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Monday 8 June 2020 03:00:02 PM
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय प्रयागराज में अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में आह्वान किया कि विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कौशल तकनीक संवर्द्धन, स्थानीय संसाधनों और श्रम शक्ति को सशक्त करते हुए इस अभियान में सहयोग करें, जिससे समाज और राष्ट्र स्वस्थ, सतर्क एवं सशक्त बने। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश की शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार की अनेक सम्भावनाएं हैं, शिक्षाविद् ऑनलाइन कोर्सेज चलाने एवं ऑनलाइन परीक्षा कराने के विषय पर गम्भीरता से सोचें और अपने सुझाव रखें, जिससे शिक्षण एवं परीक्षा प्रणाली के भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा आदर्श विकल्प नहीं है, परंतु इससे शिक्षा के स्वरूप को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण जनजीवन और आजीविका को पहुंचने वाली चोट इस सदी की सबसे बड़ी चोट है, ऐसे समय में विश्वविद्यालयों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना संकट के समय राज्य विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं प्रारम्भ हो चुकी थीं या प्रारम्भ होने वाली थीं, तब इस वैश्विक महामारी के कारण अचानक ही सबकुछ रोक देना पड़ा, अब हम सभी धीरे-धीरे इस संकट से बाहर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘जान भी और जहान भी’ को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को पुनः कैसे प्रारम्भ किया जाए, सत्र नियमन बिगड़ने न पाए तथा छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार के निर्देशित मानकों के अनुसार व्यापक कार्ययोजना बननी चाहिए।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन, परीक्षा, शोध, शिक्षण सहित अन्य कार्य भविष्य की सुरक्षा के साथ किए जाने चाहिएं। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश के विकास का रास्ता उन्नत गांव से होकर गुजरता है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और केंद्र एवं राज्य सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण आर्थिक समस्याओं से जुझे रहे ग्रामीण परिवारों को रोज़गार से जोड़ने के लिए अनेक कल्याणकारी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय ग्रामीण संसाधनों, श्रम शक्ति और कृषि तकनीकी को समृद्ध करने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय गांव और किसानों के साथ मजबूती से खड़े होने का है। इस अवसर पर प्रयागराज की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय, छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति प्रोफेसर जेवी वैश्म्पयान, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरएस दुबे एवं देश-विदेश से भी महानुभाव वेबिनार से जुड़े।