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Thursday 2 July 2020 06:23:50 PM
नई दिल्ली। लद्दाख में चीन से संभावित जंग और भारत-चीन में गंभीर तनाव के बीच भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को मजबूत करने की आवश्यकता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 38,900 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी है। इन रक्षा साजो-सामान में रूस से लड़ाकू विमान और भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपये की सैन्य सामग्री शामिल है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इन रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई। इससे भारत की वायुसेना की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। रूस से मिलने वाले लड़ाकू विमान जल्द ही भारत को मिलेंगे। भारत के पास पहले से मौजूद 59 मिग-29 विमानों को और आधुनिक किया जाएगा, जबकि रूस से 21 मिग-29 और 12 एसयू-30 एमकेआई विमान खरीदे जा रहे हैं।
रक्षा अधिग्रहण परिषद के अनुसार सैन्य उपकरण भारत में ही निर्मित किए जाएंगे, आयुध निर्माण में भारतीय रक्षा उद्योग शामिल है, जिन्हें कई एमएसएमई प्रमुख विक्रेताओं के रूपमें सहयोग प्रदान करेंगे। इनमें से कुछ परियोजनाओं में स्वदेशी सामग्री का हिस्सा, परियोजना लागत के 80 प्रतिशत तक है। इन परियोजनाओं की बड़ी संख्या रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के स्वदेशी उद्योग को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के कारण संभव हुई है। सैन्य उपकरण में भारतीय सेना के लिए पिनाका गोला-बारूद, बीएमपी आयुध उन्नयन और सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो तथा भारतीय नौसेना एवं भारतीय वायुसेना के लिए लम्बी दूरी तक जमीन पर आक्रमण करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली और एस्ट्रा मिसाइल शामिल हैं। इनकी डिजाइन व विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है। नई/ अतिरिक्त मिसाइल प्रणालियों के अधिग्रहण से तीन सेनाओं की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।
पिनाका मिसाइल प्रणाली के अधिग्रहण से पहले से शामिल सैन्य दलों व अतिरिक्त रेजिमेंट को सक्षम किया जा सकेगा तथा जमीन पर 1,000 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक हमले करने वाली मिसाइल प्रणाली, नौसेना और वायुसेना की आक्रमण क्षमताओं को बढ़ाएगी। इसी तरह एस्ट्रा मिसाइलों को शामिल करने से नौसेना और वायुसेना की आक्रमण क्षमताओं में कई गुना वृद्धि होगी, क्योंकि इस मिसाइल की मारक क्षमता हमारे विजुअल रेंज से भी अधिक है। इसके अलावा अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों को बढ़ाने से सम्बंधित भारतीय वायुसेना की जरूरत को देखते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद ने मौजूदा विमानों की खरीद के प्रस्ताव को यह मंजूरी दी है। रूस से मिग-29 की खरीद और उन्नयन के मद में 7,418 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जबकि एसयू-30 एमकेआई को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से खरीदा जाएगा, जिनकी अनुमानित लागत 10,730 करोड़ रुपये है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से भी टेलीफोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री ने व्लादीमीर पुतिन को द्वितीय विश्वयुद्ध में विजय की 75वीं वर्षगांठ पर मनाए गए समारोहों की सफलता और रूस में संवैधानिक संशोधनों पर वोट के सफल समापन के लिए गर्मजोशी से बधाई दी। प्रधानमंत्री ने 24 जून 2020 को मास्को में आयोजित सैन्य परेड में एक भारतीय टुकड़ी की भागीदारी को याद करते हुए इसे भारत और रूस की जनता के बीच स्थायी दोस्ती का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री और व्लादीमीर पुतिन ने कोविड-19 कोरोना महामारी के नकारात्मक परिणामों को दूर करने के लिए दोनों देशों के प्रभावी उपायों की चर्चा की और कोविड के बाद की दुनिया की चुनौतियों से मिलकर मुकाबला करने के लिए भारत और रूस के करीबी रिश्तों के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
भारत-रूस के ये राजनेता द्विपक्षीय संपर्क और परामर्शों की गति बनाए रखने पर सहमत हुए, जिससे इस वर्ष के अंत में भारत में होने वाले वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा सके। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत में व्लादीमीर पुतिन का स्वागत करने के लिए अपनी उत्सुकता व्यक्त की। राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने फोन कॉल के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।