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Monday 12 October 2020 02:56:26 PM
शिलांग। बहुत से लोग प्रमाणित करते हैं कि होम्योपैथी त्वचा संबंधी वायरल रोगों के मामलों में चमत्कार कर सकती है। हाल ही में एवाईयूएचओएम यानी पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान शिलांग के अनुसंधान जर्नल में प्रकाशित एक मामले के अध्ययन से इस बात का पता चलता है। मामले के अध्ययन का लेखन संगीता साहा रीडर मेडिसन विभाग और महाकास मंडल पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डिपार्टमेंट ऑफ प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन कलकत्ता होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी कोलकाता की कौशिल्या भारती ने किया है। पांच भिन्न त्वचा रोगों से पीड़ित रोगियों के होम्योपैथी उपचार के उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं, जो ऐसे त्वचा रोगों पर होम्योपैथिक दवा के सकारात्मक प्रभावों के प्रति विश्वास को बढ़ावा देते हैं।
कई प्रकार के त्वचा रोग होते हैं, जो न केवल भारत, बल्कि विश्वस्तर पर सभी उम्र के लोगों में अक्सर होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुमान से पता चला है कि त्वचा रोग दुनियाभर में गैर-घातक बीमारी के बोझ का चौथा प्रमुख कारण हैं। होम्योपैथी उपचार से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि आम वायरल त्वचा रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार बड़ी संख्या में लोगों को सस्ती और प्रभावी समाधान प्रदान करने में निर्णायक हो सकता है। मामले का अध्ययन मस्सा हरपीज ज़ोस्टर और मोलस्कैन कॉन्टैगिओसम से पीड़ित पांच रोगियों पर किया गया था। केराटिनोसाइट्स के संक्रमण के कारण त्वचा के मस्से ट्यूमर होते हैं। वैरिकाला-ज़ोस्टर वायरस के पुनः सक्रिय होने के कारण हरपीस ज़ोस्टर उत्पन्न होता है। दूसरी ओर मोलस्कैन कॉन्टागिओसम एक विषाणुजनित त्वचा संक्रमण है, जो पॉक्स वायरस से संबंधित प्रकारों के कारण होता है और खासकर गर्म जलवायु में दुनिया भर में बच्चों के साथ आम है।
यह ज्ञात है कि होम्योपैथी रोगी का इलाज करती है, रोग का नहीं। इस प्रकार इन मामलों में होम्योपैथी के सिद्धांतों का पालन करते हुए आंतरिक दवा के माध्यम से त्वचा के रोगों का इलाज किया गया था और परिणाम बेहद उत्साहवर्द्धक हैं। ऑर्गनन ऑफ मेडिसिन के दिशानिर्देशों के अनुसार और प्रत्येक रोगी की व्यक्तिगत संवेदनशीलता के अनुसार अलग-अलग चरणों में संकेतित दवाओं को लागू करने के बाद यह सामने आया है कि दवाएं न केवल त्वचा के घाव को कुशलता से हटाने या विघटित करने में सक्षम थीं, बल्कि रोगी के संबंधित लक्षणों से राहत प्रदान करने में भी सक्षम थीं। इन अध्ययनों को एक पायलट परियोजना के रूपमें माना जा सकता है। अगले चरण में बड़े नमूने के आकार के साथ नियंत्रित परीक्षणों को लिया जा सकता है, ताकि वायरल त्वचा रोगों के लिए होम्योपैथी की चिकित्सा शक्ति पर निर्णायक साक्ष्य तैयार किया जा सकें।