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Thursday 24 September 2020 06:18:14 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने विगत कुछ महीने 12 अप्रैल से 3 जुलाई के दौरान देश में आए भूकंप के झटकों (2.5-3.0 तीव्रता) सहित 3.3 से 4.7 तीव्रता के चार और 13 छोटे भूकंप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दर्ज किए हैं। एनसीएस ने इन 20 वर्ष में दिल्ली और दिल्ली के आसपास आए भूकंपों का विश्लेषण किया है, जिससे भूकंप आने की प्रवृति में कोई निश्चित पैटर्न का पता नहीं चलता है, जो भूकंप गतिविधि में किसी प्रकार की वृद्धि का सुझाव दे सके, हालांकि विगत वर्षों में दिल्ली में भूकंप निगरानी में काफी सुधार हुआ है, यहां तक कि निम्न तीव्रता के भूकंपों का स्वत: पता लग जाता है और एनसीएस वेबसाइट और मोबाइल एप्प के द्वारा भूकंप का शीघ्रता से प्रसारण हो जाता है। यह क्षेत्र में संभवत: व्यापक भूकंप घटनाओं के प्रभाव के बारे बताता है जो अन्यथा पहले नहीं देखा गया था। यह कहना कठिन होगा कि भूकंपीयता में कोई वृद्धि बड़े भूकंप के आने का सूचक है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के पास देश में और देश के आस-पास भूकंप गतिविधियों की निगरानी के लिए एक राष्ट्रव्यापी भूकंपीय नेटवर्क है। विगत तीन वर्षों के दौरान राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क द्वारा (सितम्बर 2017 से अगस्त 2020 तक) तीन और इससे अधिक की तीव्रता के साथ एनसीआर में 26 भूकंपों सहित, कुल 745 भूकंप दर्ज किए गए। राज्यवार विवरण अनुबंध-I में दिया गया है। इन भूकंपों के कारण कोई बड़ी क्षति/नुकसान दर्ज नहीं हुआ है। वर्तमान समय में एनसीआर क्षेत्र में भूकंप भेद्यता-स्थिति में संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। दिल्ली के विभिन्न भागों के लिए एनसीएस के माइक्रोजोनेशन अध्ययन से अनुमानित भूमिगति, द्रवीकरण और संपूर्ण जोखिम आदि जैसे विभिन्न मानकों के संबंध में विस्तृत सूचना मिलती है। संबंधित मत्रालयों और विभागों के निवारक उपायों के लिए अनेक पहलें की गई हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भूकंपों के प्रबंधन और जर्जर भवनों की भूकंपीय रिट्रोंफिटिंग के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करके जारी किए हैं।
एनडीएमए और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जनता के लिए बड़े पैमाने पर भूकंपों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए नियमित कार्यक्रम आयोजित करते हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हॉल ही की भूकंपीय घटनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आगामी निर्माणों को भूकंपरोधी बनाने के लिए भवन निर्माण उप-नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने, भूकंप से निपटने के लिए नियमित मॉक अभ्यास करने और जागरुक कार्यक्रम शुरु करने के लिए आपदा कार्रवाई दल और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हरियाणा राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों के साथ बैठकें आयोजित की हैं। इसके अतिरिक्त सभी हितधारकों के लिए आनलाइन दुर्घटना प्रतिक्रिया प्रणाली और टेबल टाप एक्सरसाइज आयोजित की गई। सटीकता, लीड टाइम और स्थानिक विभेदन के संबंध में चक्रवात और भारी वर्षा जैसे पूर्वानुमान प्राकृतिक आपदा के पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिग प्रेक्षण प्रणाली में अतिरिक्त सुधार किए जा रहे हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने दिल्ली, कोलकाता, सिक्किम, गुवाहाटी और बेंगलुरू आदि का भूकंपीय माइक्रोजोनेशन अध्ययन किया है। इस प्रकार का अध्ययन भूमि उपयोग की योजना बनाने और साइट विशेष डिजाइन के निर्माण और भवनों संरचनाओं के निर्माण भूकंपों के कारण होने वाली जान-माल की क्षति को कम करने के लिए उपयोगी है। भारतीय मानक ब्यूरो ने क्षति को कम करने में मदद करने हेतु भूकंपरोधी संरचनाओं के निर्माण और रेट्रोफिटिंग के लिए विभिन्न दिशानिर्देश भी प्रकाशित किए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने लोकसभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी है। वर्ष 1891-2017 के दौरान के आकड़ों के आधार पर उत्तरी हिंद महासागर में वर्ष में औसतन 5 चक्रवात आए। इनमें चार बंगाल की खाड़ी में और 1 अरब सागर में आया, हालांकि हाल के दिनों में उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों की उत्पत्ति की बारंबारता में वृद्धि देखी गई थी। हाल के वर्षों में अध्ययनों से भी अरब सागर में प्रचंड चक्रवातों की बारंबारता में वृद्धि का पता चलता है।
अरब सागर में चक्रवातों की उच्चतम वार्षिक बारंबारता सामान्य: प्रतिवर्ष 1 की तुलना में 2019 में अरब सागर में आए 5 चक्रवात वर्ष 1902 के पिछले रिकार्ड के समान हैं, साथ ही वर्ष 2019 में अरब सागर में अत्यधिक प्रचंड तूफान भी आए। आंकड़ों से पता चलता है कि विगत तीन वर्ष के दौरान भारी वर्षा की घटनाओं में सतत वृद्धि हो रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग चक्रवातों की निगरानी और मौसम के पूर्वानुमान के लिए उपग्रहों रडार और पारंपरिक और स्वचालित मौसम केंद्रों से उत्तम प्रेक्षणों के एक सूट का उपयोग करता है। इसमें तटवर्ती और स्वचालित मौसम केंद्रों, स्वचालित वर्षामापी, मौसम विज्ञानी ब्वॉयज और समुद्री पोत सहित इनसैट 3डी, 3डी आर और स्क्रैटसैट उपग्रह, डॉप्लर मौसम रडार शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर 12 किलोमीटर ग्रिड और भारत, क्षेत्रीय, बड़े शहर क्षेत्र में 3 किलोमीटर ग्रिड पर पूर्वानुमान उत्पादों के उत्पादन हेतु सभी उपलब्ध वैश्विक उपग्रह रेडिएशन और रडार डाटा के सम्मिश्रणन से पूर्वानुमान मॉडलों के शुद्ध सूट के प्रचालन कार्यांवयन से मौसम पूर्वानुमान क्षमता में वृद्धि हुई है।