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Saturday 24 October 2020 03:41:01 PM
गौतमबुद्धनगर। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 59वें स्थापना दिवस पर आज गौतमबुद्धनगर में आयोजित भव्य परेड में कहा है कि आतंकवाद से लड़ाई में आईटीबीपी का उत्कृष्ट प्रदर्शन है। जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र को मानते हुए विश्व शांति का संदेश देती है, वहीं शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्रों की पूजा करने का मंत्र भी इसी भारतीय संस्कृति ने दिया है, जिससे हमें दुश्मन की हर तरह की विषम परिस्थिति के लिए अपने आपको पूर्ण रूपसे सशक्त करने का मंत्र भी मिलता है। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि आईटीबीपी वर्ष 1962 में अपनी स्थापना के बाद से ही देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है, कितनी भी विषम परिस्थिति हो आईटीबीपी के जवान ऊंचे मनोबल से अपनी ड्यूटी का पालन करते हैं और भारत माता की सेवा में पूर्ण राष्ट्रभक्ति के साथ हमेशा तत्पर रहते हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई हो या छत्तीसगढ़ में लेफ्ट विंग का संघर्ष सभी जगह आईटीबीपी ने उत्कृष्टता के साथ प्रदर्शन किया है। जी किशन रेड्डी ने कहा कि आईटीबीपी को पूर्ण रूपसे सशक्त बनाया जा रहा है, इसके लिए गृह मंत्रालय ने आईटीबीपी को अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने आईटीबीपी को 47 बॉर्डर आउट पोस्ट बनाने की मंजूरी दे दी है, जवानों को आवश्यक यूनीफार्म और मॉनिटरिंग इक्विपमेंट दिए गए हैं, एक वर्ष में 28 प्रकार के नए वाहनों की व्यवस्था की गई है, आईटीबीपी के लिए 7,223 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है, साथ ही प्रबंधन के लिए 15 करोड़ से अधिक राशि मंजूर की गई है। जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोरोना महामारी से आईटीबीपी के जवानों ने भी लड़ाई लड़ते हुए आम जनता को आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की है।
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि छतरपुर में आईटीबीपी को दुनिया के सबसे बड़े सरदार पटेल कोविड-19 अस्पताल चलाने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसे पूर्णकर आईटीबीपी ने मानवसेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में युवाओं को खेल से जोड़ना हो, आम जनता के लिए साफ पीने के पानी की व्यवस्था करना हो या दूर-दराज के इलाकों में मेडिकल कैंप लगाना सभी जगह आईटीबीपी के जवान बिना थके अपने मोर्चे पर डटे हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में भी आईटीबीपी के जवान सक्रिय भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के जवानों ने बड़े पैमाने पर फिट इंडिया मूवमेंट के माध्यम से आम जनता को फिट रहने की प्रेरणा दी, आईटीबीपी का देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि कोई भी पड़ोसी देश जब किसी प्रकार की बाधा डालकर देश के आर्थिक विकास को रोकना चाहते हैं, तब आईटीबीपी के जवान उन कुप्रयासों को विफल करते हैं तो देश का आर्थिक विकास सही दिशा में तेज गति से बढ़ता है।
गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने आईटीबीपी के शहीद जवानों के परिजनों को विश्वास दिलाया कि पूरा देश और भारत सरकार सदैव उनके साथ है। किशन रेड्डी ने आईटीबीपी कर्मियों को छह राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवाओं के लिए 23 पुलिस पदक प्रदान किए। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के बलिदान और वीरता के लिए राष्ट्र हमेशा उनपर गर्व करेगा और उनका ऋणी रहेगा। आईटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देशवाल ने जी किशन रेड्डी को आईटीबीपी के वर्तमान दायित्वों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय के नेतृत्व में आईटीबीपी के मॉर्डनाइजेशन के लिए लगातार कोशिश की जा रही है, जिसमें जवानों को आधुनिक गाड़ियां, जैकेट, हेलमेट आदि की खरीद शामिल है, इसके साथ ही राइफल को भी अपग्रेड किया गया है, सीमा पर बेहतर कम्युनिकेशन के लिए इक्विपमेंट भी लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें गर्व है कि कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में आईटीबीपी को देश की सेवा करने का मौका मिला, जिसमें स्वास्थ्य सेवाएं तथा अन्य सेवाएं निशुल्क प्रदान की गईं।
गौरतलब है कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की स्थापना 24 अक्टूबर 1962 को भारत-चीन सीमा पर चीनी आक्रमण के मद्देनज़र की गई थी। प्रत्येक वर्ष इस दिन को आईटीबीपी कर्मियों का मनोबल बढ़ाने और इसकी वीरता तथा उपलब्धियों को याद करने के लिए बल के स्थापना दिवस के रूपमें मनाया जाता है। आईटीबीपी को शुरू में सीमावर्ती आसूचना, अवैध घुसपैठ और तस्करी रोकने तथा एक गुरिल्ला बल के रूप में भारत-तिब्बत सीमा के साथ-साथ सुरक्षा स्थापित करने के लिए गठित किया गया था। आईटीबीपी के विस्तार के परिणामस्वरूप आईटीबीपी को समय-समय पर सीमा सुरक्षा ड्यूटी, आतंकवाद रोधी कार्य और आंतरिक सुरक्षा कार्यों के अलावा कई और भी कार्य सौंपे गए हैं।