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Wednesday 30 September 2020 04:29:03 PM
लखनऊ/ अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्राचीनकाल में इस्लामिक आक्रांता बाबर की सेना द्वारा हिंदुओं का कत्लेआम करते हुए श्रीराम मंदिर को ध्वस्त कर उसी स्थान पर उसके खंडहरों से बनाई गई बाबरी मस्जिद के ध्वंस पर सीबीआई कोर्ट का फैसला आ गया है और सीबीआई कोर्ट ने साफ-साफ कहा है की बाबरी मस्जिद ढांचा गिराना पूर्व नियोजित या कोई षडयंत्र नहीं था, बल्कि यह अचानक ही हुआ था, इसलिए इसमें जो भी आरोपित बनाए गए थे, उन सभी को बाइज्जत बरी किया जाता है। आज जब यह फैसला आया तो अदालत में कुछ ही को छोड़कर बाकी सभी आरोपित संत और नेता मौजूद थे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार में अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को संतों, हिंदूवादी संगठनों, धर्माचार्यों की धर्म संसद में आए रामभक्तों के अपार जनसमूह की श्रीराम जन्मभूमि जन्मस्थान पर बाबरी मस्जिद का ढांचा देखकर उसे गिरा देने की वह तात्कालिक प्रतिक्रिया थी, जिसे कोई भी नहीं रोक पाया था और जिसकी परिणीति में कल्याण सिंह सहित चार राज्यों की भाजपा सरकारें भी बर्खास्त कर दी गईं थीं।
बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में मुख्य रूपसे कल्याण सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, आचार्य धर्मेंद्र, अशोक सिंघल, चंपत राय, विनय कटियार महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ रामविलास वेदांती, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रजभूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, सुधीर कुमार कक्कड़, आरएन श्रीवास्तव आदि प्रमुख संतों, हिंदूवादी संगठनों, धर्माचार्यों, हिंदूवादियों और राजनीतिक लोगों को भी बाबरी मस्जिद ध्वंस का आरोपित बनाया गया था, जिन्हें 28 साल की लंबी सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने आज यह कहकर बाइज्जत बरी कर दिया है कि यह घटना कोई षडयंत्र और पूर्व नियोजित नहीं थी। यह बात शुरू से ही कही जा रही थी कि जिस प्रकार बाबरी मस्जिद ध्वंस को षड्यंत्र और पूर्व नियोजित माना जा रहा है एवं इसमें भाजपा, विहिप, संघ, संत, शिवसेना और बड़े हिंदूवादी नेता आरोपित किए गए हैं, वह सर्वथा गलत है। उस समय केंद्र में कांग्रेस की पीवी नरसिंह राव की सरकार थी और इससे जुड़े सारे फैसले राजनीतिक दृष्टि से ही लिए जा रहे थे।
जय श्रीराम-लालकृष्ण आडवाणी
सीबीआई कोर्ट के इस फैसले की सर्वत्र सराहना की जा रही है, जबकि बाबरी मस्जिद के पैरोकारों ने कहा है कि वह इस फैसले को ऊपरी कोर्ट में चुनौती देंगे। भाजपा के वरिष्ठतम नेता और भाजपा मार्गदर्शक मंडल के प्रमुख सदस्य एवं इस मामले में अभियुक्त बनाए गए लालकृष्ण आडवाणी ने इस फैसले का जय श्रीराम कहकर स्वागत किया है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के यह मानने के बाद कि अयोध्या में वही स्थान भगवान श्रीराम का जन्म स्थान है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसका पूरा जमीनी स्वामित्व श्रीराम लला के हक में अंतिम रूपसे पुष्टि कर देने के बाद अयोध्या में उसी स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण प्रारंभ हो गया है, केवल बाबरी मस्जिद ध्वंस का ही मामला सीबीआई कोर्ट में निर्णय के लिए लंबित था, इसमें भी षडयंत्रपूर्वक बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप से कोर्ट से आरोपियों के बाइज्जत बरी होने के बाद इस मामले का पूर्ण रूपसे पटाक्षेप हो गया है, यद्यपि बाबरी मस्जिद के पैरोकारों ने कोर्ट के इस फैसले पर नकारात्मक टिप्पणियां की हैं, लेकिन अब उनका कोई वजूद नहीं रह गया है, भले ही वह इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कह रहे हैं।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने तो साफ कर दिया है कि वह इस फैसले का भी सम्मान करते हैं उसे मानते हैं और वह इसे ऊपरी कोर्ट में कोई चुनौती नहीं देंगे। अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्म स्थान पर भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण का हिंदू समाज का यह सपना बहुत पुराना है, जिसको लेकर न जाने कितने बलिदान भी हुए हैं। रामलला के पक्ष में सुप्रीमकोर्ट का अंतिम रूपसे भूमि स्वामित्व का फैसला आने के बावजूद बाबरी मस्जिद के पैरोकार और मुसलमान उसे नहीं मान रहे हैं, जबकि उन्होंने कहा था कि वह श्रीराम मंदिर पर कोर्ट का जो भी फैसला होगा उसे मानेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम जन्मभूमि के भूमि विवाद को श्रीराम लला के पक्ष में सिद्ध पाया तो अधिकांश मुसलमान कोर्ट के फैसले का स्वागत करने से मुकर गए, इससे हिंदू समाज में यह धारणा और भी बलवती हो गई है कि भारत के सभी मुसलमानों की बात पर यकीन नहीं किया जा सकता, उसी का परिणाम है कि आज भी जब सीबीआई कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं तो उनमें साफ कहा जा रहा है कि अयोध्या तो केवल झांकी है और काशी मथुरा अभी बाकी है।
जैसाकि सर्वविदित है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान को ईदगाह मस्जिद से मुक्ति के लिए भी आंदोलन शुरू हो चुका है और मथुरा के कोर्ट में पूरे तथ्यों के साथ एक रिट याचिका दाखिल की गई है, जिसमें अयोध्या में श्रीराम लला विराजमान की तरह मथुरा में भी श्रीकृष्ण विराजमान को पक्षकार बनाया गया है। सोशल मीडिया पर कोर्ट का फैसला जबरदस्त वायरल हो रहा है और उसकी प्रशंसा की जा रही है। बहरहाल अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थान का संपूर्ण विवाद अब सर्वदा के लिए समाप्त हो गया है और कानूनी तौर पर भी अब यह स्पष्ट हो गया है कि वहां पर बाबरी मस्जिद का ध्वंस साजिश नहीं था। इस फैसले पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए तो दक्षिण से अयोध्या तक 10,000 किलोमीटर की रथयात्रा शुरु की थी, जिसे बिहार में लालू यादव सरकार ने रोक लिया था, उसके बाद से इस मामले को और बल मिला था। रामानंद सागर के प्रसिद्ध रामायण सीरियल ने भी श्रीराम मंदिर के आंदोलन को तेज करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि लखनऊ की विशेष अदालत के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं, इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सत्यमेव जयते! सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पूज्य संतों, नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूंठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया और इस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार लोगों को देश की जनता से माफी मांगनी होगी, जिन्होंने राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूंठे मुकदमों में फंसाया। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सभी नेताओं के बरी होने की देशभर में ख़ुशी है, आखिर सत्य की विजय हुई। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सत्यमेव जयते। उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। उत्तर प्रदेश के न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने विशेष अदालत के इस फैसले की सराहना की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि बाबरी मस्जिद मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था।