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Wednesday 23 September 2020 03:27:02 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने डॉ योगेश दुबे के उपन्यास 'परिंदा-गिरमिटिया मजदूरों की अदम्य साहस गाथा' का लोकार्पण किया। डॉ योगेश दुबे का यह उपन्यास 18वीं शताब्दी में मध्य भारत से मॉरीशस भेजे गए साढ़े चार लाख से अधिक गिरमिटिया मजदूरों की मार्मिक दास्तां है, जिनकी कड़ी मेहनत और अदम्य साहस से मॉरीशस की पथरीली मिट्टी आज सोना बन गई है। मॉरीशस में इन भारतवंशियों ने कैसे अपने परिश्रम से पहले खुद को स्थापित किया और अब उनकी अगली पीढ़ी अपने को विकसित करके किस तरह वहां की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की गतिविधियों में योगदान दे रही है, यह उपन्यास भारत-मॉरीशस के इन्हीं अंतरावलंबन का विस्तृत खाका खींचता है।
डॉ योगेश दुबे सामाजिक सेवा और लेखकों में एक जाना-पहचाना नाम है। इस उपन्यास का प्रकाशन प्रलेक प्रकाशन ने किया है। डॉ योगेश दुबे को 2018 में विकलांग व्यक्तियों के प्रति उल्लेखनीय कार्य के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति के रूपमें सम्मानित किया था। डॉ योगेश दुबे ने कई दिव्यांगों को सहायता सामग्री के रूपमें सहायता प्रदान की है और उनके लिए नौकरी के अवसरों पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया है। डॉ योगेश दुबे को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। वे भारतीय विकास संस्थान के अध्यक्ष, भारत के विकलांग कल्याण ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
डॉ योगेश दुबे को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, समाज, ट्रस्ट, समूह, संगठनों ने समाज और दिव्यांगों के हित में विभिन्न योगदानों के लिए उन्हें सम्मानित किया है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन समेत हाई कमिश्नरों, साहित्यकारों, कुलपतियों ने भी डॉ योगेश दुबे के उपन्यास पर विचार व्यक्त किए। डॉ योगेश दुबे का यह उपन्यास इंटरनेट पर भी उपलब्ध है।