स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 5 November 2020 01:19:50 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2014 में मंत्रालय के अधिसूचित भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों पर दिशानिर्देश की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है। भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मौजूदा दिशानिर्देशों को एमआईबी और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की सिफारिशों से टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स पर गठित संसदीय समिति के विस्तृत विचार-विमर्श के बाद अधिसूचित कर दिया गया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि कुछ वर्षों के लिए दिशानिर्देशों के संचालन के आधार पर यह महसूस किया गया है कि विशेष रूपसे भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), तकनीकी प्रगति या निगरानी की हालिया सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देशों पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है।
भारत में समय के साथ उभरे टेलीविजन रेटिंग प्रणाली के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए समिति का गठन किया गया है। समिति मौजूदा प्रणाली का मूल्यांकन करने के अलावा ट्राई की सिफारिशों को समय-समय पर अधिसूचित करने, समग्र उद्योग परिदृश्य और हितधारकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एवं मौजूदा दिशानिर्देशों में परिवर्तन यदि कोई हो तो एक मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह रेटिंग प्रणाली के लिए सिफारिशें करेगी। समिति की संरचना अनुसार मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रसार भारती शशि एस वेम्पति अध्यक्ष हैं, सांख्यिकी प्रोफेसर गणित और सांख्यिकी विभाग आईआईटी कानपुर के डॉ शलभ, कार्यकारी निदेशक सी-डॉट डॉ राजकुमार उपाध्याय और विज्ञान सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर पुलक घोष निर्णय समिति के सदस्य हैं।
समिति का कार्य भारत में टेलीविजन रेटिंग सिस्टम के विषय पर विभिन्न मंचों की पिछली सिफारिशों का अध्ययन करना और उनका आनुषांगिक समाधान करना, दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की हाल की सिफारिशों का अध्ययन करना, क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए सुझाव देना है। वर्तमान में अधिसूचित दिशानिर्देशों की समीक्षा करके हितधारकों की जरूरतों को पूरा करना और यदि कोई कमी है तो समिति विशेष रूपसे इसका समाधान निकालेगी, विषय से जुड़े कोई भी संबंधित अथवा आनुषांगिक मुद्दे, भारत में मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह रेटिंग प्रणाली को आगे बढ़ने की सिफारिशें करना तथा समय-समय पर एमआईबी के निर्दिष्ट कोई भी संबंधित मुद्दों का समाधान करना होगा। समिति किसी भी विशेषज्ञ को आमंत्रित कर सकती है। समिति दो महीने के भीतर सूचना और प्रसारण मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।