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Friday 14 August 2020 02:50:57 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और बीईएमएल के चार-चार, बीईएल के दो और एचएएल, बीडीएल, एमडीएल, जीआरएसई और जीएसएल के एक-एक उत्पाद का शुभारंभ किया है, जिनको संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों एवं ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने आत्मनिर्भर भारत सप्ताह समारोह के भाग के रूपमें विकसित किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा कि रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भर अभियान के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को साकार करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान भारत के रक्षा उत्पादन को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, रक्षा उत्पादन सचिव राज कुमार और डीडीपी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। डीपीएसयू के सीएमडी और ओएफबी के चेयरमैन ने वीडियो कॉंफ्रेंस से कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय की खरीद प्रक्रियाओं, उत्पादन नीतियों और स्वदेशीकरण पहलों को कारगर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के माध्यम से स्वदेशी रक्षा उत्पादों के विकास और निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, इससे आयात पर भारत की निर्भरता कम हो जाएगी और विदेशी मुद्रा के बहिर्गमन को सीमित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू रक्षा उद्योग के विकास को प्रोत्साहित किया जा सकेगा एवं भारत को बाहरी दबाव से बचाया जा सकेगा और रक्षा उपकरणों के आजीवन कलपुर्जे एवं सेवा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सकेगा। ओएफबी के निगमीकरण का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर सरकारी स्वामित्व वाले रक्षा उद्योगों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर प्रतिस्पर्धी बनाना है तो अप्रचलित प्रथाओं को समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें राज्य के रक्षा उद्योगों को आधुनिक प्रबंधन तकनीक, प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण और सहयोगात्मक प्रयास में सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे वे कुशलतापूर्वक देश की सेवा कर सकें।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने ओएफबी का निगमीकरण करने की दिशा में कदम उठाया है और यह न केवल नियंत्रित मूल्य निर्धारण की बाधाओं को दूर करने में सहायक साबित होगा, बल्कि कॉर्पोरेट प्रबंधन प्रथाओं और कुशल प्रणालियों को भी प्रभावित करेगा। शुभारंभ किए गए रक्षा उत्पादों में डीआरडीएल हैदराबाद के सहयोग से ऑर्डिनेंस फैक्ट्री मेडक की नाग मिसाइल कैरियर (नामिका) का प्रारूप शामिल है। नामिका में आयात प्रतिस्थापन क्षमता है, जोकि पहले चरण में 260 करोड़ रूपये और बढ़कर 3,000 करोड़ रूपये तक जा सकती है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के अन्य उत्पाद जैसे आयुध कारखाना त्रिची में मौजूदा सुविधाओं के साथ निर्मित, पूर्ण रूपसे स्वदेशी 14.5 एमएम की एंटी मटेरियल राइफल, टी90 मुख्य युद्धक टैंक के लिए अपग्रेडेड कमांडर थर्मल इमेजर कम डे साइट और लंबी दूरी के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राइफल फैक्टरी ईशापोर द्वारा विकसित 8.6x70 एमएम स्नाइपर का प्रारूप भी शामिल है।
