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Saturday 3 October 2020 12:31:38 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक ऐसी दुनिया में गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है, जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं के साथ जूझ रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया को आज हीलिंग टच की जरूरत है और यह गांधीवादी आदर्श हमें दे सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने विदेश मामलों की भारतीय परिषद के 'गांधी और विश्व' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में वीडियो के माध्यम से ये बाते कहीं। गौरतलब है कि गांधीजी की 150वीं जयंती के दो साल के उत्सव के समापन के लिए भारतीय परिषद ने दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया था। गांधीवादी मूल्यों की शाश्वतता और प्रासंगिकता पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे एक ऐसी दुनिया में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, जो नई चुनौतियों का सामना कर रही है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि जब स्पेनिश फ्लू के दौरान 1918 में दुनिया ने इसी तरह की चुनौती का सामना किया तो गांधीजी ने सभी लोगों विशेष रूपसे गरीबों और वंचितों के दर्द को समझने की आवश्यकता के बारे में बात कही थी। उपराष्ट्रपति ने जरूरतमंदों की मदद करने और उनकी तकलीफें कम करने का आह्वान किया। उन्होंने गांधीजी की दी गई उस सलाह की ओर सबका ध्यान खींचा, जिसमें उन्होंने उस समय वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से खुद को बचाने के लिए आवश्यक मानदंडों का पालन करने के लिए कहा था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्तराष्ट्र ने महात्मा गांधी के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूपमें मान्यता दी और इसे हर साल मनाया जाता है, यह दुनिया के लिए निरंतर सचेत करने वाली बात है कि प्रगति के लिए शांति एक आवश्यक शर्त है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दुनिया को अन्याय के खिलाफ संघर्ष का एक नया तरीका, सत्य और अहिंसा के अपने संदेश के माध्यम से जीवन जीने का एक नई राह दिखाई थी।
वेंकैया नायडू ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत और 14 अन्य देशों के विद्वान इस वेबिनार में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी के संदेशों, मूल्यों, शिक्षाओं के महत्व और उनकी शाश्वत प्रासंगिकता को जाति, वर्ग, पंथ, लिंग एवं भौगोलिक बाधाओं से परे होने को रेखांकित करता है। वेंकैया नायडू ने सत्याग्रह और अहिंसा को महात्मा गांधी के दर्शन के दो प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि वह 20वीं शताब्दी में दीन-दुखियों के लिए प्रकाश का केंद्र बने और मृत्यु के 72 साल बाद आज भी बने हुए हैं। उन्होंने मानवता की सहज भलाई में महात्मा गांधी के अटूट विश्वास के बारे में कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि लोग बुरे नहीं होते, केवल बुरे कर्म होते हैं। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा और शांति के सार्वभौमिक विषय आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी की महानता सीखने की उनकी योग्यता और ललक में निहित है, उन्होंने दुनिया को न केवल गहराई से प्रभावित किया, बल्कि दुनिया को समान रूपसे उनके विचारों को प्रभावित करने और प्रेरित करने की अनुमति भी दी।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत मानवता के सामने विभिन्न चुनौतियों पर काबू पाने के लिए सतत विकास को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता से आतंकवाद से निपटने के लिए मार्गदर्शक प्रकाश बने रहेंगे। उपराष्ट्रपति ने ऐसे समय में सतत विकास की आवश्यकता पर जोर दिया जब पर्यावरण का बढ़ता शोषण मुश्किलों को आमंत्रित कर रहा है। वेबिनार में दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, रूस, सिंगापुर, ओमान, श्रीलंका, इटली, जर्मनी, मैक्सिको, ब्राजील, अर्जेंटीना, कोस्टा रिका, उज्बेकिस्तान और चीन के विद्वानों ने भी भाग लिया।