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Thursday 18 June 2020 06:22:38 PM
मुंबई। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने नीरा एवं ताड़गुड़ का उत्पादन करने के लिए एक अनूठी परियोजना आरंभ की है, जिसमें देश में रोज़गार सृजन की बड़ी संभावनाएं हैं। इस परियोजना का उद्देश्य साफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूपमें नीरा को बढ़ावा देना तथा जनजातियों तथा पारंपरिक पाशिकों (ट्रैपर) के लिए स्वरोज़गार का सृजन करना भी है। यह परियोजना महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानु में लांच की गई है, जहां 50 लाख से अधिक ताड़ के पेड़ हैं। केवीआईसी ने नीरा निकालने एवं ताड़गुड़ बनाने के लिए 200 स्थानीय कारीगरों को टूल किट बांटे हैं, जिन्हें केवीआईसी ने 7 दिन का प्रशिक्षण दिया। करीब 15,000 रुपये के मूल्य के बराबर के इस टूल किट में फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरेटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स एवं चाकू, रस्सी तथा नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे उपकरण शामिल हैं। यह पहल 400 स्थानीय पारंपरिक पाशिकों को प्रत्यक्ष रोज़गार उपलब्ध कराएगी।
नीरा सूर्योदय से पहले ताड़ पेड़ से निकाली जाती है और भारत के कई राज्यों में एक पोषक स्वास्थ्य पेय के रूपमें पी जाती है, तथापि संस्थाकृत बाज़ार तकनीक के अभाव के कारण अभी तक नीरा का व्यावसायिक उत्पादन तथा बड़े पैमाने पर विपणन आरंभ नहीं हुआ है। यह परियोजना केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर शुरू की गई है, जो नीरा को व्यावसायिक रूपसे उपयोगी बनाने के लिए साफ्ट ड्रिंक के रूपमें नीरा का उपयोग करने के लिए कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने की संभाव्यता की भी खोज कर रहे हैं। देशभर में लगभग 10 करोड़ ताड़ पेड़ हैं, इसके अतिरिक्त अगर इसकी समुचित तरीके से मार्केटिंग की जाए तो कैंडी, मिल्क चाकलेट, पाम कोला, आईसक्रीम जैसे उत्पादों की व्यापक श्रृंखला तथा पारंपरिक मिठाइयां भी नीरा से तैयार की जा सकती हैं।
देश में वर्तमान में 500 करोड़ रुपये के बराबर के ताड़ गुड़ नीरा का व्यापार किया जाता है। नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ इस टर्नओवर में कई गुना बढ़ोतरी होने की संभावना है। नीरा में निर्यात की भी असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं म्यांमार जैसे देशों में भी इसका उपभोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव, दादर एवं नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ताड़ प्रक्षेत्रों की बहुतायत है, जो भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी उत्पादक बना सकते हैं। केवीआईसी ने नीरा तथा ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। प्रस्ताव किया गया है कि नियंत्रित स्थितियों के तहत नीरा का मानकीकृत संग्रह, प्रसंस्करण तथा पैकिंग आरंभ की जाए, जिससे कि इसे किण्वन से बचाया जा सके। इसका उद्देश्य कोल्ड चेन के जरिये प्रसंस्कृत नीरा का बी2सी सप्लाई चेन तक पहुंचना है।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने बताया कि वे नारियल पानी की तर्ज पर नीरा को बाज़ार में उपलब्ध सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूपमें बढ़ावा देने पर कार्य कर रहे हैं। नीरा जैविक है तथा पोषकों में समृद्ध है और इस प्रकार एक संपूर्ण स्वास्थ्य पेय है। नीरा के उत्पादन एवं विपणन में बढ़ोतरी के साथ हम इसे भारत के ग्रामीण उद्योग के एक प्रमुख कार्यक्षेत्र के रूपमें स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। विनय सक्सेना ने कहा कि नीरा के उत्पादन में बिक्री तथा स्वरोज़गार के सृजन के रूपमें भारी संभावना है। उन्होंने कहा कि ताड़ उद्योग भारत में रोज़गार का एक प्रमुख सृजक हो सकता है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर एवं वोकल फार लोकल की अपील के साथ भी जुड़ा हुआ है।