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Wednesday 7 October 2020 12:19:10 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत सरकार प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट की सफलता के बाद प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट डॉल्फिन परियोजनाओं के माध्यम से उन प्रजातियों को संरक्षित करने के प्रयास कर रही है, जो खतरे में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन्यजीव सप्ताह पर अपने संदेश में इन परियोजनाओं की सफलता और अपेक्षित परिणाम के लिए सभी क्षेत्रों से योगदान का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुंदर संयोग है कि हम वन्यजीव सप्ताह महात्मा गांधी की जन्मशताब्दी पर मना रहे हैं, जिन्होंने शांति और अहिंसा का संदेश दिया, यह सर्वोत्तम अवसर है कि जब हम वन्यजीवों के संरक्षण के लिए और सभी के अस्तित्व के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों के विशाल तंत्र के माध्यम से वन्यजीवों को संरक्षण देने की प्रतिबद्धता पूरी हो रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अभयारण्य और पार्कों के आसपास के क्षेत्र इकोसेंसेटिव जोन के रूपमें बफर की भूमिका निभा रहे हैं, जिससे तमाम वन्यजीवों के अस्तित्व को बचाए रखने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई जोन अधिसूचित किए गए हैं, ताकि वे वन्यजीवों के लिए वैकल्पिक प्रवास स्थान के रूपमें तैयार किए जा सकें। उन्होंने कहा कि एशियाई शेरों की आखिरी संख्या हमारे देश में है और उनके संरक्षण के लिए किए गए प्रयास से उनकी संख्या तय लक्ष्य से दोगुनी हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर भारत के विशेष ध्यान दिए जाने पर कहा कि भारत एकबार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक और माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे समृद्ध जैव विविधता के साथ टिकाऊ विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत प्रवासी पक्षियों और प्रजातियों के संरक्षण पर जोर दे रहा है, क्योंकि भारत बड़ी संख्या में प्रवासी प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है। उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि इसका भू-क्षेत्र विश्व का महज 2.4 प्रतिशत है, ऐसे में यहां इसके विस्तार की आवश्यकता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का विश्वास वन्यजीव और जैव विविधता के प्रति दृढ़ है।