स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 3 August 2020 04:04:07 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे रामायण में जिस धर्म या मर्यादित सदाचार का वर्णन है, उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और उसके सार्वभौमिक संदेश का प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि इस कालातीत महाकाव्य में जिन आधारभूत मूल्यों और आदर्शों का वर्णन है, उससे अपने जीवन को समृद्ध करें। उपराष्ट्रपति ने 17 भाषाओं में अपने फेसबुक पोस्ट 'श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण और उन आदर्शों की स्थापना' में 5 अगस्त से होने जा रहे श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण पर खुशी जताई है। उन्होंने लिखा कि यदि हम रामायण को सही परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह अवसर समाज के आध्यात्मिक अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगा, यह ग्रंथ धर्म और सदाचरण के भारतीय जीवन दर्शन का विस्तार समग्रता में दिखाता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लिखा कि रामायण एक कालजई रचना है, जो हमारे समाज की साझा चेतना का अभिन्न अंग है। उन्होंने लिखा कि श्रीराम मर्यादा पुरुष हैं, वे उन मूल्यों के साक्षात मूर्तस्वरूप हैं, जो किसी भी न्यायपूर्ण और संतुलित सामाजिक व्यवस्था का आधार हैं। उपराष्ट्रपति दो सहस्त्राब्दी पूर्व लिखे गए इस महाकाव्य की महिमा के विषय में लिखा कि रामायण के आदर्श सार्वभौमिक हैं, जिन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक समाजों पर अमिट सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा है। वेद और संस्कृत के विद्वान आर्थर एंटनी मैक्डोनल्ड को उद्धृत करते हुए वे लिखते हैं कि भारतीय ग्रंथों में जिन राम का वर्णन है, वो मूलतः पंथ निरपेक्ष हैं और उन्होंने विगत ढाई सहस्त्राब्दी में जन सामान्य के जीवन और विचारों पर अमिट प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने लिखा है कि श्रीराम कथा देश-विदेश के कलाकारों, कथाकारों, लोककला, संगीत, काव्य, नृत्य के लिए एक अनुकरणीय कथानक है। उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के बाली, मलाया, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में श्रीराम कथा पर आधारित विभिन्न कला विधाओं का उल्लेख किया है, जो श्रीराम कथा की सार्वभौमिक लोकप्रियता का परिचायक है।
उपराष्ट्रपति ने बताया कि रामायण महाकाव्य का अलेक्जेंडर बारानिकोव ने रूसी भाषा में अनुवाद किया है तथा रूसी थिएटर कलाकार गेनेडी पेंचनिकोव ने इसका मंचन किया है, कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर श्रीराम कथा को उकेरा गया है तथा इंडोनेशिया के प्रंबनान मंदिर की श्रीराम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रसिद्ध है और ये सभी विश्व के सांस्कृतिक पटल पर रामायण के प्रभाव को दर्शाते हैं। उन्होंने लिखा है कि बौद्ध, जैन और सिक्ख परम्पराओं में भी श्रीराम कथा का समावेश किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाओं में इस महाकाव्य के इतने सारे संस्करण होना, यह साबित करता है कि इस कथानक में ऐसा कुछ तो है, जो उसे आज भी लोगों में लोकप्रिय तथा समाज के लिए प्रासंगिक बनाता है। उन्होंने लिखा है कि श्रीराम उन मर्यादाओं और गुणों की साक्षात मूर्ति हैं, जिनके लिए हर व्यक्ति प्रयास करता है, हर समाज अपेक्षा करता है।
श्रीराम कथा के बारे में उपराष्ट्रपति ने लिखा है कि यह वन गमन के दौरान प्रभु श्रीराम के जीवन में हुई घटनाओं में गुंथी हुई उनकी मर्यादाओं की कथा है, जिसमें सत्य, शांति, सहयोग, समावेश, करुणा, सहानुभूति, न्याय, भक्ति, त्याग जैसे सार्वकालिक सार्वभौमिक गुणों के दर्शन होते हैं, जो भारतीय जीवन दर्शन का आधार हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि इन्हीं कारणों से रामायण आज भी प्रासंगिक है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने रामराज्य को ऐसी जनकेंद्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था के मानदंड के रूपमें देखा था, जो शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, समावेशी सद्भाव तथा जनसामान्य के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहती है। उपराष्ट्रपति का मानना है कि श्रीराम कथा समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए हमारी राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासकीय व्यवस्था के लिए एक अनुकरणीय मानदंड है।