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'अदूरदर्शी नियोजनकर्ताओं के हाथों में उत्तराखंड'

राज्य सरकार में दर्जाधारियों को हटाए रावत सरकार-जगत मर्तोलिया

जगत मर्तोलिया ने अपने ही घर पर सरकार के खिलाफ धरना दिया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 14 June 2020 07:54:39 PM

district panchayat member jagat martolia

पिथौरागढ़। उत्तराखंड सरकार के दायित्वधारियों को हटाने की मांग को लेकर आज जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने अपने घर पर ही धरना दिया। उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ एकल नारेबाजी भी की और कहा कि कोरोना महामारी के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति नाजुक दौर में है, ऐसे में सरकार को वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए सरकार के दर्जाधारियों को हटा देना चाहिए। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने दो दिन पहले धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। घोषित कार्यक्रमानुसार जगत मर्तोलिया ने अपने घर में दो घंटे धरना दिया और धरने के दौरान एकल नारेबाजी करके राज्य सरकार को चेताया।
जगत मर्तोलिया इस मौके पर आरोप लगाया कि पहले से ही कर्ज में डूबा उत्तराखंड राज्य अदूरदर्शी नियोजनकर्ताओं के हाथों में आकर इस समय और भी ज्यादा कर्ज में डूब गया है, राज्य में जन्म लेने वाला बच्चा बीस लाख रुपये के कर्ज के बोझ के साथ धरती पर आ रहा है और यहां के सत्ताधारी एवं नौकरशाह जनता के टैक्स के रुपयों का राजशाही ठांठ से आनंद ले रहे हैं। जगत मर्तोलिया ने कहा कि कोरोना महामारी ने उत्तराखंड की हालत और ज्यादा खस्ता कर दी है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में एकमात्र सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज की लैब में तकनीकी खराबी आ जाने से लैब 11 जून से बंद है और सरकार के पास उसका विकल्प बनाने के लिए बजट नहीं है। उन्होंने कहाकि 'सरकार काम की न काज की दुश्मन अनाज की' वाली कहावत चरितार्थ कर दर्जाधारियों पर प्रतिमाह करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
जिला पंचायत सदस्य ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड के सरकारी कार्मिकों के वेतन, भत्ते, नई नौकरी, बुनियादी सुविधाएं, स्वरोज़गार के अवसर, कृषि यंत्र, बीज एवं खाद की सब्सिडी सबको फ्रीज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रावत सरकार को दर्जाधारियों को हटाकर फ्रीज फैसलों को खोलते हुए किसानों के एक लाख रुपए तक के कृषि लोन माफ कर देने चाहिएं। जिला पंचायत सदस्य ने कहा है कि उनके धरना प्रदर्शन के समर्थन में राज्य के भीतर जगह-जगह पर धरना देकर उनकी मांग को बल मिला है। जगत मर्तोलिया ने कहा कि वित्तीय अनुशासन की यह पहली मांग है, इसके बाद एक-एक मांग को हर बार उठाया जाएगा। दर्जाधारियों को हटाने की मांग का खासकर बेरोज़गार युवाओं ने अपनी सोशल साइटों पर ज़िक्र और समर्थन किया।

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