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Thursday 11 June 2020 06:35:14 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय वाणिज्य मंडल 95 वर्ष से देश की निरंतर सेवा में है जो किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि आईसीसी का पूर्वी भारत और उत्तर पूर्व के विकास में बड़ा योगदान है, यहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स ऐतिहासिक हैं, जिसके लिए मैं आईसीसी के प्रत्येक महानुभाव का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने उल्लेख किया कि आईसीसी ने 1925 में अपने गठन के बाद आज़ादी की लड़ाई देखी है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है, आईसीसी भारत के विकास पथ का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने भारतीय वाणिज्य मंडल यानी आईसीसी के 95वें पूर्ण अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भी पूरी दुनिया के साथ बहादुरी से आगे बढ़कर इसका मुकाबला कर रहा है। उन्होंने भारत-चीन सीमा पर लद्दाख क्षेत्र में कब्जा करने के उद्देश्य से चीन के सैन्य जमावड़े का ज़िक्र किए बिना कहा कि देश और भी समस्याओं का भी सामना कर रहा है जो टिड्डियों के हमले, ओलावृष्टि, तेल क्षेत्र में आग लगने, कहीं भूकम्प के हल्के झटके और दो चक्रवाती तूफान के कारण उत्पन्न हुई हैं, लेकिन देश इन सभी समस्याओं से एकजुट होकर लड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के कठिन समय ने भारत को और भी मजबूत बना दिया है। उन्होंने कहा कि दृढ़ता, आत्मविश्वास और एकजुटता देश की ताकत है जो देश को सभी संकटों से मुकाबला करने के योग्य बनाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी संकट हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम उसे निर्णायक परिवर्तन की स्थिति में बदल दें, ताकि एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भरता वर्षों से भारत की आकांक्षा है, अब समय आ गया है, जब देश के प्रत्येक गांव, जिले को आत्मनिर्भर बनाया जाए। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘कमांड और कंट्रोल’ मोड से निकालने और उसे ‘प्लग और प्ले’ मोड की तरफ ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह समय साहसिक फैसले लेने और निवेश करने का है, ताकि हम रूढ़िवादी परिप्रेक्ष्य में नहीं बल्कि वैश्विक रूपसे प्रतिस्पर्धी घरेलू आपूर्ति श्रृंखला तैयार कर सकें। उन्होंने उन क्षेत्रों की सूची बताई जिसमें भारत को आत्मनिर्भरता हासिल करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा देश की नीति और व्यवहार में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है और अब कोरोना महामारी ने हमें यह सिखाया है कि इस कार्य में कैसे तेजी लाई जा सकती है। उन्होने कहा कि इसी सबक के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू हो गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सभी को भारत को उन सभी उत्पादों का निर्यातक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जिन्हें हम वर्तमान में आयात करने के लिए मजबूर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे व्यापारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जब हम उनसे स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं तो हम उन्हें न केवल उनके माल और सेवाओं के लिए भुगतान कर रहे हैं, बल्कि उनके योगदान को पुरस्कृत भी कर रहे हैं। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत किया कि वर्तमान में काम करने की सबसे सरल विधि भारतीयों को अपने उत्पाद का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना और अन्य देशों में भारतीय उत्पादों के लिए बाज़ार प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का दिखाया गया यह मार्ग कोविड के बाद की दुनिया में भारत के लिए एक प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत घोषित बड़े सुधारों को सूचीबद्ध किया जैसे-एमएसएमई की परिभाषा का विस्तार करना, एमएसएमई को सहायता देने के लिए विशेष धन की व्यवस्था करना, आईबीसी से संबंधित फैसले, निवेशों की शीघ्र निपटान सुविधा के लिए परियोजना विकास प्रकोष्ठों का गठन करना।
