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सदन की गरिमा को बनाए रखें-सभापति

सदस्यों के निलंबन को अप्रिय लेकिन अपरिहार्य बताया!

सदन ही प्रतिस्पर्धी विचारों और तर्कों का सक्षम माध्यम

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Thursday 24 September 2020 04:54:59 PM

rajya sabha chairman m. venkaiah naidu

नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि वे उच्च सदन के नियमों, मानदंडों और गरिमा के प्रति अपने दायित्व से बंधे हैं, यद्यपि सदस्यों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण फैसला था, सदन के नियमों में अपरिहार्य स्थिति में ऐसे निलंबन का प्रावधान है। वेंकैया नायडू ने कहा कि विरोध करना विपक्ष का हक है फिर भी प्रश्न यही है कि इस अधिकार का प्रयोग कैसे और किस पद्धति से किया जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि सदन ही प्रतिस्पर्धी विचारों और तर्कों को व्यक्त करने का सबसे सक्षम माध्यम है, लंबे समय तक किया गया बायकॉट सदस्यों को उस अवसर से ही वंचित कर देता है, जिससे वे अपने विचारों को प्रभावी रूपसे व्यक्त कर सकें। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद और अन्य सदस्यों के पत्र जिसमें सदन से तीन श्रम कानूनों को पारित न करने का आग्रह किया गया है, उसका जिक्र करते हुए सभापति ने कहा कि पूर्व में भी ऐसे कई उदाहरण रहे हैं, जब सदन की पूर्व निर्धारित कार्यसूची पर विचार किया गया और कुछ सदस्यों के वॉकआउट या बायकॉट किए जाने के बावजूद भी बिलों को पारित किया गया है।
सभापति वेंकैया नायडू ने इस संदर्भ में 2013 के वित्त विधेयक और विनियोजन विधेयक का उदाहरण दिया। वेंकैया नायडू ने कहा कि यदि उस पत्र में ऐसा कोई भी संकेत होता कि वे लौट रहे हैं तथा विधेयक पर बहस को टाल दिया जाए तो वे स्वयं सरकार से इस विषय पर बात करते, लेकिन पत्र में ऐसा कोई आश्वासन नहीं था, बल्कि कुछ सदस्यों ने जो कुछ किया उसे न्यायोचित ठहराने की ही कोशिश की, इसलिए उन्हें विधेयकों पर बहस के लिए अनुमति देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता संतोषजनक रही फिर भी कुछ ऐसे विषय हैं, जो चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि हमें इन विषयों पर सम्मिलित रूपसे विचार करना चाहिए, जिससे कि भविष्य में बदलाव लाया जा सके। सभापति ने कहा कि सदन के इतिहास में पहली बार उपसभापति को हटाने के लिए नोटिस दिया गया, जोकि अंतत: अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि इसके लिए आवश्यक 14 दिन की पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि इससे उन सभी को ठेस पहुंची होगी, जो इस सदन की गरिमा और मर्यादा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सदस्यों से अपील की कि वे ध्यान रखें कि भविष्य में ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार की पुनरावृत्ति न हो।
हालांकि यह पहली बार नहीं था, जब कुछ सदस्यों को निलंबित किया गया हो तथा कुछ सदस्यों के बायकॉट के दौरान विधेयक पारित किए गए हों, फिर भी सभापति ने कहा कि यह नितांत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। सभापति ने कहा कि वे सदन से 22 वर्ष से जुड़े हैं और जब भी कोई विधेयक शोर-शराबे के बीच पारित किया जाता है, उन्हें पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि सभापति के रूपमें उन्हें तब और बुरा लगता है, जब वे देखते हैं कि सदन की पीठ व्यवधानों के सामने असहाय बनकर रह जाती है और फिर उसे नियमानुसार सदस्यों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए विवश होना पड़ता है। सभापति ने सदस्यों को याद दिलाया कि 1997 और 2012 में दो बार सदन ने यह संकल्प लिया था कि सभी सदस्य सदन के नियमों का पालन करेंगे और सदन की गरिमा बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही को सुचारु रूपसे चलाना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है, तभी हम जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद के उस आरोप, जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष के नेता पद की गरिमा को कम किया जा रहा है, उसका जिक्र करते हुए सभापति ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन के सुचारु संचालन के केंद्र में होते हैं और वे स्वयं सदन के संचालन के बारे में किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले सदा नेता प्रतिपक्ष की सलाह लेते हैं।
सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि कोविड का खतरा बना हुआ है, जिस कारण राज्यसभा को अपना सत्र निर्धारित 18 बैठकों से 8 बैठक पहले ही समाप्त करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि असामान्य स्थितियां हमें जीवन की नई समान्यताएं सिखा रही हैं, 10 बैठकों में 25 विधेयक पारित हुए और 6 विधेयक पेश किए गए। उन्होंने कहा कि 10 बैठकों में 1,567 अतारांकित प्रश्नों के लिखित जवाब दिए गए। शून्यकाल में जनहित के 92 विषय तथा विशेष उल्लेख के माध्यम से जनहित के 66 मुद्दे उठाए गए, इसके अतिरिक्त सदस्यों ने कोविड महामारी उसके प्रभाव और प्रबंधन तथा लद्दाख की सीमा पर स्थिति जैसे गंभीर विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर सभापति ने कोविड के विरुद्ध अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों, स्वच्छता कर्मियों, वैज्ञानिकों और किसानों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने देश की रक्षा में पुलिस, सुरक्षा बलों और सशस्त्र सैन्यबलों के समर्पण के प्रति आभार व्यक्त किया।

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