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अप्रवासी शोधार्थियों के लिए आकर्षक योजनाएं

भारतीय शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों में कई विशिष्ट अवसर

विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जारी किया योजनाओं का रोडमैप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 22 September 2020 12:17:43 PM

ministry of science and technology logo

नई दिल्ली। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का दावा है कि उसने अप्रवासी भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को भारतीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में काम करने के लिए आकर्षक विकल्‍प और अवसर प्रदान करने वाली योजनाएं बनाई हैं जैसे-विजिटिंग एडवांस्ड ज्‍वाइंट रिसर्च (वज्र) फ़ैकल्टी स्कीम। यह योजना अनिवासी भारतीयों और विदेशी भारतीय नागरिकों, विदेशी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को भारत के सार्वजनिक वित्तपोषित संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एक विशिष्ट अवधि तक काम करने और भारत लाने के लिए है। इस योजना की खास बात यह बताई गई है कि यह योजना भारतीय शोधकर्ताओं और विदेशी वैज्ञानिकों को एक या एक से अधिक भारतीय सहयोगियों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले सहयोगशील अनुसंधान करने के लिए एडजंक्‍ट एवं विजिटिंग फैकल्टी असाइनमेंट प्रदान करती है।
रामानुजन अध्येतावृत्ति। यह अध्येतावृत्ति विदेश में रह रहे उच्च क्षमतावान भारतीय शोधकर्ताओं को भारतीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में काम करने के लिए विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के सभी क्षेत्रों में आकर्षक विकल्‍प और अवसर प्रदान करती है, यह विदेश से भारत लौटना चाह रहे 40 साल से कम उम्र के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए लक्षित है। रामलिंगस्वामी पुनः प्रवेश अध्येतावृत्ति-यह कार्यक्रम देश के बाहर काम कर रहे उन वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए है, जो जीवन विज्ञान, आधुनिक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अपने अनुसंधान विषयों का अनुशीलन करने के लिए स्वदेश लौटना चाहेंगे। बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम-यह कार्यक्रम शुरुआती, मध्यवर्ती और वरिष्ठ स्तर के शोधकर्ताओं को भारत में बेसिक बायोमेडिकल या क्लीनिकल एंड पब्लिक हेल्थ में अपने अनुसंधान और शैक्षणिक कैरियर को सुव्‍यवस्थित करने के लिए अवसर प्रदान करता है। ये अध्येतावृत्तियां उन सभी पात्र शोधकर्ताओं के लिए उपलब्‍ध हैं, जो भारत में काम करना जारी रखना चाहते हैं या यहां काम करने के लिए पुन: स्‍थानन चाहते हैं।
भारतीय अनुसंधान प्रयोगशाला में भारतीय मूल के वैज्ञानिक या प्रौद्योगिकीविदों को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद प्रयोगशालाओं में अनुबंध आधार पर नियुक्‍त करने का उपबंध है, जिससे कि सुविज्ञता के उनके अनुशासन में शोध क्षेत्र का पल्‍लवन हो सके। वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप (वैज्ञानिक पूल योजना)-यह योजना मुख्य रूपसे विदेशों से लौट रहे उच्च योग्यता वाले उन भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और चिकित्सा कार्मिकों को अस्थायी प्लेसमेंट प्रदान करने के लिए अभिप्रेत है, जिनका भारत में कोई रोज़गार नहीं है, वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप नियमित नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक अस्थायी सुविधा है, जिससे एसोसिएट नियमित पद की तलाश करते हुए भारत में अनुसंधान या अध्‍यापन करने में समर्थ हो सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत छोड़कर दूसरे देशों में काम करने के लिए जाने वाले भारतीय वैज्ञानिकों की संख्या की खोज ख़बर नहीं रखता या अनुमान नहीं लगाता।
प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि प्रतिभा पलायन न होने देने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय विभिन्न प्रतिस्पर्धी योजनाओं या कार्यक्रमों जैसे-कोर रिसर्च ग्रांट, रिसर्च फैलोशिप जैसे जेसी बोस और स्वर्ण जयंती फैलोशिप आदि के कार्यांवयन के माध्यम से वैश्विक स्तर के अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है। युवा वैज्ञानिकों को अना‍श्रित बनाने और उन्हें देश में बने रहने के लिए प्रेरित करने के लिए कुछ विशेष योजनाएं हैं जैसे स्टार्ट-अप रिसर्च ग्रांट, नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप आदि। वैश्विक प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान मंत्रालय लगभग 80 देशों और विभिन्न बहुपक्षीय संगठनों या एजेंसियों के साथ अंतर्राष्ट्रीयस्‍तर के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एसएंडटी सहयोग से भारतीय अनुसंधान को वैश्विक अनुसंधान से भी जोड़ रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में इस संदर्भ में यह जानकारी दी।

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