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Thursday 13 August 2020 06:19:39 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए 'पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान' नाम से एक मंच का शुभारंभ किया और कहा है कि भारत में संगठनात्मक सुधारों की प्रक्रिया आज नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की कराधान प्रणाली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पारदर्शी कराधान-ईमानदार सम्मान मंच शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मंच में फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपील और करदाता चार्टर जैसे प्रमुख सुधारों को समाहित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कर संरचना में मूलभूत सुधारों की आवश्यकता थी, क्योंकि पूर्व में बनाई गई कर संरचना पहले से विकसित थी। उन्होंने कहा कि पहले की कर प्रणाली की जटिलताओं ने इसे नया रूप देना मुश्किल बना दिया था। उन्होंने कहा कि सरल कानून और प्रक्रियाओं का अनुपालन आसान होता है, ऐसा ही एक उदाहरण जीएसटी है, जिसने दर्जनों करों का स्थान लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नवीनतम कानूनों ने कर प्रणाली में कानूनी बोझ को कम कर दिया है, अब उच्च न्यायालय में कराधान से जुड़े मामलों को दायर करने की सीमा 1 करोड़ रुपये और उच्चतम न्यायालय में दाखिल करने के लिए 2 करोड़ रुपये तक निर्धारित की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि फेसलेस असेसमेंट और करदाता चार्टर लागू हो गया है, जबकि दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर से देशभर के नागरिकों के लिए फेसलेस अपील की सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नए मंच का उद्देश्य इसे फेसलेस बनाने के अलावा करदाताओं का विश्वास बढ़ाना और उन्हें निडर बनाना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले छह वर्ष में सरकार का ध्यान 'बैंकिंग द अनबैंक्ड, सिक्योरिंग द अनसिक्योर्ड एंड फंडिंग द अनफंडेड' पर रहा है, ऑनरिंग द ऑनेस्ट का मंच भी इसी दिशा में एक कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण में ईमानदार करदाताओं की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे करदाताओं का जीवन आसान बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जब देश के एक ईमानदार करदाता का जीवन आसान हो जाता है, वह आगे बढ़ता है और प्रगति करता है, उसकी प्रगति से देश का भी विकास होता है और वह भी आगे बढ़ता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई सुविधाएं ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’ प्रदान करने के सरकार के संकल्प का ही एक हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हर नियम, हर कानून और हर नीति सत्ता केंद्रित होने की बजाए लोक केंद्रित बनाई गई है, नए शासन के मॉडल के अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है, जहां सभी कार्यों के निष्पादन में कर्तव्य को प्रधानता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सजा के डर के कारण नहीं, बल्कि समग्र दृष्टिकोण की समझ के कारण है, जिसे अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 वर्ष में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग 2.5 करोड़ की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक करोड़ 30 लाख की आबादी वाले देश के केवल डेढ़ करोड़ लोग ही आयकर देते हैं, जो कि बहुत कम है। उन्होंने लोगों से आत्मावलोकन कर आयकर दाखिल करने के लिए आगे आने और राष्ट्रनिर्माण में योगदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के सुधार टुकड़े-टुकड़े में नहीं हैं, बल्कि वे समग्र दृष्टिकोण के साथ परिणाम देने के उद्देश्य से हैं। उन्होंने कहा कि 'विवाह से विश्वास' योजना जैसी पहल ने अधिकांश मामलों को अदालत से बाहर निपटाने का मार्ग प्रशस्त किया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर स्लैब को भी मौजूदा सुधारों के एक हिस्से के रूपमें युक्तिसंगत बनाया गया है, जहां 5 लाख रुपये तक की आय पर शून्य कर देय है, जबकि शेष स्लैब में भी कर की दर कम हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे कम कॉर्पोरेट टैक्स वाले देशों में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा कर सुधारों का लक्ष्य कर व्यवस्था को निर्बाध, बिना रुकावट, वाला और फेसलेस बनाना है। उन्होंने कहा कि आसान कर प्रणाली करदाता की समस्याओं को उलझाने के बजाय उसे सुलझाने का काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी से लेकर नियमों तक सब कुछ सरल और आसान होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेसलेस प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि छानबीन, नोटिस, सर्वेक्षण या मूल्यांकन के सभी मामलों में करदाता और आयकर अधिकारी के बीच सीधे संपर्क की आवश्यकता नहीं है।
करदाता चार्टर का उल्लेख करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां करदाता को अब उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि चार्टर करदाता की गरिमा और संवेदनशीलता को बनाए रखने का भी ध्यान रखता है और यह इस भरोसे पर आधारित है कि बिना आधार के करदाता पर संदेह नहीं किया जा सकता है। वर्ष 2012-13 में 0.94 प्रतिशत से 2018-19 में 0.26 प्रतिशत तक पिछले 6 वर्ष में स्क्रूटनी (जांच) मामलों में आई चार गुना कमी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह स्वयं सरकार के भरोसे का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि भारत ने कर प्रशासन में शासन का एक नया मॉडल विकसित किया है।