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Wednesday 11 November 2020 01:15:47 PM
नई दिल्ली। ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष में गहराई तक झांकने के इरादे से हवाई द्वीप के मोनाकिया में तीस मीटर की विशालकाय दूरबीन लगाई जा रही है। इस अंतर्राष्ट्रीय परियोजना में दूरबीन से जुड़े उपकरणों के संबंध में भौतिक विज्ञान के 2020 के नोबेल सम्मान प्राप्त प्रोफेसर एंड्रिया घेज ने इस विषय पर भारतीय खगोलविदों के साथ काफी सक्रियता के साथ काम किया है। आकाश गंगा के केंद्र में एक विशालकाय ठोस वस्तु का पता लगाने की सराहनीय खोज के लिए प्रोफेसर एंड्रिया घेज को प्रोफेसर रोजर पेनरोस और प्रोफेसर रिनहार्ड गेंजेल के साथ संयुक्त रूपसे यह सम्मान मिला था। प्रोफेसर एंड्रिया घेज ने दूरबीन परियोजना में इस्तेमाल किए जाने वाले बैक एंड उपकरणों और परियोजना की वैज्ञानिक संभावनाओं से जुड़े तकनीकी पहलुओं के विकास में अहम भूमिका निभाई है।
टीएमटी परियोजना अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी वाली परियोजना है, जिसमें कैल टेक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, कनाडा, जापान, चीन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग के माध्यम से भारत सहयोग कर रहा है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक डॉ अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशन साइंसेज़ के वैज्ञानिक डॉ शशिभूषण पांडे जैसे कई भारतीय खगोलविदों के साथ-साथ कई अन्य लोगों ने प्रोफेसर घेज के साथ इस परियोजना के अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों में सहयोग किया। इस दौरान कई अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गईं, जिनमें दूरबीन की वैज्ञानिक उपयोगिता के साथ ही कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। इसमें सौर मंडल से संबंधित डेटा सिम्युलेटर, ऊर्जावान क्षणिक वस्तुओं, आकाशगंगाओं की सक्रिय नाभिक और दूर के गुरुत्वाकर्षण लेंस वाली आकाशगंगाओं का अध्ययन किया गया।
आकाश गंगा के केंद्र में सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की प्रकृति और इससे सबंधित कई अज्ञात चीजों की खोज करने के लिए कई और नए पहलुओं को समझने के लिए निकट भविष्य में आईआरआईएस/टीएमटी की क्षमता को दिखाया गया है। वैज्ञानिकों ने एक उन्नत डेटा प्रबंधन प्रणाली और डेटा कटौती पाइपलाइन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है। जर्नल ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में 2015 में प्रकाशित एक लेख में ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए भविष्य में टीएमटी की उपयोगिता को रेखांकित किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि तीस मीटर की यह विशालकाय दूरबीन इससे जुड़े साझेदार देशों और उनकी जनता को करीब लाने के साथ ही खगोल विज्ञान और भौतिकी के क्षेत्र में कई अनसुलझे सवालों का जवाब देने में कामयाब होगी, जिसके लिए प्रोफेसर एंड्रिया घेज और भारतीय खगोलविद् मिलकर काम कर रहे हैं।