रक्षामंत्री ने बीईएमएल की सराहना करते हुए कहा कि स्वदेशीकरण और आयात में कमी लाने की दिशा में उनके प्रयास बहुत ही प्रभावशाली हैं। उन्होंने कहा कि 150 टन भार क्षमता वाला डंप ट्रक सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक माइनिंग डंप ट्रकों में से एक और 180 टन क्षमता की सुपर जायंट माइनिंग एक्सीवेटर दोनों स्वदेशी रूपसे डिजाइन और तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आयातित उपकरणों की तुलना में 20 प्रतिशत से ज्यादा की लागत लाभ प्रदान करने के साथ क्रमशः 1,500 करोड़ रूपये और 220 करोड़ रूपये की अपेक्षित विदेशी मुद्रा बचाते हैं, जो वास्तविक रूपसे आत्मनिर्भर उत्पाद हैं। उन्होंने कहा कि गौड़, बीईएमएल का मध्यम बुलेट प्रूफ वाहन है, जो उच्च गतिशीलता चेसिस पर निर्मित है और जिसमें प्रभावशाली फीचर्स एवं कस्टमाइजेबल प्रोटेक्शन लेवल है, कस्टम निर्मित हेलीपोर्टेबल 100 एचपी डोजर, जिनका उच्च स्वदेशीकरण स्तर क्रमशः 85 प्रतिशत और 94 प्रतिशत है और ये उल्लेखनीय उत्पाद हैं।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के 150वें डीओ-228 विमान का रोल आउट, सिद्ध प्लेटफॉर्म द्वारा स्वदेशी निर्माण में एक मील का पत्थर है। आईएन-259 के रूपमें 150वें विमान को नामांकित करना और इसे भारतीय नौसेना के लिए समुद्री जासूसी देखभाल और खुफिया युद्ध के लिए एक समर्पित मंच के रूपमें अनुकूलित करना एचएएल की तकनीकी प्रगति का प्रतिबिंब है। एचएएल और आईआईएससी कर्नाटक में आईआईएससी के चैलकेरे परिसर में एक कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के लिए एक साथ आए हैं। इस केंद्र का लक्ष्य एक ऐसा मॉडल सुविधा केंद्र तैयार करना है, जो मेक इन इंडिया मिशन के अनुरूप स्थानीय समुदाय के सदस्यों से लेकर उच्चस्तरीय इंजीनियरिंग पेशेवरों तक विभिन्न लाभार्थियों को कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करेगा। लीनियर वेरिएबल डिफरेंशियल ट्रांसड्यूसर को पूर्ण रूपसे बीईएल ने डिजाइन और विकसित किया है, जो गाइडिंग और लक्ष्य प्राप्ति में सटीकता एवं परिशुद्धता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है और 1 किलोवाट ट्रांसमीटर एरियल स्विचिंग रैक का शुभारंभ, जो भारतीय नौसेना को बेहतर दीर्घकालिक सहायता प्रदान करने के लिए है और एचएफ एरियल स्विचिंग यूनिट के लिए एक आयात प्रतिस्थापन है, ये सब वास्तविक रूपसे स्वदेशी उत्पाद हैं।
कोंकुर्स लॉंचर की पूरी कार्यक्षमता की जांच के लिए पहले रूस से आयातित प्रणाली के स्थान पर भारत डायनेमिक्स लिमिटेड बीडीएल द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया कोंकुर्स लॉंचर परीक्षण उपकरण, 17.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने प्रकार का पहला कार्बन फाइबर पॉलिमर कम्पोजिट मटीरियल से बना पोर्टेबल पेडेस्ट्रियन (असॉल्ट) ब्रिज का डिजाइन और विकास किया है, जो वास्तविक रूपमें एक आत्मनिर्भर उत्पाद है। जीएसएल द्वारा भारतीय तटरक्षक ऑफशोर पेट्रोल पोत परियोजना के लिए गियरबॉक्स का स्वदेशी विकास, न केवल आत्मनिर्भरता की बल्कि एक निजी कंपनी के साथ साझेदारी की भी एक सफल कहानी है, जिसके परिणामस्वरूप इसके स्वदेशीकरण से 5 जहाजों के सेट के लिए 37.50 करोड़ रूपये की बचत हुई है। एमडीएल द्वारा अंडरवाटर रिमोट संचालित वाहन जिसका प्रयोगशाला परीक्षण पूरा किया जा चुका है, चेन्नई में अपने फील्ड मूल्यांकन परीक्षण की शुरुआत कर चुका है। रक्षामंत्री ने डीपीएसयू और आयुध कारखानों के प्रबंधन और कर्मचारियों को स्वदेशी उत्पादों पर मंथन करने में उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और आत्मनिर्भर के लिए उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।
राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन सचिव और उनकी टीम को 7 से 14 अगस्त 2020 तक आत्मनिर्भरता सप्ताह मनाने की दिशा में की गई पहल के लिए विशेष रूपसे बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उत्पादों और नए उत्पादों की प्रभावशाली सूची, जो जारी की गई है, वह डीपीएसयू और आयुध कारखानों के आत्मनिर्भर अभियान के प्रमुख चालक साबित होंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान देंगें। उन्होंने कहा कि डीपीएसयू और आयुध कारखाने राष्ट्रीय सुविधाएं हैं, जिनको लंबे समय तक निर्मित और मजबूत किया गया है और इनमें बहुत ज्यादा तकनीकी कौशल और क्षमता उपलब्ध है। उनके पास कुशल संरचना वाली आरएंडडी, परीक्षण सुविधाएं और विनिर्माण क्षमता मौजूद हैं, जिनका उपयोग पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण के लिए किया जाना चाहिए।