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Tuesday 3 November 2020 01:45:44 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) सिलचर के 18वें दीक्षांत समारोह को वर्चुअल प्लेटफॉर्म से संबोधित करते हुए एनआईआरएफ-2020 में 46वीं रैंक हासिल करने के लिए एनआईटी सिलचर को बधाई दी और उल्लेख किया कि संस्थान एनआईआरएफ-2019 से पांच पायदान ऊपर चढ़ा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनआईटी सिल्चर ने वैश्विक रैंकिंग प्लेटफॉर्म जैसे द रैंकिंग और यूएस न्यूज़ रैंकिंग में प्रमुख स्थान हासिल किए हैं। उन्होंने एनआईटी सिलचर को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर राष्ट्रीय शिक्षा के उत्थान के लिए सभी आयामों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कहा। शिक्षा मंत्री ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की उत्कृष्टता का उल्लेख किया है कि जब दुनियाभर के विद्वान नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए भारत आया करते थे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया कि प्राचीन शिक्षा प्रणाली और विद्वता से भरे शिक्षकों एवं छात्रों के साथ भविष्य की तैयारी करते हुए भारत गुणवत्ता आधारित शिक्षा प्रणाली के साथ खुद को विश्वगुरु के तौरपर स्थापित करेगा। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जो पथ प्रवर्तक साबित होंगे और लाखों छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ने और उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारत सरकार न केवल अपने संस्थानों की स्थापना के लिए विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों के साथ सहयोग कर रही है, बल्कि विभिन्न आयामों में भी सहयोग कर रही है। उन्होंने पेटेंट को बढ़ाने के लिए टैलेंट को पेटेंट से जोड़ने का उल्लेख किया, जो न केवल संस्थान को आगे बढ़ाएगा, बल्कि देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
रमेश पोखरियाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसंधान कोष और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच की शुरुआत की गई है और यह देश के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य को एक बेहतर, समावेशी और उत्कृष्ट वातावरण में बदल देगा। उन्होंने उल्लेख किया कि एनईपी-2020 के तीन स्तंभ-सुधार, परिवर्तन और प्रदर्शन राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाएंगे और इनमें हमारी शिक्षा प्रणाली को एक वैश्विक मंच पर स्थापित करने की क्षमता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्थान के लिए एक सतत भविष्य के निर्माण की खातिर पूर्व छात्रों को अपने संस्थान के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने समावेशी तरीके से संस्थान की बेहतरी के लिए एक एलुमनी टास्क फोर्स बनाने का विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान की घोषणा ने देश को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल दिया था, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान को जोड़ा, जिससे देश के वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण बदलाव आया और हमें वैश्विक रूपसे दूसरी परमाणु महाशक्तियों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होने में मदद मिली, इसी नारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जय अनुसंधान को जोड़ दिया है, जो राष्ट्र के अनुसंधान और विकास की प्रगति को और ऊंचाई पर लेकर जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनईपी-2020 के कार्यांवयन के साथ हम शिक्षा और अनुसंधान में अपना तेजस्वी गौरव दोबारा हासिल कर लेंगे। उन्होंने युक्ति 2.0 पोर्टल का भी उल्लेख किया, जहां देश के सभी प्रतिष्ठित संस्थान अपने अभिनव विचार साझा करते हैं और समाज की बेहतरी के लिए तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का उल्लेख किया और कहा कि ये नए भारत के निर्माण के लिए राष्ट्र के युवा प्रतिभाशाली संसाधन को पर्याप्त समर्थन और सहयोग प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य एक नए भारत का निर्माण करना है, जो आत्मनिर्भर हो और बुद्धिमता एवं ज्ञान से सशक्त हो। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एआईसीटीई के प्रमुख प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे, एनआईटी सिलचर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रमुख गौतम एन मेहरा और पूर्व छात्र एवं डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर (साइंटिस्ट जी) संजय चौधरी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने संस्थान की उपलब्धियों पर खुशी जताई और कहा कि वे अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखें एवं उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सफलता हासिल करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य को सभी शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों से जोड़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सफल जीवन के लिए मन और स्वास्थ्य का सही संतुलन बनाए रखने के लिए जीवन में स्वामी विवेकानंद का अनुसरण करने को कहा। उन्होंने कहा कि छात्रों के सामूहिक प्रयास से नए भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युवा राष्ट्र को आगे बढ़ाने और सपनों के भारत का निर्माण करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र की अपार क्षमता और संभावनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि इसमें प्रगतिशील भारत के निर्माण की दिशा में बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता है। एनआईटी सिलचर के निदेशक प्रोफेसर शिवाजी बंद्योपाध्याय ने इस साल उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि 2020 के बैच को उसकी संभावनाओं और क्षमताओं के लिए इतिहास में याद किया जाएगा।
दीक्षांत समारोह में संस्थान में सर्वाधिक सीपीआई हासिल करने के लिए संस्थान स्नातक वर्ग में क्षितिज मेहरोत्रा को स्वर्ण पदक दिया गया, वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। सर्वश्रेष्ठ स्नातक छात्र के लिए स्वर्ण पदक प्रक्ष झा को दिया गया, जो कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्र हैं। स्नातकोत्तर वर्ग में स्वर्ण पदक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र सुजीत टी को दिया गया। इस वर्ष कालीकृष्णा मृणालिनी स्मारक स्वर्ण पदक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की छात्रा ह्लादिनी अग्निवेश को, जबकि सास्वत पुरकायस्थ स्मारक स्वर्ण पदक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र आशीष रंजन को दिया गया। रसायनशास्त्र विभाग की पीएचडी छात्रा कल्याणी राजकुमारी को सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरेट की डिग्री दी गई। रजत पदक विजेताओं की भी घोषणा की गई। असाधारण शिक्षक का पुरस्कार प्रोफेसर सौरभ चौधरी को प्रदान किया गया। दीक्षांत समारोह में 881 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें इंजीनियरिंग के अलग-अलग विषयों के 572 बीटेक छात्र, 188 एमटेक छात्र, 30 एमएससी छात्र, 43 एमबीए छात्र और 48 पीएचडी छात्र हैं।