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Friday 25 September 2020 12:38:27 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व कृषि विधेयकों पर भ्रामक मिथक फैला रहे हैं, वे लोग अपनी छोटी-मोटी राजनीतिक लाभों की प्राप्ति के लिए किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। दूरदर्शन को दिए साक्षात्कार में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि मूर्खतापूर्ण विडंबना यह है कि कुछ प्रावधानों के नाम पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिनका संसद में लाए गए कृषि सुधार विधेयकों में बिल्कुल भी अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापक रूपसे यह अभियान चलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रोक लगा दी गई है, जबकि इन विधेयकों में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली के लिए ऐसा कोई भी संदर्भ शामिल नहीं किया गया है, जो स्पष्ट रूपसे इस बात को इंगित करता है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली पहले की तरह जारी रहेगी।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि विधेयकों से कृषि क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण होगा, जिसमें किसान अपनी फसल को किसी को कहीं भी और और अगर वे चाहते हैं तो अधिक मुनाफा कमाने के लिए बड़ी कंपनियों से जुड़कर फसल बेचने की आजादी और विकल्प प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी विधेयक में इस बात का कोई भी संकेत नहीं दिया गया है कि मंडियों को समाप्त कर दिया जाएगा, जिसका अर्थ है कि बाजार प्रणाली पहले की तरह लागू रहेगी और कृषि एवं खाद्य नीति केंद्र भी जारी रहेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को यह समझाते हुए भड़काया जा रहा है कि उन्हें अनुबंध के नाम पर बड़ी कंपनियों के शोषण का शिकार होना पड़ेगा, इसके बिल्कुल विपरीत विधेयक में किसान को किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुबंध और समझौतों के माध्यम से किसानों को तय मूल्य प्राप्त होने की गारंटी मिलेगी और किसान किसी भी समय बिना किसी अर्थदंड के इसे वापस ले सकते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयकों में किसानों के जमीन की बिक्री, पट्टा या गिरवी रखने पर स्पष्ट रूपसे रोक लगाई गई है, क्योंकि यह समझौता फसलों के लिए है न कि जमीन के लिए, इसलिए यह सरासर गलत व्याख्या है कि बड़े व्यवसायी किसानों की जमीन हड़पकर उन्हें बंधुआ मजदूर बना देंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि विधेयकों के माध्यम से खुले बाजार में फसलों की बिक्री के लिए पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय भी उपलब्ध कराए गए हैं। एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई किसान देश के किसी भी खुले बाजार में फसल बेचने का विकल्प चुनता है तो फसल के क्रेता उसी दिन या प्रक्रियात्मक समय की आवश्यकता होने पर तीन कार्य दिवसों के अंदर पूरा भुगतान करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की चूक होने के मामले में क्रेताओं पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।