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Thursday 19 November 2020 01:22:08 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीडियो संदेश के जरिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा है कि यह विश्वविद्यालय समावेश, विविधता और उत्कृष्टता के मेल का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सभी हिस्सों से और समाज के सभी वर्गों से आनेवाले छात्र उत्कृष्टता के लिए समान अवसर के माहौल में जेएनयू में अध्ययन करते हैं, अलग तरह के करियर के इच्छुक छात्र जेएनयू में एक साथ आते हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू में भारतीय संस्कृति के सभी रंग दिखते हैं, यहां इमारतों, छात्रावासों, सड़कों और प्रतिष्ठानों के नाम भारतीय विरासत से लिए गए हैं, जो भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक तस्वीर का प्रतिनिधित्व करते हैं और यह भारतीयता जेएनयू की विरासत है एवं इसे मजबूत करना इसका कर्तव्य है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जेएनयू के उत्कृष्ट संकाय खुली बहस और विचारों के अंतर का सम्मान करने की भावना को प्रोत्साहित करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में भागीदार माना जाता है और उच्च शिक्षा में ऐसा ही होना चाहिए, विश्वविद्यालय जीवंत चर्चाओं के लिए जानें जाते हैं, जो कक्षाओं के बाहर कैफेटेरिया और ढाबों में हर समय होती रहती हैं। राष्ट्रपति ने प्राचीन भारत के शिक्षण और अनुसंधान के गौरवशाली अतीत का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की चुनौतियों से निपटने के लिए हम तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी विश्वविद्यालयों से प्रेरणा ले सकते हैं, जिन्होंने शिक्षण और अनुसंधान के उच्चस्तर निर्धारित किए एवं विशेष ज्ञान प्राप्त करने के लिए दुनियाभर के विद्वान और छात्र इन केंद्रों में आए। उन्होंने कहा कि उस प्राचीन प्रणाली में आधुनिकता के कई तत्व थे और उसने चरक, आर्यभट्ट, चाणक्य, पाणिनि, पतंजलि, गार्गी, मैत्रेयी और थिरुवल्लुवर जैसे महान विद्वानों को जन्म दिया, जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, व्याकरण एवं सामाजिक विकास में अमूल्य योगदान दिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों ने भारतीय विद्वानों के कार्यों का अनुवाद किया है और ज्ञान के विकास के लिए उनकी शिक्षाओं का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि आज के भारतीय विद्वानों को इस तरह के मूल ज्ञान का सृजन करना चाहिए, जिसका इस्तेमाल समकालीन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए किया जाए। उन्होंने कहा कि जेएनयू उच्च शिक्षा के उन चुनिंदा संस्थानों में से है, जो वैश्विक रूपसे अतुलनीय उत्कृष्टता तक पहुंच सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया कोरोना महामारी से संकट में है, इसके वर्तमान परिदृश्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बताती है कि उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए संक्रामक रोगों, महामारी विज्ञान, वायरोलॉजी, डायग्नोस्टिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, वैक्सीनोलॉजी और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में अनुसंधान करने का बीड़ा उठाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संबंधित सामाजिक मुद्दों का भी अध्ययन करने की जरूरत है, विशेषकर बहुविषयक दृष्टिकोण के साथ ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कोशिश में जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों को विशिष्ट सहायता तंत्र विकसित करने और छात्र समुदायों के बीच नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सबसे आगे होना चाहिए।
शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी वीडियो संदेश से समारोह में जुड़े। उन्होंने पीएचडी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और विश्व में शिक्षा के दूत बनने को कहा। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि भारतीय मूल्यों का सम्मान करें और अपनी शिक्षाओं पर आधारित राष्ट्र निर्माण में अन्यों को भी प्रेरित करें। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मिशन और विजन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति प्रभावशाली है, इसमें समग्रता है और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय हित भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एनईपी भारत को शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का अगुआ बनाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने जेएनयू को लगातार एनआईआरएफ रैंकिंग में उच्चस्तर बनाए रखने के लिए बधाई दी। उन्होंने एचईएफए फंड का उल्लेख किया, जो विश्वविद्यालय को शोध और नवाचार परियोजनाओं तथा बुनियादी ढांचा विकास में मददगार होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय में अटल इन्नोवेशन सेंटर और अन्य स्टार्टअप पर जोर देते हुए कहा कि यह मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को हासिल करने में अहम योगदान देगा। शिक्षामंत्री ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं के लिए एनसीसी कार्यक्रम शुरु करने पर जेएनयू की सराहना की।
जेएनयू के उपकुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने विश्वविद्यालय की अकादमिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने 2 नए स्कूल की स्थापना-स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग और अटल बिहारी वाजपेई स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप पर जोर दिया और चार नए विशिष्ट केंद्रों की स्थापना का उल्लेख किया, जिसमें स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च,स्पेशल सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज, स्पेशल सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट इंडिया, स्पेशल सेंटर फॉर लर्निंग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जेएनयू ने नीति आयोग और अनेक स्टार्ट-अप्स के साथ मिलकर अटल इन्नोवेशन सेंटर की शुरुआत की है। प्रोफेसर जगदीश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई प्रोडक्ट विकसित भी किए गए हैं, जिसमें शिक्षण प्रबंधन प्रणाली एलएमएस शामिल है, इसे स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि स्टार्ट अप कंपनी द्वारा क्लाउड आधारित जैविक आंकड़ा विश्लेषण प्लेटफार्म विकसित किया गया है, एचईएफए फंड विश्वविद्यालय को शोध और नवाचार कार्यक्रमों तथा विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास में मददगार होगा।
प्रोफेसर जगदीश कुमार ने बताया कि जेएनयू का एनईपी 2020 नीति से समन्वय है और इसका लक्ष्य शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करना है। उन्होंने बताया कि युवाओं के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए जेएनयू में आयुर्वेद जैविक विषय पर परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने अकादमी गतिविधियों में डिजिटल तकनीकी के इस्तेमाल का उल्लेख किया खासतौरपर जेएनयू की प्रवेश परीक्षाओं में हुए तकनीकी प्रयोग का। उन्होंने गौरव भाव से स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण का उल्लेख किया और कहा कि यह विश्वविद्यालय के छात्रों को ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने के लिए लगातार प्रेरित करती रहेगी। डॉ वीके सारस्वत ने जेएनयू से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और उनसे आग्रह किया कि वह नव उद्यमिता तथा शहरी और ग्रामीण एकीकरण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में लगें, राष्ट्र के टिकाऊ विकास में योगदान दें।
डॉ वीके सारस्वत ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए आवश्यक आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता तथा नवाचार के लिए देश युवाओं की तरफ देख रहा है। उन्होंने छात्रों से कहा कि विज्ञान, स्वास्थ्य, अर्थशास्त्र, साहित्य, कला इत्यादि क्षेत्रों में रचनात्मक योगदान दें। उन्होंने एनईपी-2020 विजन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शिक्षण संस्थानों और उद्योग जगत को एकसाथ आने की अपेक्षा करती है, ताकि आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में नवाचार को बढ़ावा और नव उत्पाद विकसित किए जा सकें। इस अवसर पर जेएनयू के 15 अलग-अलग स्कूलों और शिक्षा केंद्रों से विभिन्न विषयों में 603 छात्रों को विद्यावाचस्पति यानी पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।