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Wednesday 16 September 2020 01:21:03 PM
नई दिल्ली। ब्रिटिश पुलिस ने भारतीय उच्चायोग लंदन में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की मूर्तियां लंदन में भारतीय उच्चायोग को सौंप दी हैं। ये मूर्तियां लगभग 40 साल पहले तमिलनाडु के विजयनगर काल के एक मंदिर से चुरा ली गई थीं और ब्रिटेन भेज दी गई थीं। शैलीगत दृष्टि से इन मूर्तियों का संबंध 15वीं शताब्दी से है। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने आभासी माध्यम से भारतीय उच्चायोग लंदन में आयोजित मूर्तियों के हस्तांतरण समारोह में भाग लिया। ब्रिटिश शासनकर्ता और ब्रिटिश राजपरिवार भारत से अधिकांश मूल्यवान वस्तुएं कलाकृतियां, मूर्तियां और किताबें पहले ही अपने यहां ले जा चुके हैं, जिनकी वापसी की कोई उम्मीद नहीं है, जिनमें कोहिनूर हीरा भी एक है।
केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ब्रिटिश पुलिस, स्पेशल आइडल विंग, तमिलनाडु सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं भारतीय उच्चायोग लंदन का इन कीमती मूर्तियों को भारत वापस लाने के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि स्पेशल आइडल विंग, तमिलनाडु सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं भारतीय उच्चायोग लंदन के कारण इन मूर्तियों का भारत लाना संभव हुआ है। संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पिछली सरकारों तक हमें विदेशों से केवल 13 मूर्तियां ही मिल पाई थीं, जबकि 2014 से अबतक हमें भारत की 40 से अधिक मूर्तियां प्राप्त हो चुकी हैं और अगले साल तक विदेशों से और भी अधिक भारतीय मूर्तियां लाने का प्रयास कर रहे हैं।
राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि हम वाग देवी की मूर्ति को भी भारत वापस लाने के लिए ब्रिटिश संग्रहालय से बात कर रहे हैं। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की क्रमशः 90.5 सेंटीमीटर, 78 सेंटीमीटर तथा 745 सेंटीमीटर ऊंची कांसे की ये प्रतिमाएं भारतीय धातु कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं। गौरतलब है कि भारतीय कला संस्कृति की अनूठी धरोहरें मूर्तियां या वस्तुएं या तो मुस्लिम शासकों, लुटेरों, आक्रांताओं ने नष्ट कर दीं, उनकी तस्करी कर दी गईं, उन्हें स्थानीय रियासतदारों ने चंद पैसों के लिए विदेशों में बेच दिया अथवा ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिशर्स अपने यहां ले गए, जिनसे आज उनके संग्रहालय सजे हैं और हिंदुस्तान की स्थिति यह है कि यदि भारतवासियों को अपने देश की सांस्कृतिक वास्तु और कला को और अच्छी तरह से जानना है तो उन्हें भारत में नहीं बल्कि ब्रिटेन के संग्रहालयों में जाना होगा। विदेशों से जो भारतीय मूर्तियां वतन वापस लाई जा सकी हैं या जिन्हें लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वह बहुत ही संघर्षशील हैं।
कोहिनूर हीरा भारत का ही था, जो ब्रिटेन की महारानी के पास है, जिसे ब्रिटेन के शासनकर्ता अपने यहां ले गए और उसे आजतक भारत को लौटाने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी और भी वस्तुएं हैं, जिनका भारत के मान-सम्मान से गहरा संबंध है, लेकिन आज वह विदेशों में हैं। भारत के मुस्लिम घरानों ने यह बेहद गंदा काम किया है कि उन्होंने हिंदुस्तान की बेशकीमती वस्तुओं को चोरीछिपे देश के बाहर बेच दिया और उनके पैसे खड़े कर लिए। भारत पर मुसलमानों के हमलों के दौरान लाखों बेशकीमती वस्तुएं जो भारतीय सभ्यता का उत्कृष्ट प्रमाण थीं, भारतीय मंदिरों से लूटी गईं, तोड़ी गईं, नष्ट की गईं। मोदी सरकार के समय में भारतीय वस्तुओं को विदेशों से लाने की कोशिशें की तो जा रही हैं, लेकिन उनमें कम ही सफलता मिल रही है, क्योंकि वे उन देशों के संग्रहालयों या महलों की शोभा बन चुकी हैं।