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Wednesday 29 July 2020 12:12:38 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वैश्विक बाघ दिवस पर नई दिल्ली में बाघों की गणना पर विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि बाघ प्रकृति का एक असाधारण हिस्सा है और भारत में इनकी बढ़ी संख्या प्रकृति में संतुलन को दर्शाती है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बाघ और वन्यजीव भारत की एक प्रकार की ताकत हैं, जिसे भारत अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद भारत में जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है, क्योंकि हमारे देश में प्रकृति, पेड़ों और इसके वन्य जीवन को बचाने और उन्हें संरक्षित करने की संस्कृति है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि भारत में दुनिया की बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा है, भारत बाघों के पोषण की दिशा में बाघ वाले सभी 13 देशों के साथ मिलकर अथक प्रयास कर रहा है। वन एवं पर्यावरण मंत्री ने घोषणा की है कि उनका मंत्रालय एक ऐसे कार्यक्रम पर काम कर रहा है, जिसमें मानव और जानवरों के बीच टकराव की चुनौती से निपटने के लिए जंगल में ही जानवरों को पानी और चारा उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए पहली बार एलआईडीएआर (लिडार) आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जाएगा, लिडार लेजर प्रकाश से लक्ष्य को रोशन करके और एक सेंसर के साथ प्रतिबिंब को मापने के जरिए दूरी को मापने की एक विधि है। उन्होंने कहा कि मानवजाति के जंगल में टकराव से कई जानवरों की मौत हो रही है। बाघ की प्रमुख प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्री ने छोटी बिल्लियों की उपस्थिति पर एक पोस्टर जारी किया।
सरकारी जानकारी के अनुसार बाघ अभ्यारण्यों के बाहर भारत के कुल बाघों के लगभग 30 प्रतिशत बाघ रहते हैं, इसे देखते हुए भारत ने वैश्विक रूपसे विकसित संरक्षण आश्वासन बाघ मानकों के माध्यम से इनके प्रबंधन के तरीके का आकलन करना शुरू किया था, जिसे अब देशभर के सभी पचास बाघ अभ्यारण्यों तक विस्तारित किया जाएगा। इस अवसर पर पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मानव-पशु टकराव से बचा जा सकता है, लेकिन देश में इसे खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष काम कर रहे अधिकारियों ने देश में बाघों की संख्या बढ़ाने का सराहनीय काम किया है। चौथे अखिल भारतीय बाघ अनुमान की विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार सह शिकारियों और अन्य प्रजातियों के जानवरों के बहुतायत सूचकांक तैयार किए गए हैं, जिन्हें अबतक सिर्फ रहनेभर तक सीमित किया गया है, सभी कैमरा लगे इलाकों में बाघों का लिंगानुपात पहली बार किया गया है। बाघों की आबादी पर मानवजनित प्रभावों का विस्तृत रूपसे वर्णन किया गया है। बाघ अभ्यारण्यों के भीतर बाघों की मौजूदगी का पहली बार प्रदर्शन किया गया है।
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ क्षेत्र वाले देशों के शासनाध्यक्षों ने बाघ संरक्षण पर तैयार किए गए सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके 2022 तक अपने-अपने देशों में बाघों की संख्या दोगुना करने का संकल्प लिया था। इस बैठक के दौरान दुनियाभर में 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया, तभीसे हर साल बाघ संरक्षण पर लोगों के बीच जागरुकता पैदा करने और उसके प्रसार के लिए वैश्विक बाघ दिवस मनाया जा रहा है। पिछले साल वैश्विक बाघ दिवस 2019 के दौरान यह भारत के लिए गर्व का क्षण था, क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया के सामने बाघों की संख्या दोगुना करने के भारत के अपने संकल्प को लक्ष्य वर्ष से चार साल पहले पूरा करने की घोषणा की। भारत में बाघों की कुल आबादी अब 2967 है, जो दुनिया भर में बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत है। भारत की झोली में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की उपलब्धि आई है, जो विश्व में कैमरे का विशाल जाल बिछाकर वन्यजीवों के सर्वेक्षण के रूप में देश की कोशिशों को मान्यता देता है।
बाघों पर रिपोर्ट में पूरे भारत में स्थानिक अध्यावास और घनत्व के संदर्भ में बाघों की स्थिति का आकलन किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जुलाई, 2019 में ‘भारत में बाघों की स्थिति’ पर जारी संक्षिप्त रिपोर्ट के अलावा इस विस्तृत रिपोर्ट में पिछले तीन सर्वेक्षणों 2006, 2010 और 2014 से प्राप्त जानकारी की तुलना देश में बाघों की संख्या के रुझान का अनुमान लगाने के लिए 2018-19 में किए सर्वेक्षण से मिली जानकारी से की गई है। इसमें 100 किलोमीटर के दायरे में बाघ की स्थिति में बदलाव के लिए जिम्मेदार संभावित कारकों की जानकारी के साथ-साथ वास्तविक परिदृश्य, बाघों के उपनिवेश और उनके विलुप्त होने की दर के बारे में भी विशेष रूपसे जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बाघ आबादी वाले प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने वाले निवास स्थानों की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है और वैसे क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिन्हें हर हाल में संरक्षण की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में प्रमुख मांसाहारी जानवरों के बारे में जानकारी दी गई है और उनके विचरण क्षेत्र और सापेक्ष बहुतायत के बारे में बताया गया है।