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Monday 22 June 2020 06:46:59 PM
पोखरण। राजस्थान के जैसलमेर जिले के छोटे मगर विख्यात शहर पोखरण की सबसे प्रसिद्ध रही बर्तनों की कला के पुनर्जीवन के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने पोखरण के 80 कुम्हार परिवारों को 80 इलेक्ट्रिक पॉटर चाकों का वितरण किया। इनके पास टेराकोटा उत्पादों की समृद्ध विरासत मौजूद है। पोखरण में 300 से ज्यादा कुम्हार परिवार रहते हैं, जो कई दशक से मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के कार्य से जुड़े हुए हैं, लेकिन उन्हें काम में कठिन परिश्रम और बाज़ार का समर्थन नहीं मिला, जिस कारण वे दूसरे रोज़गार के लिए पलायन कर गए और उनकी परंपरागत कुम्हारी कला की दुर्लभ और प्रसिद्ध बर्तन निर्माण कला जाती रही। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने इस प्रकार इसके पुनर्जीवन पर ध्यान दिया है। गौरतलब है कि यह वही पोखरण है, जहां अटलबिहारी बाजपेयी सरकार में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बना।
केवीआईसी ने 10 कुम्हारों के समूह में 8 अनुमिश्रक मशीनों का भी वितरण किया है, जिनका इस्तेमाल मिट्टी को मिलाने के लिए किया जाता है, जो सिर्फ 8 घंटे में 800 किलो मिट्टी को कीचड़ में बदल सकती हैं। व्यक्तिगत रूपसे मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए 800 किलो मिट्टी तैयार करने में 5 दिन लगते हैं। केवीआईसी ने गांव में 350 प्रत्यक्ष रोज़गार का सृजन किया है, केवीआईसी से 15 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त 80 कुम्हारों के उत्पादों में कुल्हड़ से लेकर सजावटी वस्तुएं, फूलों के गुलदस्ते, मूर्तियां और दिलचस्प पारंपरिक बर्तन संकीर्ण मुंहवाली गोलाकार बोतलें, लंबी टोंटी वाले लोटस और खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य गोलाकार बर्तन शामिल हैं। कुम्हारों ने शानदार तरीके से स्वच्छ भारत अभियान और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मिट्टी के बर्तनों पर कला के माध्यम से दर्शाया है।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के साथ जोड़ा गया है, इसका उद्देश्य कुम्हारों को मजबूती प्रदान करना, स्वरोज़गार और मृतप्राय मिट्टी के बर्तनों की कला को पुनर्जीवित करना है। विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि पोखरण को अबतक केवल परमाणु परीक्षणों के स्थल के रूपमें जाना जाता था, लेकिन बहुत जल्द ही इसकी पहचान उत्कृष्ट मिट्टी के बर्तनों के रूपमें लौट आएगी। कुम्हार सशक्तिकरण योजना का मुख्य उद्देश्य कुम्हार समुदाय को मुख्यधारा में वापस लेकर आना है, कुम्हारों को आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करके, हम उन्हें समाज के साथ जोड़ने और उनकी कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।
केवीआईसी अध्यक्ष ने राजस्थान में केवीआईसी के राज्य निदेशक से बाड़मेर और जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के बर्तनों के उत्पादों का विपणन करने और उनकी बिक्री की सुविधाएं प्रदान करने को कहा है, जिससे कुम्हारों को विपणन में सहायता प्रदान की जा सके। पोखरण नीति आयोग के पहचाने गए आकांक्षी जिलों में से एक है। यहां 400 रेलवे स्टेशनों पर केवल मिट्टी/ टेराकोटा के बर्तनों में खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है, जिनमें राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर शामिल हैं। दोनों प्रमुख रेलमार्ग पोखरण के सबसे नजदीक हैं। केवीआईसी की राज्य इकाई इन शहरों में पर्यटकों के उच्चस्तर को देखते हुए इन रेलवे स्टेशनों पर अपने मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में सुविधा प्रदान करेगी।
उल्लेखनीय है कि केवीआईसी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों के कई दूरदराज इलाकों में कुम्हार सशक्तिकरण योजना की शुरुआत की है। इससे राजस्थान के कई जिलों जैसे जयपुर, कोटा, झालावाड़ और श्रीगंगानगर सहित एक दर्जन से ज्यादा जिलों को लाभ प्राप्त हुआ है। योजना के अंतर्गत केवीआईसी बर्तनों के उत्पाद का निर्माण करने के लिए उपयुक्त मिट्टी को मिलाने के लिए ब्लिंगर और पग मिल्स जैसे उपकरणों को भी उपलब्ध करा रहा है। इन मशीनों ने मिट्टी के बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया में लगने वाले कठिन परिश्रम को भी समाप्त कर दिया है और इसके कारण कुम्हारों की आय 7 से 8 गुना ज्यादा बढ़ गई है।