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Friday 24 July 2020 05:28:37 PM
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आज उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के संचालन का प्रस्तुतिकरण देखा, जिसमें शिक्षा विभाग ने बड़बोले दावे पेश किए राज्यपाल ने भी विभागीय अधिकारियों के सामने अपने आदर्श संबोधन की रस्म अदायगी की। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल स्वयं शिक्षक रही हैं, इसलिए उन्होंने अपने अनुभव पर कहा कि बच्चों की बुनियादी शिक्षा भविष्य की शिक्षा की रीढ़ है और एक से आठ तक उम्र के बच्चों में सीखने की शक्ति ज्यादा होती है, इनमें सुधार की सम्भावना ज्यादा होती है, ऐसी स्थिति में बच्चों को सिखाने का तरीका ऐसा होना चाहिए, जिससे बच्चे उसे आसानी से सीख सकें। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी उसी तरह का होना चाहिए जो बच्चों को आसान तरीके से कम से कम समय में अधिक से अधिक अंक और अक्षर ज्ञान सिखा सकें। राज्यपाल ने कहा कि आज के परिवेश के अनुसार ही शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जिस समय उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के संचालन का प्रस्तुतिकरण देख रही थीं, उस समय उनके संज्ञान में यह भी रहा होगा कि उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा जिन हाथों में है, उनमें अधिकांश शिक्षक हिंदी की किताब भी ठीक से पढ़ना नहीं जानते हैं, बाकी विषयों के उनके ज्ञान को तो छोड़ ही दीजिए। राज्य में शिक्षामित्रों का प्रयोग भी पूरी तरह विफल सिद्ध हुआ है। शिक्षामित्र हों या स्थायी बेसिक शिक्षक हों, इनका काम शिक्षा विभाग के भारीभरकम वेतन भत्तों के खर्च पर पलना रह गया है, इनका पढ़ने और पढ़ाने से कोई भी मतलब नज़र नहीं आता है। अपवाद को छोड़कर प्राइमरी शिक्षा का उत्तर प्रदेश में बेड़ा गर्क है। जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी हों या शिक्षक अधिकांश एक ही ढर्रे पर चल रहे हैं और राज्य मुख्यालय के अधिकारियों की अनुकम्पा से फलफूल रहे हैं। किसी दार्शनिक ने कहा था कि जिस राज्य की प्राइमरी शिक्षा अयोग्य और पराए हाथों में चली जाए, वह राज्य नैतिक, सामाजिक और शैक्षणिक मूल्यों को खोकर नष्ट हो जाता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में बैठकर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों की स्थिति की कैसी समीक्षा की होगी, यह समझने में कोई संकोच नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा पर मानों किसी का भी ध्यान नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकांश अधिकारियों की दिलचस्पी शिक्षा विभाग के उस फंड को निपटाने में दिखाई देती है, जो प्राइमरी शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के उत्थान पर ईमानदारी से खर्च होना चाहिए। राजभवन में बेसिक शिक्षा पर प्रस्तुतिकरण एक रस्म अदायगीभर रहा। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन आते ही कुछ विभागों एवं स्कूलों का निरीक्षण किया था, जिससे लगा था कि राज्यपाल अपनी सक्रिय भूमिका निभाएंगी, जिससे राज्य प्रशासन के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक रहेंगे, लेकिन राज्यपाल के ये कदम क्षणभंगुर ही रहे। देखने में आ रहा है कि उत्तर प्रदेश का राजभवन अब कुछ रस्मी कार्यक्रमों तक सीमित रह गया है। शिक्षा ही नहीं बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था से लेकर अन्य बुनियादी विषयों पर जनसामान्य में कोहराम पर राजभवन खामोश नज़र आ रहा है।
बहरहाल राज्यपाल ने शिक्षा पर प्रस्तुतिकरण की रस्मअदायगी में कहा कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों का भी शैक्षणिक कैलेंडर होना चाहिए, जिसमें पूरे साल पड़ने वाले राष्ट्रीय पर्व, महापुरुषों के जन्मदिन एवं त्योहारों का जिक्र हो। उन्होंने कहा कि बच्चों का पाठ्यक्रम तैयार करने में इस बात का ध्यान रखना होगा कि उसमें उसके आस-पास के परिवेश का विशेष उल्लेख हो, इसके लिए अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों की कमेटी बनाई जाए, जिसमें विषय पढ़ाने वाले शिक्षक भी शामिल हों। राज्यपाल ने कहा कि छोटे बच्चों को पोस्टर और चित्रों के माध्यम से सिखाने पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है, विद्यालय की दीवारों पर बच्चों की समझ के हिसाब से पोस्टर और चित्र बनाए जाएं, जिन्हें देखकर बच्चे सीख लें, पोस्टर व चित्र बच्चों की लम्बाई के हिसाब से लगाए जाएं। बच्चों के ड्राप आउट पर विशेष रूपसे ध्यान देने की जरूरत पर बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन बच्चों का नामांकन हुआ है, वह अगली कक्षा में भी रहें, इसके लिए बच्चों के माता-पिता को भी प्रेरित करते रहना चाहिए। राज्यपाल की यह सीख कितनी अमल में आएगी, इसपर प्रश्नचिन्ह है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा विजय किरन आनंद ने मिशन प्रेरणा के प्रस्तुतिकरण के माध्यम से भारत सरकार की पीजीआई रैंकिंग में सुधार लाने के लिए राज्यपाल को राज्य सरकार के कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आगामी 2 वर्ष में उत्तर प्रदेश को टॉप 5 राज्यों की सूची में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है तथा उसीके अनुरूप सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इस अवसर पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश द्विवेदी, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार, राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) केयूर सम्पत एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।