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Saturday 4 July 2020 06:28:01 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि जब कोरोना महामारी विश्वभर में मानव जीवन और अर्थव्यवस्थाओं का विध्वंस कर रही है, इस बीच भगवान बुद्ध के संदेश किसी प्रकाश स्तंभ की तरह आशा एवं समाधान के रूपमें मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध ने प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए लोगों को लालच, घृणा, हिंसा, ईष्या और कई अन्य बुराइयों को त्यागने की सलाह दी थी, उसी प्रकार की पुरानी हिंसा और प्रकृति की अधोगति में शामिल बेदर्द मानवता की उत्कंठा के साथ इस संदेश की परस्पर तुलना करें। राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि जैसे ही कोरोना वायरस की प्रचंडता में कमी आएगी, हमारे सामने जलवायु परिवर्तन जैसे एक बड़ी गंभीर चुनौती भी सामने आएगी, जिसके दुष्प्रभावों से निपटने के कारगर समाधान अभीसे खोजने होंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज धर्म चक्र दिवस पर राष्ट्रपति भवन में अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध परिसंघ के एक वर्चुअल समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को धम्म की उत्पत्ति की भूमि होने का गौरव हासिल है और भारत में हम बौद्धधर्म को दिव्य सत्य की एक नई अभिव्यक्ति के रूपमें देखते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति और उसके बाद के चार दशक तक उनके उपदेश, बौद्धिक उदारवाद और आध्यात्मिक विविधता के सम्मान की भारतीय परंपरा की तर्ज पर था। राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक युग में भी दो असाधारण रूपसे महान भारतीय महात्मा गांधी और बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर ने भगवान बुद्ध के उपदेशों से प्रेरणा पाई और और उन्होंने राष्ट्र की नियति को आकार दिया। इस अवसर पर मंगोलिया के राष्ट्रपति का एक विशेष संबोधन भी पढ़ा गया और मंगोलिया में सदियों से संरक्षित भारतीय मूल की एक बहुमूल्य बौद्ध पांडुलिपि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की गई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भगवान बुद्ध के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए महान पथ पर चलने के उनके आमंत्रण के प्रत्युत्तर में हमें उनके आह्वान को सुनने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह दुनिया अल्पावधि तथा दीर्घावधि दोनों ही प्रकार से कष्टों से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि राजाओं और समृद्ध लोगों की ऐसी कई कहानियां हैं कि भयंकर अवसाद से पीड़ित होने के बाद कष्टों से बचने के लिए उन्होंने भगवान बुद्ध की शरण ली थी। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तव में भगवान बुद्ध का जीवन पहले की धारणाओं को चुनौती देता है, क्योंकि वह इस अपूर्ण विश्व के मध्य में कष्टों से मुक्ति पाने में विश्वास करते थे। पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल और केंद्रीय राज्यमंत्री किरेन रिजिजू भी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी धर्म चक्र दिवस कार्यक्रम को वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके अष्टांग मार्ग का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कई समाजों और राष्ट्रों को कल्याण का मार्ग दिखाता है, बौद्धधर्म की शिक्षाएं लोगों, महिलाओं और गरीबों के प्रति सम्मान का भाव रखने एवं अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाती हैं, जो सतत विकास का आधार हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं में आशा और उद्देश्य के बारे में बात की थी और दोनों के बीच एक मजबूत संबंध का अनुभव किया था। उन्होंने कहा कि वह किस तरह से 21वीं सदी को लेकर बेहद आशांवित हैं और ये उम्मीद उन्हें देश के युवाओं से मिलती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत के पास स्टार्टअप का एक सबसे बड़ा परितंत्र मौजूद है, जहां प्रतिभावान युवा वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने में जुटे हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है, जिसका स्थायी समाधान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से निकलकर आ सकता है। उन्होंने बौद्ध धरोहर स्थलों के साथ और अधिक लोगों को जोड़ने और इन स्थलों से संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश में कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने के कैबिनेट के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसके माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा भी सुविधाजनक हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूपमें भी जाना जाता है की बधाई दी। उन्होंने मंगोलिया सरकार को मंगोलियाई कंजूर की प्रतियां भेंट किए जाने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आषाढ़ पूर्णिमा को धर्म चक्र दिवस के रूपमें मना रहा है, इस दिन भगवान गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रिसीपत्तन जिसे वर्तमान में सारनाथ के नाम से जाना जाता है, अपने पांच तपस्वी शिष्यों को बौद्ध धर्म का पहला उपदेश दिया था। दुनियाभर में बौद्धधर्म के अनुयायी इस दिवस को धर्म चक्र प्रवत्तन या धर्म चक्र को गति देने के दिन के रूपमें भी मनाते हैं। भगवान बुद्ध के ज्ञान एवं जागृति, उनके धर्म चक्र तथा महापरिनिर्वाण की भूमि भारत की ऐतिहासिक विरासत है। धर्म चक्र दिवस पर महत्वपूर्ण आयोजन किए गए, दुनिया के विभिन्न हिस्सों के शीर्ष बौद्ध धर्मगुरुओं, विशिष्ट जानकारों और विद्वानों के संदेशों को भी सारनाथ एवं बोधगया से लाइव प्रसारित किया गया।