स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 12 June 2020 12:24:18 PM
मुंबई। भारत में जलवायु परिवर्तन से बढ़ते तापमान और मानसून में बदलाव से अत्यधिक वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई महानगर लम्बी अवधि वाली बाढ़ों की त्रासदी झेलता आ रहा है। मुंबई को 29 अगस्त 2017 को बाढ़ से जूझना पड़ा, जिससे अपनी जल निकासी प्रणालियों के बावजूद मुंबई शहर ठहर गया था। मुंबई के प्रत्येक नागरिक के मानस पटल पर 26 जुलाई 2005 को आई बाढ़ की स्मृतियां शायद ताज़ा होंगी, जब शहर में 24 घंटे में 100 साल के कालखंड में सबसे अधिक 94 सेंटीमीटर बारिश हुई और शहर पूरी तरह से पंगु बनकर रह गया। बाढ़ के लिए तैयारी के रूपमें लोगों को चेताया जाना चाहिए, ताकि वे बाढ़ आने से पहले हालात से निपटने के लिए तैयार हो सकें।
बाढ़ की आशंका वाले शहर में निवारक उपायों की सहायतार्थ ग्रेटर मुंबई नगर निगम ने मुम्बई के लिए एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली आईफ्लोस-मुंबई विकसित करने हेतु पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से अनुरोध किया था, जिसको पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम के तालमेल से मंत्रालय के भीतर उपलब्ध विभागीय दक्षता पर जुलाई 2019 में मुंबई शहर के लिए अत्याधुनिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली के रूपमें विकसित किया है, इसमें शहर की प्रतिरोध क्षमता में सुधार के लिए विशेष रूपसे अत्यधिक वर्षा की घटनाओं और चक्रवातों के दौरान मुम्बई के लिए प्रारंभिक चेतावनी का प्रावधान किया गया है। बाढ़ चेतावनी प्रणाली को आज औपचारिक रूपसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने संयुक्त रूपसे शुरू किया।
आईफ्लोस एक मॉड्यूलर संरचना पर बनाया गया है, इसमें डेटा एसिमिलेशन, फ्लड, इनड्यूशन, वल्नेरेबिलिटी, रिस्क, डिसिमिनेशन मॉड्यूल और डिसीजन सपोर्ट सिस्टम जैसे सात मॉड्यूल हैं। सिस्टम में एनसीएमआरडब्ल्यूएफ, आईएमडी से मौसम मॉडल, आईआईटीएम, एमसीजीएम और आईएमडी द्वारा स्थापित वर्षा गेज नेटवर्क स्टेशनों से क्षेत्र डाटा, भूमि उपयोग पर थीमेटिक लेयर, एमसीजीएम द्वारा बुनियादी ढांचे आदि प्रदान किए गए हैं। मौसम मॉडल के इनपुट के आधार पर बरसात को बहते पानी में बदलने और नदी प्रणालियों में प्रवाह इनपुट प्रदान के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडल का उपयोग किया जाता है। चूंकि मुंबई एक द्वीप शहर है, इसकी कनेक्टिविटी समुद्र के साथ है, इसलिए शहर पर ज्वार और तूफान के प्रभाव की गणना करने के लिए हाइड्रोडायनामिक मॉडल और तूफान वृद्धि मॉडल का उपयोग किया जाता है।
इस प्रणाली में शहर के भीतर शहरी जल निकासी ज्ञात करने और बाढ़ वाले क्षेत्रों के पूर्वानुमान के प्रावधान हैं, जिनको फाइनल सिस्टम में शामिल किया जाएगा। एनसीसीआर द्वारा एमसीजीएम और आईएमडी मुंबई के सहयोग से मिथी, दहिसर, ओशिवारा, पोइसर, उल्हास, झीलों और क्रीक सभी नदियों से रिवर बैथीमीटरी डाटा लिया गया था। भूमि स्थलाकृति, भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचा, जनसंख्या आदि, एमसीजीएम द्वारा उपलब्ध कराये गए थे और जीआईएस में थीमैटिक लेयर्स का उपयोग करके वार्ड स्तर पर बाढ़ के स्तर का सटीक अनुमान लगाने के लिए इसे डिसीजन सपोर्ट सिस्टम में जोड़ा गया था। बाढ़ के संपर्क में आने वाले तत्वों की भेद्यता और जोखिम की गणना करने के लिए एक वेब जीआईएस आधारित डिसीजन सपोर्ट सिस्टम निर्मित किया गया है।