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'एक्सीलेरेट विज्ञान' योजना में खोजी विज्ञानी बनें

प्रधानमंत्री की पहल पर वैज्ञानिक शोध और खोज की गति तेज हुई

विज्ञानियों की विभिन्न आविष्कारों व खनिजों की खोज पर नज़र

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 July 2020 06:19:13 PM

accelerate science scheme

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक अंतरिक्ष विज्ञान और देश की पृथ्वी के गर्भ में मौजूद यूरेनियम जैसे बेशकीमती खनिजों की खोज में वैज्ञानिक शोध की गति को तेज करने और विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले मानव संसाधन को तैयार करने के उद्देश्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सांविधिक निकाय विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना की शुरुआत की है। यह योजना विज्ञान में शोध और खोज के छात्रों को रिसर्च इंटर्नशिप, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं से संबंधित एक मंच प्रदान करेगी। योजना के 'अभ्यास' घटक के अंतर्गत शीतकालीन सत्र के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इससे संबंधित जानकारी के लिए वेबपोर्टल www.acceleratevigyan.gov.in भी शुरु किया गया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर मंत्रालयी कार्यक्रम के रूपमें ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ की शुरुआत यह मानते हुए की गई है कि अनुसंधान की गुणवत्ता उससे जुड़े प्रशिक्षित अनुसंधानकर्ताओं के विकास पर आधारित होती है। यह योजना अनुसंधान की संभावनाओं, परामर्श, प्रशिक्षण और व्यावहारिक कार्य प्रशिक्षण की पहचान करने की कार्यविधि को सुदृढ़ बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करेगी। एसईआरबी में साइंटिस्ट ‘जी’ के तौरपर कार्यरत डॉ राजीव महाजन ने बताया कि इस योजना का मूल दृष्टिकोण अनुसंधान के आधार का विस्तार करना है, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। इस योजना के तीन व्यापक लक्ष्यों में वैज्ञानिक कार्यक्रमों का एकत्रीकरण, संसाधनों सुविधाओं से दूर अनुसंधान प्रशिक्षुओं के लिए स्तरीय कार्यशालाओं की शुरुआत उन्हें विलक्षण विज्ञानी बनाने के साथ ही उनके लिए अवसरों और विज्ञानी खोज के क्षेत्रों का सृजन करना शामिल है। उन्होंने बताया कि संस्थान जल्दी ही इस कार्यक्रम से संबंधित एक ऐप शुरु करने जा रहा है।
अभ्यास एक्सीलेरेट विज्ञान इस योजना का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएचडी के छात्रों को उनके संबंधित विषयों में कौशल विकास को प्रोत्साहित करता है, ताकि वे शोध एवं विकास को बढ़ावा देने में सक्षम हो सकें। इस कार्यक्रम के दो घटक कार्यशाला और रिसर्च इंटर्नशिप वृत्तिका हैं। यह विशेष रूपसे ऐसे अनुसंधानकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके पास उच्चस्तरीय शिक्षण सुविधाओं या अवसंरचनाओं तक पहुंच के सीमित अवसर हैं। कार्यशाला और वृत्तिका घटकों के तहत शीतकालीन सत्र दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। डॉ राजीव महाजन ने बताया कि इस पहल के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर केंद्रित उच्चस्तरीय कार्यशालाओं के आयोजन होंगे, जिससे आगामी पांच वर्ष में करीब 25 हजार पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएचडी छात्रों को वैज्ञानिक अनुसंधान में आगे बढ़ने के अवसर मिल सकें। योजना पर देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इन संस्थानों में इंटर्नशिप के केंद्रीय समन्वयन से प्रतिवर्ष अन्य एक हजार प्रतिभावान स्नातकोत्तर छात्रों को इंटर्नशिप करने का अवसर मिल सकेगा। सुरक्षित प्रयोगशालाविधियों को लेकर देश में बहुत कम बात होती रही है, इस योजना के तहत इस ओर खास ध्यान दिया जाएगा।
एक्सीलेरेट विज्ञान योजना मिशन मोड में कार्य करेगी, विशेषकर उस घटक के संबंध में जो देश में सभी प्रमुख वैज्ञानिक समारोहों के एकीकरण का कार्य करेगा। इस संबंध में सभी वैज्ञानिक मंत्रालयों व विभागों और कुछ अन्य सदस्यों को मिलाकर एक अंतर मंत्रालयी निरीक्षण समिति का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य योजना को कार्यान्वित करने में एसईआरबी की सहायता और समर्थन करना है। प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने की यह प्रक्रिया देश में क्षमता निर्माण के संबंध में सभी हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। यह योजना देश के वैज्ञानिक समुदाय की सामाजिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करने का एक बड़ा प्रयास है। अभ्यास के अलावा इस योजना के अंतर्गत संचालित एक अन्य कार्यक्रम समूहन है, जिसके घटकों में संयोजिका एवं संगोष्ठी शामिल हैं। संयोजिका देश में सभी सरकारी फंडिंग एजेंसियों द्वारा समर्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण गतिविधियों को सूचीबद्ध करने के लिए शुरू किया गया कार्यक्रम है, जबकि संगोष्ठी एसईआरबी का संचालित एक अन्य कार्यक्रम है।

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