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Thursday 18 June 2020 03:35:49 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष राज्य में वस्त्र उद्योग क्षेत्र में अधिक से अधिक रोज़गार सृजन हेतु उत्तर प्रदेश को गारमेंटिंग हब बनाने के संबंध में रोडमैप का प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसे देखकर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में टेक्सटाइल क्षेत्र में रोज़गार की व्यापक सम्भावनाएं मौजूद हैं और कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के चलते जो कामगार/ श्रमिक प्रदेश वापस लौटे, उनमें बड़ी संख्या में टेलरिंग एक्सपर्ट भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन्हें रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य में वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देना होगा, ताकि अधिक से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित हो सकें। उन्होंने कहा कि राज्य में एयर और रोड कनेक्टिविटी लगातार बेहतर होती जा रही है, इससे वस्त्रोद्योग को काफी लाभ होगा।
अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग रमारमण ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में गारमेंटिंग की लगभग साढ़े चार हजार औद्योगिक इकाईयां हैं, जिनमें से लगभग 3000 इकाईयां गौतमबुद्धनगर तथा शेष 1500 इकाईयां गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ तथा बरेली में हैं, इनसे लगभग 22,000 करोड़ रुपए का प्रतिवर्ष निर्यात होता है। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि अगले 5 वर्ष में 20,000 करोड़ रुपए के निवेश से 20 लाख रोज़गार सृजन की सम्भावना है। जनपद गौतमबुद्धनगर के जेवर एयरपोर्ट के 50 किलोमीटर की परिधि में तथा यूपीडा के निर्मित एक्सप्रेस-वे के किनारे प्रदेश के अन्य स्थानों पर कम से कम 5 एपरेल/ गारमेंटिंग पार्कों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी तथा झांसी मंडलों में भी ऐसे पार्कों की स्थापना की जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया गया कि वस्त्रोद्योग के लिए डाइंग और प्रिंटिंग क्लस्टर की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण है, साथ ही कामगारों को प्रशिक्षण भी दिया जाना आवश्यक है, गारमेंटिंग के अतिरिक्त टेक्निकल टेक्सटाइल हेतु पार्क भी विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, इनमें चिकित्सा, रक्षा, कृषि, स्पोर्ट्स तथा ऑटो मोबाइल्स क्षेत्र में उपयोग होने वाले टेक्सटाइल शामिल हैं। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि गारमेंटिंग सेक्टर हेतु सस्ता कपड़ा प्रदेश में तैयार करने के लिए ऑटोमैटिक/ रेपियर पावरलूम राज्य में ही स्थापित करने की आवश्यकता पड़ेगी, जिसके लिए नई योजना बनाई जाएगी। पार्कों में स्थापित होने वाली इकाइयों को ‘उत्तर प्रदेश हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंटिंग पॉलिसी’ के अंतर्गत विभिन्न सुविधाएं भूमि आवंटन में सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी में छूट, ब्याज उपादान, ईपीएफ की प्रतिपूर्ति, माल भाड़े की प्रतिपूर्ति, मेगा एवं सुपर मेगा इकाइयों को रोज़गार सृजन अनुदान, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट, अवस्थापना ब्याज उपादान, पूंजीगत उपादान अनुमन्य होंगी।
गारमेंटिंग हब प्रस्तुतिकरण के दौरान औद्योगिक प्राधिकरणों को एपरेल/ गारमेंट पार्क की स्थापना, निजी क्षेत्र में पार्क स्थापित करने हेतु फीजिबिलिटी स्टडी तैयार करने हेतु कन्सल्टेंट/ ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति, एपरेल लॉजिस पार्क एवं डाइंग/ प्रिंटिंग पार्क की स्थापना के लिए भी प्रक्रिया अपनाए जाने की स्वीकृति तथा प्रदेश में कपड़े के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा बुनकरों की आय बढ़ाने के लिए नए रेपियर/ ऑटोमैटिक पावरलूम की योजना लाए जाने की स्वीकृति के सम्बंध में निर्णय लिए गए। इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह, अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना तथा यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।