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Tuesday 29 September 2020 01:16:43 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 का खुलासा कर दिया है। पहली रक्षा खरीद प्रक्रिया वर्ष 2002 में लागू की गई थी, तबसे बढ़ते घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है। रक्षामंत्री ने डीएपी-2020 तैयार करने के लिए अगस्त 2019 में महानिदेशक (अधिग्रहण) अपूर्वा चंद्रा की अध्यक्षता में मुख्य समीक्षा समिति के गठन को मंजूरी दी थी। डीएपी-2020 पहली अक्टूबर 2020 से लागू हो जाएगी। डीएपी 2020 को तैयार करने में एक वर्ष से अधिक का समय लगा है। डीएपी-2020 को नरेंद्र मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत के विज़न के साथ जोड़ा गया है और इसका मेक इन इंडिया पहल से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने के साथ भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने का अंतिम उद्देश्य है। नई विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति की घोषणा के साथ डीएपी-2020 में भारतीय घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आयात प्रतिस्थापन और निर्यात दोनों के लिए विनिर्माण केंद्र स्थापित करने हेतु एफडीआई को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त रूपसे प्रावधान शामिल किए गए हैं। डीएपी-2020 इस क्षेत्र से जुड़े हितधारकों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।
नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में प्रासंगिक संयोजन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि सूची में वर्णित किसी उपकरण की खरीद आयात से पूर्व अधिसूचित समयसीमा के बाद नहीं की गई है। आरएफआई चरण कलपुर्जों/ छोटे उपकरणों के स्तर पर निर्माण और स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना के लिए संभावित विदेशी विक्रेताओं की इच्छा का पता लगाएगा। नई श्रेणी में भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से उपकरणों के पूरे/ हिस्से या कलपुर्जों/ असेंबली/ सब-असेंबली/ रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा का निर्माण शामिल है। यह आईजीए के माध्यम से सह-उत्पादन सुविधाओं की स्थापना करने में सक्षम बनाता है, जिससे आयात प्रतिस्थापन हासिल होगा और जीवन चक्र लागत को कम करने में मदद मिलेगी। इसमें स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से जीवन चक्र समर्थन लागत और प्रणाली संवर्द्धन को अनुकूलित करने के लिए क्रेता का अधिकार शामिल है। रक्षा विनिर्माण में नई एफडीआई नीति की घोषणा के साथ नई श्रेणी 'खरीदें (वैश्विक-भारत में निर्माण)' जैसे प्रावधानों को शामिल किया गया है, ताकि घरेलू उद्योग को आवश्यक संरक्षण प्रदान करते हुए विदेशी ओईएम को भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से विनिर्माण या रख-रखाव संस्थाओं की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में घोषित रक्षा सुधार के एक हिस्से के रूपमें अनुबंध प्रबंधन का समर्थन करने के लिए एक पीएमयू की स्थापना अनिवार्य है। पीएमयू अधिग्रहण प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्रों में सलाहकार और परामर्श सहायता प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। इन सुधारों के तहत वैश्विक और घरेलू बाजारों में उपलब्ध ‘तुलनात्मक’ उपकरणों के विश्लेषण के आधार पर सत्यापन योग्य मापदंडों की पहचान पर अधिक जोर देने के साथ एसक्यूआर के निर्माण की प्रक्रिया को और अधिक परिष्कृत किया गया है। डीएपी 2020 पारदर्शिता, निष्पक्षता और सभी को समान अवसरों के सिद्धांत के आधार पर प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ परीक्षण करने की आवश्यकता पर जोर देता है, इसमें उन्मूलन की प्रक्रिया को लागू नहीं किया जाता है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस समीक्षा के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है, इसमें सरलीकरण, प्रतिनिधिमंडल पर जोर और कुछ विशिष्ट प्रावधानों के साथ प्रक्रिया को उद्योग के अनुकूल बनाना शामिल है। पांच सौ करोड़ रुपये तक के सभी मामलों में एओएन के एकल चरण समझौते को स्थापित किया गया है, जिससे समय कम लगे। एओएन के समझौते के बाद एफ़टीपी मामलों को प्रत्यायोजित शक्तियों के अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे खरीद चक्र की संख्या में काफी कमी आएगी।
