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Tuesday 30 June 2020 04:59:03 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में सुरक्षित प्लेटफार्मों के माध्यम से ऑनलाइन संचार सुनिश्चित करने की सलाह दी है। इसमें वर्चुअल प्लेटफार्मों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। गौरतलब है कि कोविड-19 के कारण दिन-प्रतिदिन की अधिकांश गतिविधियां डिजिटल माध्यम से हो रही हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि किसी भी सूचना हस्तांतरण प्रोटोकॉल की सुरक्षा संदेशों को एंक्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुंजी के वितरण में है, कुंजी की प्रमुख वितरण योजनाएं आमतौर पर गणितीय समाधान पर आधारित होती हैं, जिन्हें एल्गोरिदम और क्वांटम कंप्यूटरों से पता लगाया जा सकता है, इस प्रकार सूचना हस्तांतरण प्रोटोकॉल की सुरक्षा कमजोर होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के शोधकर्ताओं ने एंड-टू-एंड क्यूकेडी के लिए एक अद्वितीय सिमुलेशन टूलकिट विकसित किया है, जिसे क्यूकेडीसिम नाम दिया गया है।
गृह मंत्रालय का कहना है कि कुंजी हस्तांतरण प्रक्रिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने का समाधान क्वांटम भौतिकी के नियमों के उपयोग में निहित है, इसके तहत छिपकर कोड पता लगाने की गतिविधि ऐसे संकेत दे देगी, जिसका आसानी से पता लग सकेगा। इस समाधान को क्वांटम कुंजी वितरण या क्यूकेडी का उपयोग करके प्राप्त किया जा सकता है। क्यूकेडीसिम मॉड्यूलर सिद्धांतों पर आधारित है, जिससे यह विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके प्रोटोकॉल के विभिन्न वर्गों का विकास कर सकता है। कैलगरी विश्वविद्यालय कनाडा के प्रोफेसर बैरी सैंडर्स के सहयोग से प्रोफेसर उर्वशी सिन्हा और उनकी टीम के नेतृत्व में किया गया यह कार्य सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के उपयोग से क्वांटम प्रयोग (क्वेस्ट) परियोजना का एक हिस्सा है। यह भारत का पहला उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार का प्रयास है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने समर्थन दिया है। यह शोध फ़िज़िकल रिव्यू एप्लाइड जर्नल में प्रकाशित होगा। टूलकिट की नवीनता विभिन्न प्रयोगात्मक खामियों उपकरण आधारित और प्रक्रिया आधारित दोनों के संपूर्ण समावेश में निहित है। इस प्रकार सिमुलेशन परिणाम वास्तविक प्रयोगात्मक कार्यांवयन के साथ किसी भी अन्य मौजूदा टूलकिट की तुलना में बेहतर सटीकता देंगे, जिससे यह क्यूकेडी प्रयोगकर्ता का सबसे अच्छा दोस्त बन जाएगा।
क्यूकेडी का उपयोग अकादमिक, औद्योगिक, सरकार और रक्षा प्रयोगशालाओं में तेजी से बढ़ रहा है। विशिष्ट रूपसे डिज़ाइन किए गए बी 92 प्रयोग के लिए निर्देश अनुप्रयोग के साथ यह नया विकसित सिमुलेशन टूलकिट अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होगा। बी 92 एक क्यूकेडी प्रोटोकॉल है, जो पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकल फोटॉन और भौतिकी के संबंधित नियमों जैसे अनिश्चितता सिद्धांत और नो-क्लोनिंग प्रमेय आदि का उपयोग करता है। डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया है कि सुरक्षित व त्रुटि मुक्त संचार प्रोटोकॉल का महत्व बढ़ता जा रहा है, इसके लिए क्वांटम कुंजी वितरण (क्यूकेडी) एक आकर्षक समाधान है, जो एक क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल पर निर्भर करता है, एक साझा रैंडम सीक्रेट कुंजी जिसके बारे में केवल संचार पक्षों के पता होता है, संदेशों को एंक्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए नियोजित किया जाता है। क्वांटम कुंजी वितरण की एक अनूठी विशेषता यह है कि कोई अनधिकृत व्यक्ति इसका भेदन करने के प्रयास करता है तो इसका तुरंत पता लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि क्वांटम सिस्टम को मापने की कोई भी प्रक्रिया पता लगाने लायक विसंगतियों का निर्माण करती है।
अनुसंधान कार्य के दो आयाम हैं-नवीनता और प्रक्रिया विकास। एक ओर एक सिमुलेशन टूलकिट विकसित किया गया है जो क्यूकेडी समुदाय में एक प्रमुख अंतर को समाप्त करता है, दूसरी ओर एक नए प्रयोग का प्रदर्शन किया गया है, जिसे क्यूकेडी प्रोटोकॉल (बी 92) को तैयार करना और मापना कहा जाता है। इसकी कुंजी दर उच्च है तथा क्वांटम-बिट त्रुटि दर कम है। वास्तव में यह भारत का पहला क्यूकेडी प्रयोग है। इसकी कुंजी दर और त्रुटि दर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी है। आरआरआई टीम ने इसके लिए क्यूकेडीसिम के वर्तमान दायरे का विस्तार करने की योजना बनाई है। इससे एक नया सॉफ्टवेयर बन सकता है जो क्वांटम संचार समुदाय के लिए अत्यधिक लाभदायक होगा। यह पहला प्रायोगिक उपकरण क्यूकेडी के प्रयोगों को डिजाइन, सेटअप, बेहतर बनाने और मूल्यांकन करने के लिए अपरिहार्य होगा और सिमुलेशन उपकरण के उपयोग को व्यापक बनाने में सहायक होगा। क्वांटम टेक्नोलॉजीज और एप्लिकेशन पर आने वाले राष्ट्रीय मिशन के लिए यह कार्य देश में इस तरह के कार्यों के लिए एक आधार प्रदान करेगा और इसलिए इसके प्रति रुचि बढ़ेगी। अधिक जानकारी के लिए प्रोफेसर उर्वशी सिन्हा से usinha@rri.res.in मेल पर संपर्क किया जा सकता है।