स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 27 July 2020 05:01:56 PM
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को और ताकतवर करने के लिए पांच राफेल लड़ाकू विमानों ने फ्रांस के मेरिग्नैक दसॉल्ट एविएशन फैसिलिटी से भारत के लिए उड़ान भर दी है। इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर विमान और दो ट्विन सीटर विमान हैं। इन विमानों का आगमन दो चरणों में होगा। भारतीय वायुसेना के पायलट राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से ला रहे हैं, इन्होंने इन लड़ाकू विमानों को उड़ाने का व्यापक प्रशिक्षण लिया हुआ है। राफेल के वहां से आगमन के पहले चरण के दौरान हवा से हवा में ईंधन भरने का काम भी इन्हीं पायलटों ने कर दिया है, जो फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष टैंकर की सहायता से सफल हुआ। यह लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान में खलबली मचाए हुए है।
राफेल लड़ाकू विमान 29 जुलाई 2020 को अंबाला के एयर फोर्स स्टेशन पर पहुंचने की संभावना है। हालांकि इन विमानों के आगमन के दौरान मौसम को भी ध्यान में रखना होगा। नंबर 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ को राफेल विमानों से लैस इस सैन्य बेस पर तैयार किया जा रहा है। गौरतलब है कि राफेल लड़ाकू विमान पिछले साल अक्टूबर में भारत की तरफ से स्वीकार किए गए थे। अब इन युद्धक विमानों की पहली खेप 29 जुलाई को भारत पहुंच रही है। यह राफेल विमान ऐसे समय में भारत आ रहे हैं, जब भारत कर चीन और पाकिस्तान से युद्ध की संभावनाएं हैं। राफेल को चीन के खिलाफ तैनात करने की योजना है। इन विमानों में इस बात का विकल्प है कि भारत अपनी ओर से किसी भी युद्धक हथियार को इसमें फिट कर सकता है।
भारत की वायुसेना इस समय पाक-चीन सीमा पर हाई अलर्ट पर है। राफेल विमान चीन और पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का विषय है, यद्यपि चीन के पास भी आधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमान मौजूद हैं। बताया जाता है कि फ्रांस ने भारत को भेजे विमानों को और आगे की पीढ़ी की तकनीकों से विकसित किया है। भारत और फ्रांस में राफेल की डील वस्तुतः चीन के खतरों को देखते हुए हुई है, जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो भारत अपने द्वारा विकसित किए गए हथियारों से ही निपटने में सक्षम है। इन वर्षों में चीन ने न केवल पाकिस्तान को युद्धक हथियार दिए हैं, अपितु चीन ने पाकिस्तानी क्षेत्र में अपनी वायुसेना को बेस भी बना लिया है, जिससे भारत की चुनौती बढ़ी है, लेकिन भारत इन दोनों दुश्मनों से निपटने के लिए तैयार खड़ा है।