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Wednesday 1 July 2020 12:41:42 PM
चंडीगढ़। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रेस सूचना ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत विषय पर वेबिनार का आयोजन किया, जिसमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत जोड़े गए राज्य हिमाचल प्रदेश और केरल की समृद्ध संस्कृति एवं विरासत को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया। वेबिनार का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पीआईबी की एडीजी देवप्रीत सिंह ने किया। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार की एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अनूठी पहल का उद्देश्य आज के दौर में दूर-दराज के राज्यों के लोगों को जोड़कर राष्ट्रीय एकता की भावना को और ज्यादा मज़बूत करना है। उन्होंने कहा कि भारत में विविधताओं और सामाजिक फलक के बीच एक ऐसा जीवंत धागा है, जो देश को काफी मजबूती से बांधे रखता है और इसे एक समग्र पहचान देता है।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच आपसी संपर्क और पारस्परिकता के माध्यम से भारत की विचारधारा और इसकी सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। हिमाचल प्रदेश सरकार की संस्कृति पर विशेषज्ञ समिति की सदस्य शैलजा खन्ना ने सत्र में हिमाचल प्रदेश के लोक संगीत के समृद्ध इतिहास, इसके संबंधित उपकरणों और विशिष्टता पर प्रकाश डाला। शैलजा खन्ना विषय विशेषज्ञों में से एक थीं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सरल, सुशोभित और मधुर नाटी नृत्य के बारे में बात की और कहा कि यह राज्य की कला, शिल्प, संगीत और नृत्य को प्रेरित करता है। हिमाचल प्रदेश सरकार में भाषा कला और संस्कृति की पूर्व सचिव डॉ पूर्णिमा चौहान ने दोनों राज्यों के बीच समानता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप के दो छोरों पर स्थित प्रचुर प्राकृतिक सुंदरता वाले दोनों राज्यों ने मानव विकास संकेतकों पर बहुत अच्छा काम किया है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में बताते हुए उन्होंने अपने बौद्ध संबंध और औपनिवेशिक अतीत की भी चर्चा की।
डॉ पूर्णिमा चौहान ने बताया कि स्पीति में तबो मठ को पहाड़ियों की अजंता माना जाता है, जबकि कांगड़ा में सिंगल रॉक कट मसरूर मंदिर को पहाड़ियों की एलोरा कहा जाता है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा पेंटिंग और थांगका पेंटिंग जैसी विभिन्न पहाड़ी पेंटिंग शैलियों को भी प्रदर्शित किया। केरल की शिक्षाविद, शोधकर्ता और शास्त्रीय नृत्यांगना डॉ नीना प्रसाद ने केरल में विभिन्न प्रदर्शन कला परंपराओं अर्थात ‘कुटियट्टम’-केरल की एक प्राचीन संस्कृत नाट्य कला और ‘मोहिनीअट्टम’-केरल के एक शास्त्रीय नृत्य के बारे में विस्तार से बताया। केरल की समृद्ध संस्कृति के बारे में बताते हुए उन्होंने अरबों, पुर्तगालियों, डचों के साथ केरल के ऐतिहासिक संपर्क को साझा किया जिसने आम मलयाली संस्कृति को विकसित करने में मदद की। डॉ नीना प्रसाद ने कहा कि केरल मंदिरों का प्रदेश है, जहां हर मंदिर में त्यौहार मनाने का अपना तरीका है, फसलों के त्यौहार के रूपमें प्रसिद्ध ओणम केरल का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है, जिसे समाज के सभी वर्गों के लोग बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं। उन्होंने केरल की मुरल पेंटिंग, कलरिपयट्टू के मार्शल आर्ट और केरल के स्वादिष्ट व्यंजनों की भी चर्चा की।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दक्षिण क्षेत्र के महानिदेशक एस वेंकटेश्वर ने कहा कि दोनों राज्यों के लोगों को अक्सर एक-दूसरे राज्यों की सैर करनी चाहिए और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जानना-समझना चाहिए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि दोनों राज्यों के छात्रों के हित में विनिमय कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। वेबिनार में हरियाणा के जीडी गोयनका वर्ल्ड स्कूल के छात्रों ने भाग लिया। छात्रों ने सत्र और अतिथि वक्ताओं की प्रस्तुतियों की सराहना की, जो काफी सूचनात्मक और समृद्ध थीं। क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो चंडीगढ़ के निदेशक आशीष गोयल के प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ सत्र का समापन हुआ। वेबिनार में आरओबी चंडीगढ़ के उपनिदेशक अनुजचंदक और इस क्षेत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के और भी अधिकारियों ने भाग लिया।