुआ पत्थर की जालियों को फिर से लगाया गया। रेलवे से प्राप्त भूमि के एक हिस्सा को दोबारा इस तरह विकसित किया गया, ताकि मकबरे के आसपास के मूल उद्यान के हिस्से को फिर से बनाया जा सके। मकबरे में संरक्षण कार्य के दौरान एक ढालू रास्ते के पुरातात्विक अवशेष भी मिले। माना जाता है कि इस ढालू रास्ते का इस्तेमाल हुमायूं के मकबरे के निर्माण के लिए नावों से यहां पहुंचने वाले पत्थरों और अन्य निर्माण सामग्री को चढ़ाने के लिए किया जाता था। मकबरे की पूर्वी दीवार के साथ मूल नदी के तल को बहाल करने के लिए 10 फुट से अधिक संचित गाद को हटाया गया, इससे नीला गुम्बद के उत्तरी तोरण पथ का पता चला, जिसका बाद में दोबारा निर्माण किया गया। मकबरे के संरक्षण का कार्य आगा खां ट्रस्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से किया। वर्ष 2017 में यूनेस्को ने हुमायूं के मकबरे के विस्तारित विरासत स्थल के हिस्से के तहत नीला गुम्बद को वैश्विक धरोहर घोषित किया था।