भारत के कृषि क्षेत्र में हाल ही में लिए गए नीतिगत फैसलों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था को कई वर्ष के प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया गया है, अब भारत के किसानों को देश में कहीं भी अपना उत्पाद और अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों के लिए सरकार का मौजूदा क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण सभी के लिए अवसर प्रदान करेगा, इनसे जुड़े समूहों को जिलों, ब्लॉकों में विकसित किया जाएगा, जिसमें वे पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बांस और जैविक उत्पादों के लिए भी क्लस्टर बनाए जाएंगे, सिक्किम की तरह पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक खेती का एक बड़ा केंद्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती पूर्वोत्तर में एक बहुत बड़ा आंदोलन बन सकती है, अगर इसकी वैश्विक पहचान बना दी जाए और वैश्विक बाजार पर इसका वर्चस्व कायम हो जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माण के क्षेत्र में बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को फिर से जीवित करने का आह्वान किया। बंगाल आज क्या सोचता है, भारत कल सोचता है से प्रेरणा लेते हुए प्रधानमंत्री ने उद्योग से आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि लोग, पृथ्वी और लाभ एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, तीनों एक साथ फल-फूल सकते हैं और मिल-जुलकर रह सकते हैं। विस्तार से बताते हुए उन्होंने 6 साल पहले की तुलना में एलईडी बल्बों की कीमत में कमी का एक उदाहरण दिया, जिससे हर साल बिजली के बिलों में लगभग 19 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है, यह लोगों और पृथ्वी दोनों के लिए लाभदायक हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 5-6 वर्ष में सरकार की अन्य योजनाएं और फैसले लोगों की अवधारणा, पृथ्वी और मुनाफे पर आधारित हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जलमार्ग का उपयोग करने से लोगों को क्या लाभ मिलता है, यह कैसे रसद की लागत को कम करता है और कम ईंधन के जलने से पृथ्वी भी लाभांवित होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और उदाहरण दिया, देश को एकल उपयोग प्लास्टिक से मुक्त करने का अभियान। उन्होंने कहा कि इससे जूट व्यवसाय को आगे बढ़ाकर पश्चिम बंगाल को फायदा होगा। उन्होंने उद्योग जगत से इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों पर केंद्रित, लोगों पर आधारित और पृथ्वी के अनुकूल विकास का दृष्टिकोण अब देश में शासन का हिस्सा बन चुके हैं, हमारा तकनीकी हस्तक्षेप लोगों, पृथ्वी और लाभ के विचार के अनुरूप है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेवाएं टचलेस, कॉन्टैक्टलेस, कैशलेस हो गई हैं और यूपीआई के माध्यम से 24x7 काम करती हैं, भीम ऐप से लेन-देन अब नए रिकॉर्ड बना रहा है, रुपे कार्ड अब गरीबों, किसानों, मध्यम वर्ग और देश के हर वर्ग का पसंदीदा कार्ड बन गया है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए रूपे कार्ड के उपयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अब देश में बैंकिंग सेवाएं उन जगहों पर भी पहुंच गई हैं, जहां पहले नहीं थीं। उन्होंने कहा कि डीबीटी, जेएएम के माध्यम से लीकेज के बिना लाखों लाभार्थियों को आवश्यक सहायता पहुंचाना संभव हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि कैसे छोटे स्वयं सहायता समूह, एमएसएमई अपनी वस्तुएं और सेवाएं सीधे भारत सरकार को जीईएम प्लेटफॉर्म पर प्रदान करके लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वह अनुसंधान, विकास तथा बेहतर बैटरियों के निर्माण में निवेश करे, ताकि देश में सोलर पैनल की ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके। उन्होंने एमएसएमई जैसे संस्थानों को सहायता प्रदान करने का आह्वान किया, जो इस काम में लगे हुए हैं। गुरुवर रबींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता नूतन जुगेर भोर से उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत को वर्तमान चुनौतियों में उपलब्ध अवसरों को समझने के लिए प्रेरित किया और कहा कि हर आगे बढ़ने वाले कदम नया रास्ता बना देंगे, अब कोई देरी नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने पूर्व भारत और पूर्वोत्तर में उद्योगों के विकास के लिए आईसीसी के योगदान को दोहराया और उसकी सराहना की।