नियोजन प्रक्रिया में एलटीआईपीपी को एकीकृत क्षमता विकास योजना के रूपमें फिर से नामित किया गया है, जिसमें 15 वर्ष की बजाय दस वर्ष की योजना अवधि शामिल है। फ्लो चार्ट संचालित दिशा-निर्देशों, भंडारण संरक्षण के प्रावधान और जहां परियोजनाएं पूर्व परिभाषिक तरीके के अनुरूप प्रगति नहीं कर रही हैं वहां संविदा के निरस्तीकरण के अनुसार आरएफपी और एससीडी में प्रावधानों को सक्षम करने के साथ-साथ आवश्यकताओं को स्पष्टता और संयोजन प्रदान करने के कुछ उपायों को शामिल किया गया है। रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं कि खरीदें (भारतीय-आईडीडीएम), मेक I, मेक II, डिजाइन और विकास में उत्पादन एजेंसी, ओएफबी/ डीपीएसयू और एसपी मॉडल की श्रेणियां विशेष रूपसे भारतीय विक्रेताओं के लिए आरक्षित होंगी, जो 49 प्रतिशत से कम एफडीआई के साथ स्वामित्व और नियंत्रण के मानदंडों को पूरा करते हैं। यह आरक्षण घरेलू भारतीय उद्योग में भागीदारी में विशिष्टता प्रदान करेगा। एक सरल और व्यावहारिक सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है और आईसी की गणना अब बेस कॉंट्रैक्ट प्राइस यानी कुल अनुबंध मूल्य कम करों और शुल्कों पर की जाएगी।
रक्षा प्लेटफार्मों और अन्य उपकरणों या प्रणालियों की जांच और स्वदेशी कच्चे माल का उपयोग करने के लिए विक्रेताओं के लिए इनाम के प्रावधान के साथ स्वदेशी सैन्य सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना है। खरीदें (भारतीय- आईडीडीएम) और खरीदें (भारतीय) मामलों में स्वदेशी सॉफ्टवेयर पर फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार, एंक्रिप्शन, कम्युनिकेशंस आदि जैसे परिचालन आधार अनुप्रयोगों के लिए विकल्प तलाशने का प्रावधान शामिल किया गया है। उपयुक्तता और अन्य शर्तों पर परीक्षण उपकरण के लिए कार्यात्मक प्रभावशीलता की पुष्टि करने वाले उचित प्रमाणपत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। परीक्षणों का दायरा प्रमुख ऑपरेशनल मापदंडों के भौतिक मूल्यांकन तक सीमित रहेगा, जबकि विक्रेता प्रमाणन, मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से प्रमाणन, मापदंडों के कंप्यूटर सिमुलेशन के आधार पर अन्य मापदंडों का मूल्यांकन किया जा सकता है। परीक्षणों के दोहराव से बचाव और छूट समनुरूपता प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी। समय बचाने के लिए विभिन्न परीक्षणों और जहां भी संभव हो, संपूर्ण परीक्षणों को एक साथ किया जाएगा। मरम्मत का कार्य करने की अनुमति के साथ परीक्षण के दौरान कमियों या दोषों को सुधारने के लिए भाग लेने वाले विक्रेताओं को अपेक्षित अवसर दिया जाएगा।
प्रस्ताव का अनुरोध विक्रेताओं को स्वीकृति जांच प्रक्रिया का मसौदा जमा करने के लिए कहेगा, जिसपर तकनीकी परीक्षण के दौरान खुद क्यूए एजेंसी अंतिम फैसला लेगी। विक्रेता द्वारा वहन किए जाने वाले लागत के पहलू सहित परीक्षणों के लिए नमूना आकार विक्रेता के लिए आरएफपी में अग्रिम रूपसे कहा जाएगा। निरीक्षण की कोई पुनरावृत्ति विशेष रूपसे उपकरणों की स्वीकृति के दौरान नहीं की जाएगी। थर्ड पार्टी निरीक्षण भी किया जाएगा। आईडेक्स, प्रौद्योगिकी विकास कोष और आंतरिक सेवा संगठनों जैसी विभिन्न पहलों के तहत नवाचार माध्यम से विकसित प्रोटोटाइप की खरीद की सुविधा दी गई है। डीआरडीओ, डीपीएसयू और ओएफबी के डिजाइन और विकसित प्रणालियों के अधिग्रहण के लिए डीएपी-2020 में अलग से समर्पित अध्याय शामिल किया गया है। प्रमाणीकरण और सिमुलेशन के माध्यम से मूल्यांकन पर अधिक जोर देने और समय में कमी लाने के लिए एकीकृत एकल चरण परीक्षणों के साथ एक सरल प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सर्पिल विकास के पहलुओं को भी शामिल किया गया है। विशेष रूपसे अंतर-संचालन एवं बिल्ट-इन अपग्रेडिबिलिटी, बढ़ी हुई सुरक्षा आवश्यकताओं और परिवर्तन प्रबंधन में आईसीटी गहन उपकरणों की खरीद से संबंधित मुद्दे शामिल किए गए हैं।
रक्षा परिसंपत्तियों पर मालिकाना हक के बिना उनका संचालन करने के लिए एक नई श्रेणी शुरू की गई है, जो बड़ी प्रारंभिक पूंजी के विकल्प को प्रतिस्थापित करता है। निरीक्षण, तरलता क्षति, अनुबंध में संशोधन आदि के संबंध में अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद की प्रक्रिया को औपचारिक बनाने के लिए प्रावधान है। डीएपी में एक नए अध्याय के रूपमें नई प्रक्रिया को शामिल किया गया है और एक समयबद्ध तरीके से सरलीकृत प्रक्रिया के तहत कैपिटल बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद सेवाओं के लिए एक सक्षम प्रावधान किया गया है। उद्योग के अनुकूल वाणिज्यिक शर्तें हैं, इनमें विक्रेताओं द्वारा प्रारंभिक भावों को बढ़ाने से रोकने और परियोजना की वास्तविक कीमत पर पहुंचने हेतु बड़े अनुबंधों के लिए मूल्य बदलाव खंड शामिल किया गया है। विक्रेताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए तय समयसीमा के अंदर डिजिटल सत्यापन के माध्यम से एसएचक्यू/ पीसीडीए द्वारा दस्तावेजों के समानांतर प्रसंस्करण जैसे उपयुक्त प्रावधानों को शामिल किया गया है। भारतीय उद्योग को भुगतान विदेशी उद्योग के जैसे किए जाने का प्रावधान किया गया है। ऑफसेट दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया है, जिसमें घटकों की बजाय पूर्ण रक्षा उत्पादों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी और ऑफसेट के कार्य निर्वहन में प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न मल्टीप्लायरों को जोड़ा गया है।