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Saturday 16 May 2020 10:46:08 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से संस्कृति पर्व पत्रिका के विशेषांक 'भारत 1946-2020 नोआखाली से दिल्ली तक' के ई-संस्करण का लोकार्पण किया। पत्रिका संस्कृति पर्व के विशेषांक 'नोआखाली से दिल्ली तक' में भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय का अंतिम वक्तव्य जो 1946 के कल्याण विशेषांक में छपा था, उसे पुनः प्रकाशित किया गया है। अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि धर्म, अध्यात्म और दर्शन के साथ-साथ अपने वास्तविक इतिहास की स्थापना बहुत जरूरी है और संस्कृति पर्व पत्रिका इस लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है। संस्कृति पर्व पत्रिका भारतीय संस्कृति, दर्शन, साहित्य एवं अध्यात्म के विषयों पर केंद्रित है और इसका प्रकाशन पिछले दो वर्ष से हो रहा है। संस्कृति पर्व के इस विशेष अंक को अभी तक प्रकाशित अंकों से अलग हटकर प्रकाशित किया गया है। देश में विगत कुछ महीनों में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण यह विशेषांक विशेष वाचनीय और प्रासंगिक है।
अमित शाह ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष की बात है कि भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने जिस तरह गीता प्रेस से 'कल्याण पत्रिका' का प्रकाशन किया, उसी तरह संस्कृति पर्व उनकी जैसी विचार शैली और आध्यात्मिक पत्रकारिता को आगे बढ़ा रहा है। हिंदी संस्कृत के समृद्धशाली प्रचार-प्रसार, भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म, भारतीय चिंतन, पुरातत्व स्थलों और महापुरुषों की महिमाओं के अनुकरणीय वर्णन, लेखकों और रचनाकारों के प्रोत्साहन में गीता प्रेस गोरखपुर के वृहद योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि गीता प्रेस शब्द जेहन में आते ही एक तस्वीर उभरकर सामने आती है और मष्तिष्क मानस को भारतीयता से भर देती है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की महान प्राचीन गौरवशाली परम्पराओं और आधार ग्रंथों के बारे में यदि पूरी दुनिया को आज कोई भी जानकारी मिल सकती है तो यह गीता प्रेस गोरखपुर की ही देन है। उनका कहना था कि जनमानस को विभिन्न प्रकार से रामचरित मानस और श्रीमद्भगवत गीता जैसे ग्रंथ गीता प्रेस ने ही प्रकाशित किए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज यदि दुनिया योग दिवस मना रही है तो इसके पीछे भी पतंजलि योग सूत्र से जुड़े हर साहित्य की उपलब्धता गीता प्रेस गोरखपुर ने संभव बनाई है, आज की दुनिया जिन कारणों से भारत को पसंद करने लगी है, उनमें से प्रमुख कारण इसकी आध्यात्मिकता ही है। अमित शाह ने कहा कि भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार आधुनिक भारत के सांस्कृतिक इतिहास के महाप्रणेता हैं, वे भारत की स्वाधीनता संग्राम के योद्धा तो थे ही, उससे भी बहुत बड़े वह भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। अमित शाह ने कहा कि जब देश में स्वाधीनता संग्राम चल रहा था, तब भारतीय सनातन संस्कृति को आधार बनाकर भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने प्रकाशन एवं पत्रकारिता की नींव रखी थी, पोद्दारजी के बाद उस धरातल पर काम करने की परम्परा आज ‘संस्कृति पर्व’ जैसी पत्रिकाएं आगे बढ़ा रही हैं। अमित शाह ने कहा कि संस्कृति पर्व के इस अंक में प्रकाशित सामग्री को जुटाने और उसको प्रामाणिक बनाने के लिए इसकी संपादकीय टीम ने काफी परिश्रम किया है, मैं इस महान कार्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।