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Saturday 26 September 2020 05:04:27 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के सचिव और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के अध्यक्ष दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत परिकल्पना के पांच स्तंभों में से एक है-अवसंरचना और यह बहुत गर्व की बात है कि आरआरटीएस के लिए तेज़गति और उच्च आवृत्ति वाली यात्री ट्रेनों का निर्माण पूरी तरह सरकार की मेक इन इंडिया नीति के अंतर्गत किया जाएगा। भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों का पहला लुक जारी करते हुए दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल, ऊर्जा सक्षम ट्रेनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर और बाहर के इलाकों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, इससे आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज़ होगी, आर्थिक गतिविधियों के अवसर बढ़ेंगे और साथ-साथ वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़भाड़ और मार्ग दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
स्टेट ऑफ दि आर्ट आरआरटीएस ट्रेनें भारत की पहली ऐसी ट्रेनें होंगी, जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति से चलेंगी। इनकी बाहरी बॉडी चमकदार स्टेनलैस स्टील की होगी। ये एयरोडायनैमिक आरआरटीएस ट्रेनें वज़न में बहुत हल्की और पूरी तरह वातानुकूलित होंगी, हर डिब्बे में छह ऑटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाज़े होंगे, जिनमें से तीन-तीन दरवाज़े दोनों तरफ होंगे। बिजनेस क्लास के डिब्बों में दोनों तरफ दो-दो दरवाज़े यानी कुल चार दरवाज़े होंगे, इससे यात्रियों को चढ़ने-उतरने में आसानी होगी। इन डिब्बों में आड़ी दो गुना सीटें होंगी और पांव फैलाने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी, चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे, ताकि वे आराम से अपनी यात्रा कर सकें। ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे और अन्य सुविधाओं के साथ-साथ वाईफाई की सुविधा भी होगी।
नई दिल्ली में लोटस टेंपल धारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है, जिसके डिज़ाइन के कारण उसमें हवा और रोशनी की प्राकृतिक रूपसे आवाजाही बहुत अच्छे से होती है, इसीको आधार बनाकर आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में रोशनी और तापमान नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी, ताकि कम ऊर्जा की खपत कर यात्रियों को एक गुणवत्तापूर्ण यात्रा का अनुभव दिलाया जा सके। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेनों में नए युग की प्रौद्योगिकी और भारत की समृद्ध धरोहर का कुशल मिश्रण होगा। इसके लाभ बताते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने बताया कि भारत की आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की परिकल्पना के साथ किया गया है। ये आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली होंगी और खड़े रहने के समय 30 प्रतिशत ऊर्जा पैदा करेंगी। एनसीआरटीसी ने निर्माता को संपूर्ण दीर्घकालिक व्यापक रखरखाव का जिम्मा दिया है, ताकि इसके जीवन काल की पूरी अवधि में इसका लाभ उठाया जा सके।
दुर्गाशंकर मिश्र का कहना है कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए परिवहन अविलंब और परिवहन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा तथा क्षेत्र के समग्र विकास का पायदान बनेगा। इसके प्रोटोटाइप का 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा और व्यापक परीक्षणों से गुज़रने के बाद जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। एनटीआरटीसी छह छह डिब्बों वाली 30 जोड़ी ट्रेनों की खरीद करेगा और उन्हें इस समूचे कॉरिडोर पर चलाया जाएगा तथा 10 जोड़ी ट्रेनें मेरठ के भीतर स्थानीय आवागमन के लिए चलाई जाएंगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर आरआरटीएस के लिए डिब्बों का निर्माण बंबार्डियर के गुजरात के सेवली प्लांट में किया जाएगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पहले चरण में बनाए जाने वाले प्राथमिकता वाले तीन आरआरटीएस कॉरिडोर में से एक है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर 82 किलोमीटर लंबा भारत में बनने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर होगा। इस कॉरिडोर के चालू होने से दिल्ली से मेरठ पहुंचने में लगने वाला समय घटकर एक तिहाई रह जाएगा।
दिल्ली से मेरठ जाने में मात्र एक घंटे का समय लगेगा, जबकि अभी इसमें तीन-चार घंटे का समय लगता है। साहिबाबाद से मेरठ के शताब्दी नगर तकके 50 किलोमीटर लंबे सेक्शन का निर्माण कार्य पूरे ज़ोर शोर से चल रहा है, इसके साथ ही चार स्टेशनों-गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण कार्य भी जारी है। कॉरिडोर के प्राथमिकता वाले सेक्शन को 2023 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है और समूचा कॉरिडोर 2025 तक चालू हो जाएगा। पहले चरण के अन्य दो आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत हैं। दिल्ली-गुरूग्राम-एसएनबी कॉरिडोर पर निर्माणपूर्व गतिविधियां पूरे जोर शोर से चल रही हैं और इसकी डीपीआर को मंजूरी देने पर भारत सरकार पूरी सक्रियता से विचार कर रही है। दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी देने पर भी संबद्ध राज्य सरकारें पूरी सक्रियता से विचार कर रही हैं।
एनसीआरटीसी भारत सरकार (50 प्रतिशत) और हरियाणा सरकार (12.5 प्रतिशत), एनसीटी दिल्ली (12.5 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश(12.5 प्रतिशत) और राजस्थान (12.5 प्रतिशत) सरकारों का एक संयुक्त उपक्रम है। यह भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है और एनसीआर में आरआरटीएस के डिज़ाइन तैयार करने, निर्माण, वित्तीय संसाधन जुटाने, परिचालन करने और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। एनसीआरटीसी को एनसीआर में भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन को चालू करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस अवसर पर एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह, एनसीआरटीसी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य और एमओएचयूए, एनसीआरटीसी और बम्बार्डियर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।