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Monday 22 June 2020 06:12:41 PM
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया एवं मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के कृषि संकाय में आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन के काल में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा: चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन मानव के लिए खतरा बन रहा है। उन्होंने कहा कि चक्रवात, सूखा, बाढ़, भूस्खलन, लू और समुद्र का बढ़ता जलस्तर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय परम्परा में पेड़-पौधों में परमात्मा, जल में जीवन, चांद और सूरज में परिवार का भाव देखने को मिलता है, वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना जाता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस निर्ममता से प्रकृति का शोषण किया है, उसका परिणाम यह है कि आज पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रभाव पड़ रहा है। राज्यपाल ने कहा कि जब प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे ज्यादा परेशानी समाज के निर्धन और वंचित लोगों पर ही पड़ती है, इसलिए वर्तमान पीढ़ी का यह दायित्व है कि वह भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सामना करने में जैव प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा सकती है, जैव प्रौद्योगिकी से ऐसी प्रजातियां विकसित करने की आवश्यकता है, जिन्हें विषम परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सके।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण भी होना चाहिए, अतः ऐसे सभी विकल्पों को ढूंढ़ने की आवश्यकता है, जो रसायनों के ऊपर निर्भरता कम कर सकें। राज्यपाल ने कहा कि हमारे कृषक दिन-रात मेहनत करके देश की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि आज किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप हमारे खाद्य भंडार भरे रहते हैं और हमारा देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अब आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में देश में खाद्यान्न आपूर्ति की निरंतरता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि भारत में खाद्यान्न सामग्री की दिक्कत नहीं हुई, केंद्र और प्रदेश सरकार ने निरंतर खाद्य आपूर्ति चेन को बनाए रखा।
आनंदीबेन पटेल ने पोषण सुरक्षा के लिए संतुलित आहार में पोषक तत्वों की पर्याप्त उपस्थिति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तरपर विभिन्न कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, भारत में पांच साल से कम उम्र के 43.5 प्रतिशत बच्चे एवं 50 प्रतिशत महिलाएं कुपोषण एवं एनीमिया का शिकार हैं, इसमें ज्यादातर हमारी ग्रामीण महिलाएं और बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण हमारे अस्तित्व, विकास, स्वास्थ्य, उत्पादकता और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस अवसर पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कल्पतला पांडेय, विषय विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं ऑनलाइन वेबिनार से जुडे़।