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Monday 24 August 2020 12:59:03 PM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय ले लिया है कि चाहें तो राज्य और संघशासित प्रदेश नौकरी के चयन के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) की होने वाली सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) का लाभ उठा सकते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीईटी स्कोर को राज्य और संघशासित प्रदेशों की भर्ती एजेंसियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और निजी क्षेत्र के साथ भी साझा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे वास्तव में राज्य और संघशासित प्रदेशों की सरकारों, भर्ती एजेंसियों को भर्ती पर होने वाले खर्च और समय की बचत करने में मदद मिलेगी, जबकि यह एक ही समय में नौकरी के इच्छुक युवा उम्मीदवारों के लिए सुविधाजनक और किफायती भी है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन एजेंसियों और इन संगठनों द्वारा सीईटी स्कोर का उपयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन के रूपमें एक व्यवस्था की जा सकती है, आखिरकार यह नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए एक लाभदायक व्यवस्था साबित हो सकती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने खुलासा किया कि डीओपीटी और वह खुद कई राज्यों और संघशासित प्रदेश सरकारों के संपर्क में हैं, जिन्होंने सामान्य पात्रता परीक्षा की साझा व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मुख्यमंत्री भी इस सुधार को अपनाने के लिए काफी उत्सुक और इसके पक्ष में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और अनुग्रह के बिना यह क्रांतिकारी निर्णय संभव नहीं हो सकता था, इसकी सराहना करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह संघर्षरत युवाओं और नौकरी के इच्छुक लोगों के जीवन में आसानी लाने के लिए एक बड़ा सुधार साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशीलता और विचारशीलता का भी प्रतिबिंब है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जो लोग परीक्षा के लिए उपस्थित हो रहे हैं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को मौजूदा सरकार की नीति के अनुसार ऊपरी आयु सीमा में छूट दी जाएगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि सामान्य पात्रता परीक्षा में भर्ती के नियमों जैसे निवास स्थान आदि के साथ कोई सह संबंध या असंगतता नहीं होगी, जिसका कुछ राज्यों या संघशासित प्रदेशों द्वारा पालन किया जा रहा है। कुछ लोगों की गलतफहमी के विपरीत, सामान्य पात्रता परीक्षा केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा में आयोजित नहीं की जाएगी, बल्कि इसे 12 भारतीय भाषाओं में कराया जाएगा, जबकि धीरे-धीरे संविधान की 8वीं अनुसूची की अन्य भाषाओं को भी शामिल कर लिया जाएगा।