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Saturday 7 November 2020 03:14:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भारतीय ज्ञान पद्धति पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार ‘भारत तीर्थ’ के उद्घाटन पर भारतीय ज्ञान प्रणाली की विभिन्न शाखाओं में उल्लेखनीय कार्यों के लिए संस्थान को बधाई दी और आईआईटी खड़गपुर में भारतीय ज्ञान प्रणाली के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। शिक्षामंत्री ने कहा कि आईआईटी खड़गपुर ने भारत की भावना और वर्तमान समय में इसके समक्ष चुनौतियों का आत्मनिरीक्षण करके भारत तीर्थ और शोध जैसी पहलें शुरु की हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आध्यात्म, दर्शन, योग, साहित्य, कला तथा खगोल शास्त्र जैसे क्षेत्रों में वैचारिक गहराइयों तक उतरकर हमारे प्राचीन मनीषियों ने हमें जो ज्ञान का खजाना दिया है, वह न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विरासत है। शिक्षामंत्री ने भारत के विविध लोगों के लिए शैक्षिक प्रक्रिया आसान बनाने और भारत की समृद्ध शैक्षिक विरासत से आकर्षित करने के लिए मातृभाषा में शिक्षा देने और संस्कृत के संरक्षण पर जोर दिया।
शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल ने तकनीकी शिक्षा में सहयोग के लिए राष्ट्रीय शिक्षा तकनीकी मंच के सृजन की पुष्टि करते हुए शोधार्थियों को भारतीय वैज्ञानिक और भाषाई विरासत में गहन अध्ययन को आगे बढ़ाने और ऐतिहासिक शिक्षा संसाधनों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारत में अध्ययन, अकादमिक नेटवर्क्स के लिए वैश्विक पहल, जीआईएन + और अन्य वित्तपोषित कार्यक्रम सरीखी पहलें वैश्विक छात्रों और शोधार्थी समुदायों में इसके प्रसार के लिए सही संसाधन साबित हो सकते हैं। उन्होंने शोध में उत्कृष्टता लाने का आह्वान किया, जो सदियों से हो रही उथल-पुथल के बाद भी बरकरार है। शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने भारतीय ज्ञान प्रणाली में अंतर्विषयक प्रकृति के गंभीर अध्ययन और विश्लेषण की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अतीत की शानदार उपलब्धियां हमें प्रेरित कर सकती हैं, मगर वर्तमान में हमें प्रतिस्पर्धा में नहीं रख सकतीं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को हम भारतीय लोकाचार और मूल्यों से सुसज्जित करें एवं प्रत्येक चयनित क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करें।
शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने उम्मीद जताई कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की इस भावना को बढ़ावा देगी, यह केवल संज्ञानात्मक क्षमताओं पर आधारित नहीं है, बल्कि सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक क्षमता पर भी आधारित है, जो सभी छात्रों के लिए उनकी भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बावजूद विशेषकर ऐतिहासिक रूपसे हाशिए और वंचित समूहों के सभी छात्रों के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करेगी। आईआईटी खड़गपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर विरेंद्र के तिवारी ने प्रतिष्ठित शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किए एवं भारतीय वैज्ञानिक विरासत पर शोधकार्य को स्वीकार और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी शोधार्थी के लिए एसएस भटनागर पुरस्कार मिलना एक सपने जैसा है। उन्होंने शिक्षामंत्री से आग्रह किया कि वे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत भारतीय वैज्ञानिक विरासत पर नया विषय बनाने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री को प्रस्ताव देने पर विचार करें। तीन दिवसीय वेबिनार में भारतीय अध्ययन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय दिग्गज भी अर्थशास्त्र, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के लिए संस्कृत, वैदिक और प्राचीन भारतीय गणित-अंक प्रणाली, बीजगणित और ज्यामितीय, रसायन, आयुर्वेद, ज्योतिर तथा महाजगतिका विद्या, प्राकृति विद्या और नंदन तथ्य तथा वास्तु विद्या पर बात करेंगे।
भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल और उज्बेकिस्तान में यूनिसेफ की शिक्षा प्रमुख डॉ दीपा शंकर (यूरोप और मध्य एशिया क्षेत्र) अर्थशास्त्र पर, फ्रांस में कम्प्यूटर साइंस और ऑटोमेशन में शोध के लिए राष्ट्रीय संस्थान के प्रोफेसर गेरार्ड ह्यूट और हैदराबाद यूनिवर्सिटी के संस्कृत अध्ययन विभाग की प्रोफेसर अम्बा कुलकर्णी प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के लिए संस्कृत पर, न्यूजीलैंड के कैंटरबरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लीमेंसी मॉन्टेले और आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर के रामासुब्रहमण्यम वैदिक और प्राचीन भारतीय गणित पर, विश्वभारती शांतिनिकेतन के प्रोफेसर बीएम देब और कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर समरेश भट्टाचार्य भारतीय रसायन पर, कोयम्बटूर अमृता विश्व विद्यापीठम के डॉ पी राममनोहर और नई दिल्ली जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान की डॉ मिताली मुखर्जी आयुर्वेद पर, मुंबई टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के प्रोफेसर मयंक एन वाहिया और आईआईटी खड़गपुर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर अमिताभ घोष स्थितीय और खगोलीय विज्ञान पर, विस्व-भारती शांतिनिकेतन और रबिंद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुणेंदु बैनर्जी और आईआईटी भुवनेश्वर के प्रोफेसर ओमकारनाथ मोहंती सांसारिक/भौतिक परिस्थितिकी और वायुमंडलीय विज्ञान पर, गुड़गांव द द्रोणा फाउंडेशन की निदेशक डॉ शिखा जैन और अमेरिका के सैन बार्नाडिनो कैलिफोर्निया राज्य विश्वविद्यालय की शहरी व क्षेत्रीय भूगोल विशेषज्ञ डॉ राजरानी कालरा पुरातत्व, चिन्ह विज्ञान और वास्तुकला पर वेबिनार में बात करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सत्रों में ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली में आईआईटी के लिए आगे का रास्ता’ सेशन के लिए चेन्नई नीति अध्ययन केंद्र के चेयरमैन प्रोफेसर एम डी श्रीनिवास प्रमुख वक्ता होंगे। एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धि और आईआईटी खड़गपुर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर शिशिर के दूबे पैनलिस्ट के तौरपर हिस्सा लेंगे। आईआईटी खड़गपुर के अन्य विषयों के फैकल्टी मेंबर्स भी इसमें हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम के आयोजक सदस्यों में आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर विरेंद्र कुमार तिवारी (प्रमुख संरक्षक), आईआईटी खड़गपुर के उपनिदेशक प्रोफेसर एसके भट्टाचार्य (संरक्षक), आईआईटी खड़गपुर में छात्र मामलों के डीन प्रोफेसर सोमेश कुमार (चेयरमैन), आईआईटी खड़गपुर में वास्तुकला और क्षेत्रीय योजना विभाग के प्रोफेसर जॉय सेन (आयोजक सचिव), आईआईटी खड़गपुर में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर अनुराधा चौधरी (संयुक्त सचिव) शामिल हैं।