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Tuesday 24 November 2020 09:56:54 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 प्रतिक्रिया एवं प्रबंधन की तैयारियों और स्थिति की समीक्षा के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में आठ राज्यों पर मुख्य रूपसे ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। बैठक के दौरान कोविड-19 टीका आपूर्ति, वितरण और टीकाकरण की व्यवस्था के तौर-तरीके पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने समन्वित प्रयासों से इस महामारी का सामना किया है और रोगी के ठीक होने की दर तथा मृत्युदर के मामले में भारत की स्थिति अन्य ज्यादातर देशों से बहुत बेहतर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से जांच और उपचार नेटवर्क के व्यापक विस्तार की चर्चा की और कहा कि पीएम केयर फंड का मुख्य जोर ऑक्सीजन मुहैय्या कराने पर रहा है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को ऑक्सीजन उत्पादन के मामलों में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं और 160 से ज्यादा नए ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की प्रक्रिया चल रही है। यह बताते हुए कि महामारी के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया को समझना बेहद जरूरी है, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे चार स्तरों पर समझा जा सकता है पहला-आशंका का माहौल था, जब लोगों में दहशत भर गई। दूसरे स्तर पर इस वायरस के संबंध में आशंकाएं पैदा हुई जब बहुत से लोगों ने इस बात को छुपाने का प्रयास किया कि वो इससे संक्रमित हो चुके हैं। तीसरा स्तर इसे स्वीकार करने का था जब लोगों ने इस वायरस के प्रति अधिक गंभीर रूख अख्तियार किया, जब उन्होंने बेहद सतर्कता का व्यवहार दर्शाया। चौथे स्तर पर रोगियों के ठीक होने की बढ़ती दर के चलते लोगों ने वायरस से सुरक्षित होने की एक भ्रामक धारणा बना ली, जिससे लापरवाही के कारण मामले बढ़े।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि चौथे स्तर पर इस वायरस से संक्रमण की गंभीरता के बारे में जागरुकता बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण काम है। उन्होंने कहा कि जिन देशों में शुरुआती चरण में महामारी का असर और प्रसार बहुत कम था, वहां इस तरह इसके प्रसार का जैसा रुख अब दिख रहा है, वैसा ही रुख हमारे कुछ राज्यों में भी दिखाई दे रहा है, इसलिए हमारे प्रशासन को कहीं ज्यादा सतर्कता और तत्परता से काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाया जाना, रोगियों खासतौर से घर में आइसोलेट हो रहे लोगों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करना, गांवों और सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को सभी सुविधाओं से लैस करना और वायरस से सुरक्षा के लिए जागरुकता अभियान चलाते रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य मृत्युदर को एक प्रतिशत से भी नीचे लाना होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया कि सरकार टीके के विकास के काम पर करीबी नज़र रख रही है और वह टीके का विकास और उत्पादन करने वाले भारतीयों के साथ-साथ वैश्विक नियामकों, अन्य देशों की सरकारों, बहुपक्षीय संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के संपर्क में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि हमारे नागरिकों के लिए जो टीके आएं, वे अनिवार्य वैज्ञानिक मापदंड पर खरे उतरें। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि जैसे कोविड के खिलाफ हर व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है, उसी तरह यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होगी कि टीका हरेक व्यक्ति तक पहुंचें। सरकारों को सभी स्तरों पर यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि टीकाकरण अभियान सहज, व्यवस्थित और सतत आधार पर चलाया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि टीकाकरण में प्राथमिकता तय करने का काम राज्यों की सलाह से पूरा किया जाएगा, अतिरिक्त शीत गृह भंडारण संबंधित जरूरतों पर भी राज्यों के साथ मशविरा किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि बेहतर नतीजे पाने के लिए राज्यस्तरीय संचालन समितियों और राज्य एवं जिलास्तरीय कार्यबलों की नियमित निगरानी की जाए। प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि अभी तक का अनुभव बताता है कि टीके से जुड़ी बहुत सी भ्रामक कथाएं और अफवाहें फैलती हैं, इसलिए टीके के दुष्प्रभावों के बारे में अफवाहें फैलाई जा सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि टीके के विषय में ज्यादा से ज्यादा जागरुकता फैलाकर और नागरिक समाज, एनसीसी और एनएसएस के छात्रों तथा मीडिया की मदद लेकर संभावित अफवाहों से प्रभावी रूपसे निपटा जा सकता है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व की क्षमता की प्रशंसा की और केंद्र सरकार का इस बात के लिए शुक्रिया अदा किया कि उसने राज्यों में स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार के लिए जरूरी मदद उपलब्ध कराई। उन्होंने अपने-अपने राज्यों के जमीनी हालात के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोविड मामलों की संख्या बढ़ने, कोविड बीमारी के ठीक होने के बाद रोगियों को होने वाली दिक्कतों, जांच की संख्या बढ़ाने के लिए किए गए उपायों, राज्यों की सीमाओं पर जांच कराने के बारे में उठाये गये कदमों, घर-घर जाकर जांच करने, सार्वजनिक समारोहों में लोगों की उपस्थिति में कटौती करने के कदमों, कर्फ्यू लागू करने तथा भीड़ में कटौती करने के उपायों, जागरुकता अभियान चलाने और मास्क का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए उठाए गये कदमों के बारे में जानकारियां दीं। उन्होंने भावी टीकाकरण अभियान के विषय में चर्चा की और सुझाव दिए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कोविड की मौजूदा स्थिति पर एक प्रस्तुति पेश की और उससे निपटने की तैयारी के बारे में विवरण दिया। उन्होंने 72 घंटे के भीतर सभी सम्पर्कों की लक्षित जांच, ट्रेसिंग और परीक्षण, आरटी-पीसीआर जांचें बढ़ाने, स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार के प्रयासों और राज्यों से प्राप्त आंकड़ों को अंतिम रूप देने के संबंध में चर्चा की। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने टीके की आपूर्ति, वितरण और टीके लगाने की व्यवस्था के विषय में प्रस्तुति दी।