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Friday 14 August 2020 03:12:06 PM
नई दिल्ली/ पणजी। भारतीय तटरक्षक बल में एक नए अपतटीय गश्ती जहाज को शामिल कर लिया गया है। कोरोना वैश्विक महामारी पर भारत सरकार के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए नई दिल्ली तटरक्षक मुख्यालय से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से गोवा शिपयार्ड लिमिटेड जीएसएल यार्ड 1236 में एक भव्य समारोह में रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, उनकी पत्नी वीना अजय कुमार और वरिष्ठ अधिकारियों ने नए गश्ती जहाज का ‘सार्थक’ के रूपमें नामकरण करके इसे लॉंच किया। इस अवसर पर भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक के नटराजन, मैसर्स जीएसएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, नौसेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। पांच अपतटीय गश्ती जहाज की श्रृंखला में गश्ती जहाज सार्थक चौथे स्थान पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप मैसर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने गश्ती जहाज सार्थक को स्वदेशी रूपसे डिजाइन और निर्मित किया है। सार्थक अत्याधुनिक नेविगेशन और संचार उपकरण, सेंसर और मशीनरी से सुसज्जित है। करीब 105 मीटर लंबा यह जहाज लगभग 2350 टन जल विस्थापित करता है और इसे 6000 नॉटिकल माइल्स की स्थायित्व के साथ 26 समुद्री मील (नॉट) की अधिकतम गति प्रदान करने के लिए इसमें 9100 किलोवाट के दो डीजल इंजन लगाए गए हैं। नवीनतम उपकरणों और प्रणाली के साथ इसकी मजबूती और विस्तार इसे कमांड प्लेटफ़ॉर्म की भूमिका निभाने और तटरक्षक चार्टर को पूरा करने की कार्य क्षमता प्रदान करता है। इस जहाज को दो इंजन वाले एक हेलीकॉप्टर, उच्चगति वाली चार नावों और स्विफ्ट बोर्डिंग और तलाशी एवं बचाव ऑपरेशन के लिए एक हवा वाली नाव को चढ़ाने और इन्हें ले जाने के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है।
सार्थक जहाज समुद्र में तेल रिसाव प्रदूषण प्रतिक्रिया करने के लिए सीमित प्रदूषण प्रतिक्रिया उपकरण ले जाने में भी सक्षम है। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने डिजिटल माध्यमों के जरिए सार्थक जहाज का शुभारम्भ करने की इस पहल के लिए भारतीय तटरक्षक बल और मैसर्स जीएसएल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारतीय तटरक्षक बल की बढ़ती ताकत और भारतीय जहाज निर्माण उद्योग की क्षमताओं का गवाह है, जो भारतीय समुद्रीबलों के जहाजों के निर्माण और रख-रखाव के लिए एक मजबूत सहायक स्तंभ है। उन्होंने महामारी कोविड-19 के बावजूद अनुबंध को समय-सीमा में पूरा करने में गोवा शिपयार्ड की व्यावसायिकता की भी प्रशंसा की। भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक के नटराजन ने इस अवसर पर कहा कि यह शुभारम्भ किसी भी जहाज के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि वह पहली बार पानी में उतरती है, जिससे उसका पूरे सेवाकाल तक का नाता है।
भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक ने कहा कि समुद्र में भारतीय तटरक्षक इकाई की मौजूदगी निडरता और आश्वासन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि यह ग़लत इरादे वाले लोगों को रोकता है और साथ ही समुद्री समुदाय को आश्वस्त करता है, जो भारतीय तटरक्षक बल को ‘समुद्र में उद्धारक’ के रूपमें देखता है, क्योंकि वे जानते हैं कि भारतीय तटरक्षक समुद्र में किसी भी संकट की स्थिति में बुलाने पर या जीवन पर खतरा आने पर तेजी से राहत कार्य में जुट जाता है। उन्होंने जीएसएल के सीएमडी और कोस्टगार्ड रिफिट और प्रोडक्शन सुपरिंटेंडेंट गोवा और उनकी टीमों की उनके समर्पित प्रयासों के लिए सराहना की, जिनकी वजह से इस जहाज का शुभारम्भ हो सका। भारतीय तटरक्षक स्वदेशी परिसंपत्तियों को शामिल करने में अग्रणी रहा है, जिसने इसे पूरे वर्ष परिचालन रूपसे उपलब्ध रहने में सक्षम बनाया है।
गश्ती जहाज सार्थक में लगभग 70 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री लगी है, इस प्रकार यह भारतीय जहाज निर्माण उद्योग के लिए आवश्यक प्रेरणा है और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। इसको राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा के लिए ईईजेड निगरानी, तटीय सुरक्षा और तटरक्षक चार्टर में निहित कर्तव्यों के लिए बड़े पैमाने पर तैनात किया जाएगा। इस पांच ओपीवी परियोजना के अलावा 52 जहाज विभिन्न भारतीय शिपयार्डों में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और 16 उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों का निर्माण मैसर्स एचएएल बेंगलुरु में चल रहा है, जो गंभीर समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय तटरक्षक बल की निगरानी क्षमताओं को और मजबूती प्रदान करेंगे। इसके आदर्श वाक्य ‘वयम रक्षाम’ का अर्थ हम रक्षा करेंगे है। अपने इस आदर्श वाक्य के अनुरूप भारतीय तटरक्षक बल को समुद्र में लगभग 9730 लोगों की जान बचाने का श्रेय हासिल है। इसने 12,500 नागरिक अधिकारियों की जान बचाने में सहायता पहुंचाई है और 400 मेडिकल निकासी का भी काम किया है।
भारतीय तटरक्षक बल सिर्फ भारतीय जल सीमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मैत्रीपूर्ण राज्यों के साथ द्विपक्षीय सहयोग समझौतों के प्रावधानों की वजह से हिंद महासागर क्षेत्र में नशीली दवाओं की तस्करी रोकने का भी काम करता है। आईसीजी और कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच जानकारी साझा करने, नजदीकी तालमेल और आपसी समझ की वजह से इन ऑपरेशनों को पूरा करने में महत्वपूर्ण सफलता मिलती रही है। भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र पर भारतीय तटरक्षक बल की गिद्ध दृष्टि और सतर्कता की वजह से 6800 करोड़ रुपये की अफीम की जब्ती सुनिश्चित की गई है। भारतीय तटरक्षक भारतीय उपमहाद्वीप के आसपास संरक्षित और सुरक्षित तथा स्वच्छ समुद्र सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।